प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी को एक बड़े अवसर में बदल दिया और देश इस दौरान विश्व को जीवनरक्षक दवाएं देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन कर पूरी दुनिया को उपलब्ध कराने में भारत की सबसे बड़ी भूमिका रही है। फार्मा सेक्टर में भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों की कंपनियों ने भी भारत में निवेश की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं। इन सभी बातों से इतर अब भारत सरकार देश में फार्मा से जुड़ी शिक्षाओं के लिए उच्च कोटि की सुविधाएं उपलब्ध कराने की प्लानिंग कर रही है। ये इस बात का प्रमाण है कि अब भारत वैश्विक स्तर पर चीन को पछाड़ कर फार्मा सेक्टर का मुख्य गढ़ बनाने की तैयारी कर रहा है।
भारत की इतनी सक्रियता के पीछे मोदी सरकार की आत्मनिर्भरता की नीति है। इसी नीति के तहत सरकार देश के हेल्थ सेक्टर में लगातार बड़े बदलाव कर रही है। अब अगला कदम फार्मा क्षेत्र में शिक्षा उपलब्ध कराने का है।
और पढ़ें- चीन को घाटा, भारत को फायदा, भारत चीन के फार्मा उद्योग को खा गया
देश में औषधियों के शोध और शिक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार ने अपने कदम और आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय औषधि शिक्षा तथा शोध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। इसके पारित होने के बाद देश में करीब 6 फार्मा सेक्टर में शोध और शिक्षा के संस्थानों को राष्ट्रीय दर्जा देने की बात कही गई है। इसके तहत अहमदाबाद, गुवाहाटी, हाजीपुर, हैदराबाद, कोलकाता और रायबरेली के संस्थानों को राष्ट्रीय दर्जा दिया जाएगा और यहां फार्मा सेक्टर के लिए दी जाने वाली शिक्षाओं में पहले से ज्यादा ध्यान दिया जाएगा जो कि देश क एक बड़ी आवश्यकता है।
बता दें कि राष्ट्रीय औषधि शिक्षा तथा शोध संस्थान अधिनियम 1998 को पंजाब के मोहाली में स्थित राष्ट्रीय औषधि शिक्षा तथा शोध संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने के उद्देश्य से लागू किया गया था। साल 2007 में इस कानून में संशोधन किया गया था ताकि केंद्र सरकार को देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित ऐसे ही संस्थान स्थापित करने की शक्ति प्राप्त हो सके। इसी के तहत 6 और संस्थान स्थापित किये गये हैं जिन्हें राष्ट्रीय महत्व दिया जायेगा।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के बारे में सरकार द्वारा कहा गया है कि इस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित 6 संस्थान और इस क्षेत्र से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों को भी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की उपाधि दी जाएगी जो कि देश में फार्मा सेक्टर की शिक्षाओं के लिए आवश्यक है। विधेयक के पारित होने के बाद देश में फार्मा सेक्टर में शिक्षा को न केवल बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छात्रों को भी इस मुद्दे पर पहले से ज्यादा सहूलियतें होंगी, जो कि बेहद सराहनीय है, क्योंकि इसके जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था में भी एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीदें हैं।
और पढ़ें- Quad की बैठक से एक बात पूरी तरह साफ़ है- चीन का फार्मा उद्योग पूरी तरह बर्बाद होने वाला है
भारत सरकार का ये कदम देश में चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव साबित होगा। क्वाड देश( अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) भारत में कोरोनावायरस की वैक्सीन के उत्पादन में निवेश करने की बात कर रहे हैं। ये निवेश भारत में आर्थिक स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।
कोरोना के दौर में विश्व के कई देश जब दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे थे तो उनका भरोसा चीन नहीं, बल्कि भारत था। दूसरी ओर भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनियां भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ने भी वैक्सीन के उत्पादन के लिए युद्धस्तर पर काम किया, जिसमें मोदी सरकार ने उनकी पूरी मदद की।
भारत सरकार ने कोरोना काल में जिस तरह से फार्मा सेक्टर में एक क्रांति पैदा की है वो वैश्विक स्तर पर भारत के लिए सराहनीय बात है। वहीं, अमेरिका जापान ब्रिटेन ब्राजील समेत लगभग सभी देश भारत को वैक्सीन के मसले पर ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं जो इस बात का प्रर्याय है कि अब भारत वैश्विक स्तर पर फार्मा सेक्टर का हब बनने वाला है जिसमें मोदी सरकार की सफल नीतियों का नतीजा है। स्पष्ट है कि फार्मा सेक्टर में आने वाले समय में नौकरी की संभावानायें भी बढ़ेंगी और इसे देश का नया BTech कहना गलत नहीं होगा। ऐसे में फार्मा सेक्टर को और बढ़ावा देने के लिए सरकार अब इसके अध्ययन में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है जो देश की युवा पीढ़ी को इस सेक्टर में आकर्षित करेगा।