कहते हैं, जब जागो, तभी सवेरा। जिस प्रकार से हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण बिल के कारण गुरुग्राम से उद्योग पलायन पर विचार करने लगे, खट्टर सरकार को आभास होने लगा कि अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना शायद इतना भी उच्च विचार नहीं है। अब खबर आ रही है कि हरियाणा सरकार निजी कंपनियों में नौकरी के आरक्षण पर अगले एक महीने के लिए रोक लगा रही है, साथ ही विभिन्न उद्योगपतियों से चर्चा के बाद खट्टर सरकार इस बिल में संशोधन करेगी।
गुरुवार देर शाम सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने उद्योग संगठनों व अन्य हित धारकों के साथ चंडीगढ़ में बैठक की।
खट्टर के अनुसार, “उद्योग भी राज्य के विकास का एक अहम भाग है। हमारी सरकार ये चाहेगी कि जब हम राज्य के युवाओं को रोजगार के नए अवसर दें, तो उसमें उद्योग भी भरपूर सहयोग करें। इसीलिए हमने विभिन्न उद्योगपतियों के साथ बैठक की, ताकि नए विधेयक पर उनकी राय ली जा सके, और आवश्यकता पड़ने पर उचित संशोधन भी किए जा सकें”।
परंतु मुख्यमंत्री खट्टर आखिर किस विधेयक की बात कर रहे हैं? ऐसा भी क्या है उस विधेयक में, जिसके कारण खट्टर सरकार को उद्योगपतियों से बातचीत करनी पड़ रही है? दरअसल, हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित विधेयक में निजी क्षेत्र के अधिकतर नौकरियों में 75 प्रतिशत के आरक्षण [जो 50000 रुपये प्रतिमाह से अधिक न हो] हरियाणा के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित होगी। ये विचार उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का था, जिसके बल पर उन्होंने सत्ता में अपने लिए एक अहम जगह भी बनाई।
लेकिन यह विधेयक न सिर्फ अतार्किक है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद हानिकारक भी। जिस प्रकार से खट्टर सरकार इस विधेयक को लागू करने पर आमादा थी, उसका असर यह हुआ कि कोई भी कंपनी हरियाणा में रुकना नहीं चाहती है, और कुछ तो नोएडा स्थानांतरित होने के लिए भी तैयार थे। कंपनियों का कहना है कि नए कानून से राज्य में ease of doing business पर प्रभाव पड़ेगा
उदाहरण के लिए अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुग्राम और मानेसर की आईटी कंपनियों के बाद अब ऑटोमोबाइल, कंस्ट्रक्शन और गारमेंट एक्सपोर्ट की करीब 500 इंडस्ट्री के उद्यमी नोएडा के सेक्टर 29 में शिफ्ट होने की तैयारी में जुट गए हैं। इसका कारण कुछ और नहीं, बल्कि खट्टर सरकार द्वारा लाया गया नया आरक्षण कानून है।
इन कंपनियों का स्पष्ट मानना है कि उनके 80 फीसदी कर्मचारी देश के अन्य हिस्सों से आते हैं। ऐसे में राज्य सरकार के नए कानून के कारण उन्हें अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ेगा, जिससे ये कम्पनियाँ खाली हो जाएँगी। इस तरह की परिस्थिती में इन इंडस्ट्री के सामने उत्तर प्रदेश में पलायन करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है। उदाहरण के लिए आईएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के पदाधिकारी नोएडा में संभावनाएं तलाशने गए थे। नोएडा में स्थानांतरित होने के बारे में एसोसिएशन का यह मानना है, “यह सेक्टर जेवर एयरपोर्ट के नजदीक है। साथ ही यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से सटा हुआ है। भविष्य में यहीं पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थापित होने जा रहा है और पास से ही फ्रेट कॉरिडोर निकल रहा है। यह सब हमारे उद्योगों के लिए मानेसर और गुरुग्राम से बेहतर होगा।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि खट्टर सरकार अपनी नींद से जाग गई ह और अब राज्य सरकार को आभास होने लगा है कि लोकलुभावन नीतियों के कारण वह अपने ही राज्य की प्रगति पर फुल स्टॉप लगाने वाली थी। जिस प्रकार से खट्टर सरकार इस विधेयक में संशोधन के लिए तत्पर है, उसे देख तो यही कहा जा सकता है – सुबह का भूला यदि शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते।