अभी हाल ही में तहलका मच गया, जब बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू, निर्देशक अनुराग कश्यप और उनकी पूर्व प्रोडक्शन कंपनी फैन्टम एनर्टैन्मन्ट के सदस्यों के घर पर आयकर विभाग ने छापा मारा। छापे में आयकर विभाग का कहना है कि कई वित्तीय अनियमितताएँ सामने आई है, जिनकी कुल लागत 350 – 650 करोड़ रुपये के बीच में हो सकती है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, क्योंकि मनी लौंडरिंग तो मानो बॉलीवुड के कुछ लोगों के लिए बाएँ हाथ का खेल है, जिसकी सतह को अभी आयकर विभाग ने उजागर किया है।
आयकर विभाग के अनुसार 3 मार्च को विभिन्न जगहों पर सर्च एंड सर्वे ऑपरेशन किये गए, जिसमें दो फिल्म प्रोडक्शन कंपनी, एक चर्चित अभिनेत्री और दो टैलेंट प्रबंधन कंपनियों के मुंबई, पुणे, दिल्ली और हैदराबाद में स्थित विभिन्न लोकेशन पर छापे मारे गए हैं। इन छापों में कई वित्तीय अनियमितताएँ सामने आई है, जिसमें शेयर के manipulation जैसे कई गतिविधियों से संबंधित जानकारी उक्त कंपनी के अफसर साझा नहीं कर रहे हैं, और इन अनियमितताओं का कुल मूल्य करीब 300 करोड़ रुपये हैं। इसके अलावा 350 करोड़ रुपये का कथित भ्रष्टाचार, 5 करोड़ रुपये के कैश रसीद और 20 करोड़ की टैक्स चोरी का भी पता चला है, जिसपे जांच जारी है, और इसके लिए भी पहले भी रिपोर्ट किया था।
अब ये काफी गंभीर अपराध है, जिसमें दोषी पाए जाने पर अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू को संभावित तौर पर कारावास भी झेलना पड़ सकता है। पर क्या ऐसा पहली बार हुआ है? अगर बॉलीवुड के इतिहास का विश्लेषण किया जाए, तो ऐसा बहुत बार हो चुका है, और कहीं न कहीं बॉलीवुड भ्रष्टाचारियों के लिए एक सुरक्षित investment heaven के रूप में भी सामने आया है। ऐसे में आयकर विभाग द्वारा हाल ही में पड़ा छापा ऐसे संदेहास्पद sources की ओर भी प्रकाश डाल सकता है, जिनका धड़ल्ले से उपयोग करते हुए बॉलीवुड ने अपने उद्योग को कालेधन का स्वर्ग बना दिया था।
इसके बारे में प्रकाश डालते हुए कुछ वर्ष पहले द हिन्दू ने एक विस्तृत रिपोर्ट भी छापी थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, “फिल्मों से प्राप्त होने वाले रसीद छुपानी हो, हवाला के जरिए पैसों का लेनदेन हो, या फिर कई गतिविधियों को हिसाब किताब से जानबूझकर बाहर रखना हो, आप बोलते जाइए और बॉलीवुड में ये सब काफी समय से होता आया है”
अब बॉलीवुड में काला धन और उसका निवेश करने वाले आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से संबंध कोई नई बात नहीं है। अधिकांश लोग इस बात से परिचित हैं कि कैसे मुंबई में एक समय फिल्म उद्योग पर अंडरवर्ल्ड का सिक्का चलता था, और कैसे हाजी मस्तान और दाऊद इब्राहिम जैसे लोग खुलेआम फिल्मों में निवेश करते थे।
लेकिन मनी लौंडरिंग को बॉलीवुड किस प्रकार से अंजाम देता था? क्या इससे पहले भी कोई ऐसा मामला सामने आया था? द हिन्दू ने इसके पीछे कानूनी उल्लंघन का उदाहरण देते हुए बताया, “फिल्म उद्योग पर किस प्रकार से आयकर विभाग कर लगाती है, इसके लिए उसने विभिन्न धाराओं में कई प्रावधान दिए हैं। धारा 44 AA, 44 AB, 285 B, रुल्स 9 ए और 9 बी इत्यादि निर्माताओं और डिस्ट्रीब्यूटर के लिए लागू होते हैं, और धारा 192, 194 C और 194 J में अभिनेताओं, नेताओं, संपादकों, स्पेशल इफ़ेक्ट्स विशेषज्ञ, लोजिस्टिक्स कान्ट्रैक्टर इत्यादि के भुगतान हेतु अनेक प्रावधान है, जिनसे बचने के लिए कभी हॉट मनी, तो कभी हवाला रूट से अक्सर इन अधिनियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है”
लेकिन इस काले धंधे की झलक जनता के समक्ष तब सामने आई, जब 2011 में विकिलीक्स ने बॉलीवुड के हवाला रूट पर प्रकाश डाला था। 2012 में कोबरापोस्ट ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें कई चर्चित निर्माता निर्देशकों ने उजागर किया था कि कैसे बॉलीवुड फिल्म उद्योग कालेधन को विभिन्न तरीकों से सफेद धन में परिवर्तित करता था। द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार उदाहरण के लिए जब तक कोई स्टार फिल्म को साइन नहीं करता, तब तक बैंक उस फिल्म को फंडिंग देने के लिए तैयार नहीं होते। इसलिए अगर वैकल्पिक तरह से फंडिंग करने चलें, तो क्लीन transaction के होने की संभावना कम ही होती है।
इस रिपोर्ट में एक और रोचक बात ये सामने आई कि कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में एक ऐसे व्यक्ति ने भी घपलेबाजी स्वीकार की थी, जो आजकल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पे खुलेआम भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देता है। कोबरापोस्ट की स्टिंग ऑपरेशन में अनुभव सिन्हा भी मनी लौंडरिंग की बात स्वीकारते हुए पाए गए थे, और ये वही अनुभव सिन्हा है, जो मोदी सरकार के विरोध के नाम पर भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने का एक भी अवसर हाथ से नहीं जाने देते।
अब इससे पहले किसी भी सरकार ने इस दिशा में जांच पड़ताल करने की सुध नहीं ली थी, लेकिन अब जब आयकर विभाग ने जांच शुरू की है, तो कई और नाम भी सामने आ सकते हैं, और यदि ऐसा हुआ, तो केवल तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप सलाखों के पीछे नहीं जाने वाले।