अगले हफ्ते पश्चिम बंगाल में पहले चरण का चुनाव होने जा रहा है जहां भाजपा, कांग्रेस और लेफ्ट अपनी ओर से पूरी ताकत झोक रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर टीएमसी की लड़ाई विरोधी दलों से कम और खुद की पार्टी के नेताओं के साथ ज्यादा नज़र आ रही है। अभी कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने अपने पार्टी के उम्मीदवारों की सूची जारी की थी लेकिन ममता ने अपने नेताओं पर विश्वास न होने के कारण चार उम्मीदवारों का नाम ऐन मौके पर वापस ले लिया। अब उन चार विधानसभा सीटों पर नए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं।
TMC ने 19 मार्च को ट्वीट्स के माध्यम से 4 विधानसभा सीटों पर नए उम्मीदवारों का नाम जारी किया। नई सूची के मुताबिक कल्याणी विधासभा क्षेत्र से अब अनिरुद्ध विश्वास के नाम का ऐलान किया गया है, उनसे पहले रमेन्द्र नाथ विश्वास का नाम जारी किया गया था। वहीं नार्थ परगना 24 जिले के अशोकनगर क्षेत्र से नारायण गोस्वामी को टिकट दिया गया है, उनकी जगह पहले धीमान राय को उम्मीदवार बनाया गया था। इसी प्रकार आमडांगा विधानसभा क्षेत्र से रफ़ीकुर रहमान को नया उम्मीदवार घोषित किया जबकि उनसे पहले यहाँ मुस्ताक मुर्तजा को टिकट दिया गया था। इसके अलावा विरभूमि जिले के दुबराजपुर क्षेत्र से देवव्रत साहा को नया उम्मीदवार बनाया गया है।
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TMC के इस कदम के पीछे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी ने कुछ नेताओं की गुटबाज़ी को खत्म करने के लिए इन चार उम्मीदवारों का पत्ता काटा है। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस ने अपने जिन 291 उम्मीदवारों का नाम जारी किया है, उसमें कई नए चेहरों को मौका दिया गया है जिसकी वजह से मौजूदा विधायकों ने नाराजगी दिखाई। ऐसे में यह खबर भी सामने आई है कि TMC के पुराने नेता गुटबाजी कर रहे हैं और वे अपनी पार्टी के खिलाफ कुछ कदम उठा सकते हैं। यही कारण है कि अब ममता ने अपने चार संभावित दलबदलू नेताओं पर पहले ही कार्रवाई कर दी है।
TMC पार्टी के अंदर गुटबाजी और अंदरूनी राजनीति से अब सभी वाकिफ़ हो चुके हैं। अभी तक तृणमूल कांग्रेस के असंख्य नेता पार्टी छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। इससे दो चीजें साबित होती हैं। एक तो यह कि तृणमूल के नेताओं को अपनी पार्टी के आलाकमान पर भरोसा नही रहा है, जिसकी वजह से वो पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं। दूसरी चीज़ यह कि तृणमूल आलाकमान को अपने ज़मीनी नेताओ पर भरोसा नही रहा है जिसकी वजह से वो अब नए नेताओं और celebrities के ऊपर ज्यादा भरोसा दिखा रहा है।
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तृणमूल कांग्रेस के अंदर अफरातफरी मची हुई है और जिस प्रकार आए दिन बड़े पैमाने पर तृणमूल नेता बीजेपी की ओर पलायन कर रहे हैं, उससे यह साफ होता है कि ममता बनर्जी के पास कुछ ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। ममता बनर्जी एक तरफ अपनी पार्टी में नए चेहरों को मौका दे रही हैं और दूसरी तरफ पुराने नेता पार्टी छोड़ कर भाग रहे हैं। साथ ही जो नेता पार्टी में बचे हुए हैं, उन्हें भी अपने भविष्य की चिंता सता रही है। ऐसे में वो गुटबाज़ी कर अपना करियर बचाने की जुगत में हैं। 27 मार्च से शुरू हो रहे चुनावों में TMC विरोधी दलों के नेताओं से ज्यादा अपने ही दल के नेताओं से लड़ रही है और ममता बनर्जी के पतन का यह बड़ा कारण साबित होगा।