पिछले वर्ष चीन के साथ Tech War के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने TikTok को निशाना बनाया था और कंपनी के सामने दो विकल्प प्रस्तुत किए थे। विकल्प ये थे कि या तो TikTok अमेरिका में अपना सारा व्यापार समेट ले, या फिर वह अपने सभी Assets को किसी अमेरिकी कंपनी को बेच दे और TikTok एक नई कंपनी बन जाये जिसका चीन के साथ कोई संबंध नहीं हो! तब माइक्रोसॉफ्ट ने समय का फायदा उठाते हुए TikTok को खरीदने का प्रयास किया था। चीन ने उस दौरान अमेरिकी प्रशासन की जमकर निंदा की थी और अमेरिका पर चीनी कंपनियों के हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। अब चीन ने उसी का बदला लेते हुए चीन में अपनी सर्विस दे रही माइक्रोसॉफ्ट की LinkedIn को परेशान करना शुरू कर दिया है।
बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट का LinkedIn चीन में संचालित होने वाला अकेला प्रमुख अमेरिकी सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म रहा है। हालांकि, चीन में अपनी सेवाएँ जारी रखने हेतु कंपनी को हर पल लाखों चीनी यूजर्स द्वारा किए गए posts को सेंसर करना होता है। अब चीन की सरकार ने कहा है कि Microsoft के LinkedIn प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक कंटेट को पर्याप्त मात्रा में सेंसर नहीं किया जा रहा है, जिसके लिए वह LinkedIn के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर चुकी है।
चीन के इंटरनेट नियामक Cyberspace Administration of China ने पॉलिटिकल कटेंट को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए इस महीने LinkedIn के अधिकारियों को फटकार लगाई है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किस तरह के पोस्ट ने कंपनी को परेशानी में डाला है, परन्तु चीनी नियामक ने कहा कि उसे चीन के सांसदों की एक वार्षिक बैठक के आसपास की अवधि में शेयर हो रहे आपत्तिजनक पोस्ट मिले थे। रिपोर्ट के अनुसार चीनी सरकार ने LinkedIn सर्विस को चीन के अंदर नए यूजर्स के साइन-अप को 30 दिनों के लिए निलंबित करने के लिए भी मजबूर किया गया था।
कहने को तो LinkedIn को सेंसर न करने के लिए निशाने पर लिया जा रहा है, परन्तु इसका वास्विक कारण कुछ और भी हो सकता है। यह चीन की माइक्रोसॉफ्ट के लिए द्वेष भावना है जिसके कारण अब उसकी कंपनी को चीन के अन्दर निशाना बनाया जा रहा है। वास्तव में जब डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ एक्शन लेना शुरू किया था तब उसमें चीनी TikTok भी निशाने पर लिया गया था। तब राष्ट्रपति ट्रम्प ने TikTok की पेरेंट कंपनी ByteDance को 45 दिनों का ultimatum दिया था। अल्टिमेटम के अनुसार अगर TikTok इन 45 दिनों में अपने आप को अमेरिकी निवेशकों या अमेरिकी कंपनी के हवाले नहीं कर पाती तो TikTok को प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता था। उस दौरान मौके का फायदा उठा कर माइक्रोसॉफ्ट TikTok को खरीदने के लिए आगे आया था। तब Microsoft ने कहा था कि वह अमेरिका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में TikTok के सभी ऑपरेशन को अपने अधिकार में लेगा और किसी भी अमेरिकी का डाटा अमेरिका से बाहर नहीं जाने देगा। यानी तब माइक्रोसॉफ्ट चीनी कंपनी को अपने अधिकार में लेकर चीनी एप के अस्तित्व को समाप्त करने की फ़िराक में था। हालाँकि, Bytedance ने इस ऑफर को रिजेक्ट कर दिया था।
Microsoft के उस कदम के कारण चीन का नाराज होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। अब चीन अमेरिका में एक कमजोर राष्ट्रपति के चुने जाने के बाद वापस आक्रामक रुख अपना चुका है। उसे पता है कि जो बाइडन चाह कर भी चीन के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप की तरह आक्रामक नहीं हो पाएंगे। इसी का नमूना हमें अलास्का डायलॉग के दौरान भी देखने को मिला जब चीन ने उलटे अमेरिका को ही फटकार लगायी और अमेरिकी अधिकारियों को अपने देश पर ध्यान देने को कहा। अब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के न होने की वजह से अमेरिकी कंपनियों को चीन में निशाना बनाया जाने लगा है। माइक्रोसॉफ्ट की LinkedIn को फटकार इसी का एक उदहारण है। चीन अब उससे बदला ले रहा है। अब यह देखना बाकी है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन इस मुद्दे पर कब नींद से जागते हैं।