कांग्रेस की एक सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कोई भी नेता जो पार्टी के झंडे से इतर अगर लोकप्रिय हो जाता है तो पार्टी उसकी लोकप्रियता का फायदा उठाने की बजाए, उसी नेता के कद के साथ खिलवाड़ करने लगती है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भी पार्टी पिछले 6 सालों से कुछ ऐसा ही कर रही है। इसीलिए अब पार्टी राजनीतिक निर्वासन में जा चुके गांधी परिवार के वफादार नवजोत सिंह सिद्धू को एक बार फिर पंजाब की राजनीति में किसी बड़े पद (डिप्टी सीएम) के पद के जरिए मुख्यधारा में लाने की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को सिद्धू की ये सक्रियता रास नहीं आएगी, और स्थितियां इस हद तक बिगड़ सकती हैं कि पंजाब में कांग्रेस अमरिंदर की नाराजगी के कारण बिखरकर हाशिए पर जा सकती है।
2017 के विधानसभा चुनावों के पहले जब सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था, तो गांधी परिवार के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए पार्टी ने उन्हें पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के विकल्प के रुप में पेश किया था क्योंकि पार्टी नहीं चाहती थी कि पंजाब में अमरिंदर सिंह का कद बढ़े। लेकिन ऐसे में सिद्धू के आपत्तिजनक व्यवहारों ने कैप्टन को ये मौका दिया कि वो सिद्धू पर लगाम लगाएं। आज की स्थिति ये है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी का मुख्य चेहरा हैं। इसीलिए पार्टी आलाकमान एक बार फिर कैप्टन के कद को कमजोर करने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में सक्रिय करने की तैयारी कर रही है।
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सिद्धू कैप्टन से काफी लंबे वक्त से नाराज चल रहे हैं, इसीलिए उन्होंने अपना मंत्री पद तक छोड़ दिया था। ऐसे में पार्टी अब एक बार फिर कैप्टन पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सिद्धू और कैप्टन के बीच सुलह करवाने की तैयारी कर रही है। दोनों के बीच की इस सुलह के लिए मुख्य भूमिका पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत संभाल रहे हैं। दोनों के बीच एक लंच भी प्रस्तावित है जिसके जरिए पार्टी आने वाले विधानसभा चुनावों में प्रचार की तैयारी करेगी, लेकिन क्या सिद्धू थोड़ें में ही मान जाएंगे।
सिद्धू ने कैप्टन से नाराजगी के बाद कैबिनेट स्तर का पद छोड़ा था ऐसे में अब सिद्धू उप-मुख्यमंत्री के पद से कम में तो सुलह की बात नहीं ही मानेंगे, और यही रणनीति कांग्रेस के केन्द्रीय आलाकमान की है क्योंकि वो सिद्धू को अमरिंदर के एक विकल्प के रूप में स्थापित कर अमरिंदर का कद छोटा करना चाहते है, लेकिन सिद्धू को कांग्रेस यदि डिप्टी सीएम का पद देती है तो कांग्रेस के लिए पंजाब में अमरिंदर सिंह सबसे बड़ी मुश्किल खड़ी कर देंगे।
पंजाब की राजनीति में कैप्टन अमरिंदर सिंह का प्रभाव कांग्रेस से कहीं ज्यादा है। 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने किसी केन्द्रीय नेतृत्व के दम पर नहीं, बल्कि कैप्टन की छवि के बल पर जीता था। इसीलिए कैप्टन अपने ऊपर आलाकमान द्वारा थोपे गए सिद्धू पर आए दिन आक्रमक रहते थे। बिना कैप्टन की मंजूरी के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण में जाना हो, या सर्जिकल स्ट्राईक से लेकर एयर स्ट्राईक के सबूत मांगना, सिद्धू ने जो भी बयान दिए सभी की काट कर अमरिंदर ने उनकी आलोचना की थी।
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अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को कैबिनेट में रहते हुए भी नजरंदाज ही किया था, जिसके चलते आए दिन सिद्धू अमरिंदर के विरोध में बयान देते रहे हैं। सिद्धू ने तो यहां तक कह दिया था कि वो राहुल गांधी को ही कैप्टन मानते हैं, और पाकिस्तान की यात्रा पर भी राहुल से इजाजत मांग कर ही गए थे। इन दोनों के इस गतिरोध से इतर पार्टी सिद्धू को एक बड़ी जिम्मेदारी देना चाहती है, और माना जा रहा है कि ये जिम्मेदारी डिप्टी सीएम की हो सकती है, लेकिन ये मुद्दा पंजाब में कांग्रेस को पूर्णतः तोड़ सकता है।
अमरिंदर सिंह कभी नहीं चाहेंगे कि सिद्धू डिप्टी सीएम बनें, क्योंकि सिद्धू का डिप्टी सीएम बनना उनके कई कामों में रुकावट बन सकता है और सिद्धू आने वाले समय में उनकी जगह भी ले सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस का अमरिंदर को काबू में रखने के लिए सिद्धू वाला दांव उल्टा पड़ जाएगा, जिसकी बड़ी वजह कैप्टन अमरिंदर सिंह की लोकप्रियता होगी। पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर हाल के हुए निकाय चुनावों में कैप्टन की लोकप्रियता का जादू चला है, जिसके दम पर पंजाब में कांग्रेस को सफलताएं मिली हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में होने के बावजूद एक ऐसे नेता हैं जो कि राष्ट्रवाद के मुद्दे पर राहुल गांधी के बयानों तक की सांकेतिक काट कर देते हैं। पाकिस्तान पर सेना की सर्जिकल स्ट्राईक और एयर स्ट्राईक के दौरान जहां कांग्रेस का पूरा नेतृत्व सबूत मांग रहा था, तो अमरिंदर इस मुद्दे पर सेना की तारीफ कर राजनीति करने वालों को गलत बता रहे थे। इन कारणों के चलते ही कांग्रेस के झंडे से इतर अमरिंदर सिंह की राजनीतिक लोकप्रियता पंजाब में किसी अन्य राजनेता से ज्यादा है। ऐसे में सिद्धू का डिप्टी सीएम बनना अमरिंदर को नाराज कर सकता है और वो पार्टी तक छोड़ सकते हैं।
कांग्रेस आलाकमान अमरिंदर के साथ सिद्धू को बतौर डिप्टी सीएम लगाकर उन पर कंट्रोल में रखने की कोशिश में एक ऐसे फैसले की रूपरेखा तैयार कर रहा है, जिसके परिणाम कैप्टन के पार्टी तोड़ने या बाहर जाने तक के हो सकते हैं और इस स्थिति में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पूर्णतः बर्बाद हो सकती हैं, क्योंकि पंजाब में कांग्रेस की स्थिति कैप्टन के बिना किसी बिना बैल की गाड़ी जैसी ही है।