कुछ लोगों के लिए सही कहावत कही गई है – चोर चोरी से जाए हेराफेरी से न जाए। पिछले कई वर्षों से एनडीटीवी अपने आप को लाइम लाइट में बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। लेकिन अपने इस प्रयास में उसने हमेशा मुंह की खाई है। परंतु खुराफाती मन माने कैसे, सो एक बार फिर NDTV झूठ फैलाते रंगे हाथों पकड़ा गया, जब उसने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बारे में झूठी रिपोर्ट प्रकाशित की।
हाल ही में अमेरिका के नवनिर्वाचित रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भारत दौरे पर आए थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की, और साथ ही साथ नेशनल वॉर मेमोरियल का भी दौरा किया। लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि वे भारत के साथ मजबूत रिश्ते बने रहने की आशा करते हैं और ये भी आशा करते हैं कि दोनों देश मिलकर विश्व को एक नई राह पर ले जाएंगे।
हालांकि, NDTV कहाँ अपनी हरकतों से बाज आने वाला था। पत्रकार विष्णु सोम के नेतृत्व में एनडीटीवी ने लॉयड ऑस्टिन के बयान को ऐसा ट्विस्ट दिया मानो लॉयड ऑस्टिन केवल और केवल मानवाधिकारों के विषय पर ही चर्चा करने आए थे। वहीं, मानवाधिकार के विषय पर जब कुछ सवाल पूछे गए थे तो लॉयड ऑस्टिन ने कहा था कि मैंने उनसे [पीएम मोदी और राजनाथ सिंह] ऐसी कोई बातचीत नहीं की है। स्पष्ट है ऑस्टिन ने खुद ही इस तरह की किसी भी चर्चा से साफ इंकार किया है।
विष्णु सोम के ट्वीट को ही देख लीजिए, जहां वे लिखते हैं, “हमने मानवाधिकारों की समस्या के बारे में भारतीय सरकार से बातचीत की”। लेकिन जल्द ही NDTV के झूठ का पर्दाफाश हो गया, जब सरकार ने ये स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। ANI और टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकार के विषय पर डॉ जयशंकर के बयानों के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत हुई थी, लेकिन अन्य विषयों पर ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया।
मामला अपने विरुद्ध जाता देख NDTV ने बड़ी सफाई से अपनी लाइन बदलते हुए यह दावा किया कि मानवाधिकार के मुद्दों पर बातचीत भारतीय सरकार के अन्य मंत्रियों से हुई थी, प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री से नहीं।
"Discussed Human Rights Issues With Indian Ministers": US Defence Secretaryhttps://t.co/qXMnOrt8kX
— Vishnu Som (@VishnuNDTV) March 20, 2021
अब ये NDTV के लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि फेक न्यूज फैलाना तो उसके बाएँ हाथ का खेल है। जिस चैनल का मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रिपोर्टर पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगाइयों को बचाने के लिए एक निर्दोष व्यक्ति की जान खतरे में डाल दे, उस चैनल से आप भला निष्पक्षता की कैसे उम्मीद कर सकते हैं?
इसके अलावा भी कई ऐसे मौके आए हैं, जहां NDTV सफेद झूठ फैलाते पकड़ा गया है। कुछ महीनों पहले ही रवीश कुमार ने धान की खरीद पर एक भ्रामक रिपोर्ट फैलाई थी, जिसके चक्कर में केंद्र सरकार के प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो ने उसे खूब खरी खोटी सुनाई, और उसे फ़ेसबुक पर माफीनामा पोस्ट करने के लिए भी विवश किया।
लेकिन इसके बाद भी NDTV अपने हरकतों से बाज नहीं आया और मार्च के प्रारंभ में ये अफवाह फैलाई कि राजस्थान में वैक्सीन की कमी पड़ रही है, जिसके लिए PIB ने एक बार फिर इस न्यूज चैनल को आड़े हाथों लिया। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एनडीटीवी को शिष्टाचार और पत्रकारिता का पाठ पढ़ाना माने भैंस के आगे बीन बजाना।