पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में लड़ने का एलान AIMIM चीफ असद्दुदीन ओवैसी ने काफी पहले ही कर दिया था, जिससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नींद उड़ी हुई है। ओवैसी एक तो ममता के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं, दूसरी ओर उनके साथ राजनीतिक खिलवाड़ भी कर रहे हैं। ओवैसी की पार्टी के नेता अब ममता बनर्जी को डराकर गठबंधन का प्रस्ताव दे रहे हैं, जिसके पीछे फायदा ओवैसी का ही हैं, जबकि ममता के लिए दोहरी मुश्किलें हैं, गठबंधन करने पर भी, और न करने पर भी।
ओवैसी ममता के लिए उनके कोर मुस्लिम वोटरों को लेकर सबसे बड़ी रुकावट बन गए हैं, क्योंकि ये माना जा रहा है कि उनकी पार्टी के चुनाव लड़ने से एक बड़ा वोट बैंक ममता से छिटक जाएगा, और इसका फायदा बीजेपी को ही होगा। ऐसे में ममता को पश्चिम बंगाल में ओवैसी बुरी तरह खटक रहे हैं। दूसरी ओर ओवैसी के स्थानीय नेता ममता के गुस्से में नमक मिर्च लगा रहे हैं, और उन्हें गठबंधन के प्रस्ताव दे रहे हैं, जिसे स्वीकार करना ममता के लिए नामुमकिन होगा, क्योंकि इससे ममता की चुनावी साख बहुत पहले ही गिर जाएगी।
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इस मामले में अब एक दिलचस्प मोड़ सामने आया है, क्योंकि AIMIM के बंगाल इकाई के नेता और अध्यक्ष जमीरुर हसन ममता से गठबंधन की बात करने लगे हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा को हराने के लिए राज्य में उनकी पार्टी तृणमूल की ‘बी’ टीम बनने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा, “तृणमूल कांग्रेस जहां भी कमजोर है, वहां हमारी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारकर या तृणमूल की हर प्रकार से मदद करके भाजपा को सत्ता से दूर रखने में मदद करेगी। राज्य की सत्ता पर तृणमूल ही तीसरी बार काबिज हो, इस रणनीति के तहत AIMIM काम कर रही है।”
AIMIM नेता ने ममता को गठबंधन करने की सलाह देते हुए साफ कहा है कि ममता का मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है। उन्होंने कहा, “दीदी हमें जितना भी झटकें, हम उनसे चिपककर रहेंगे। वाम, कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आइएसएफ गठबंधन तृणमूल का वोट काटकर भाजपा की जीत सुनिश्चित करेगी।” केवल इतना ही नहीं हसन पूरी सूचियां तैयार कर के बैठें है। उन्होंने कहा, “AIMIM ने उन सीटों की पूरी सूची तैयार कर ली है, जहां तृणमूल कांग्रेस कमजोर है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी इस मुद्दे पर समीक्षा के बाद 25 से 30 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे।”
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अब इस तरह की बयानबाजी के बाद किसी को भी ये लग सकता है कि ओवैसी की पार्टी ममता के साथ गठबंधन करने को बुरी तरह आतुर है, लेकिन असलियत तो ये है कि ममता के साथ AIMIM सियासी दांव खेल रही है। ममता को बीजेपी और मुस्लिम वोटों के छिटकने का डर दिखाकर ओवैसी उनकी ताकत को कम करना चाहते हैं, जिससे ममता न चाहते हुए भी उनकी पार्टी से गठबंधन कर लें। इसके पीछे ओवैसी को अन्य राज्यों के लिए चुनावी फायदा हो सकता है।
इस गठबंधन के होने से उन्हें एक मुश्त वोटर मिल सकता है, और अगर ये गठबंधन होता है तो, ये भी साबित हो जाएगा कि ममता दीदी बंगाल चुनाव के पहले हद से ज्यादा कमजोर हो चुकी हैं, और इसीलिए ओवैसी तक से गठबंधन को तैयार हैं जो कही न कही ओवैसी की सियासी साख को भी बढ़ाएगा। साफ है कि ओवैसी ममता के गठबंधन तो नहीं करना चाहते फिर भी वो उनकी राजनीतिक स्थिति की सार्वजनिक खिल्ली उड़ा रहे हैं। ऐसे में ममता का एक गलत कदम ठीक चुनाव से पहले उन पर भारी पड़ सकता है।