पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सरेआम झूठ बोलने से बाज़ नहीं आ रही हैं, ममता बनर्जी ने एक बार फिर से अपना वही पुराना राग आलापते हुए कहा ‘बीजेपी उन्हें जख्मी कर सकती है, पर उनकी आवाज़ को नहीं दबा सकती है।’ यह बेतुका बयान उन्होंने ने तब दिया जब दो दिन पहले ममता बनर्जी के मुख्य सचिव ने ही चुनाव आयोग से अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मुख्यमंत्री के ऊपर कोई हमला नहीं हुआ था, उन्हें एक दुर्घटना में चोट लगी थी। अब ममता बनर्जी के इन आरोपों का चुनाव आयोग ने दो टूक जवाब दिया है।
चुनाव आयोग ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने ममता बनर्जी के एक पत्र के जवाब में कहा, ‘कोलकाता में और राष्ट्रीय राजधानी (नयी दिल्ली) में हाल के समय में टीएमसी के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बावजूद, यदि यह माननीय मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया है कि आयोग को राजनीतिक दलों से मिलना चाहिए, तो यह संस्था के तौर पर आयोग का महत्व बार-बार संकेतों और दृढ़ कथनों के साथ घटाने की ही कोशिश होगी।’
पश्चिम बंगाल के प्रभारी उप-निर्वाचन आयुक्त सुदीप जैन ने भी सख्त लहजे में कहा ‘यदि मुख्यमंत्री खुद की सर्वश्रेष्ठ जानकारी में मौजूद कारण को लेकर इस मिथक पर जोर देने की कोशिश करेंगी तो सिर्फ वही बता सकती हैं कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं’।
चुनाव आयोग द्वारा हुई जांच की रिपोर्ट्स और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बावजूद ममता बनर्जी का चुनाव आयोग को लेकर दिया गया बयान साबित करता है कि उनके पास चुनावी रैली में जनता के समक्ष बोलने के लिए कुछ खास नहीं है। मुख्यमंत्री दुर्घटना मे लगी चोट को भुनाने और उस पर सहानुभूति हासिल करने का कोई मौका नही छोड़ रही हैं। यही कारण है कि वो बार-बार चुनाव आयोग को किसी राजनीतिक दल से प्रभावित बता रही हैं. हालांकि, चुनाव आयोग ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
बता दें कि ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर बार-बार किसी ‘ख़ास दल’ के लिए काम करने का आरोप लगाया था और एक रैली के दौरान भी इसी बात को दोहराया था। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा था कि “क्या आयोग बीजेपी का राजनीतिक ‘हथियार‘ बनकर रह गया है। क्या अमित शाह निर्वाचन आयोग को चला रहे हैं? आयोग की स्वतंत्रता कहां गई?” यही नहीं इस दौरान उन्होंने सुरक्षा निदेशक विवेक सहाय को हटाए जाने के पीछे अमित शाह का हाथ बताया था। ममता दीदी के इन आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने जो कहा उससे उनके बने बनाये खेल पर जरुर पानी फिर गया होगा।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी पिछले 10 सालों से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, फिर भी वो चुनाव प्रचार के दौरान राज्य में किए गये विकास के मुद्दों को न उठाकर, अपनी ही गलती से लगी चोट को बीजेपी की साजिश बताकर यह साबित कर रही हैं कि वास्तव में 10 साल तक राज करने के बाद भी उनके पास जनता को अपनी ओर करने के लिए कोई ठोस मुद्दा है ही नहीं।
ममता बनर्जी के बयानों से ऐसा लग रहा है कि मानो ममता बनर्जी चुनाव होने से पहले ही हार मान चुकी हैं, और अब जनता की सहानुभूति के अलावा उनके पास और कोई दूसरा चारा नहीं बचा है। यही कारण है कि वो विक्टिम कार्ड खेलने पर उतर आई हैं।