Alaska बैठक में चीन के हाथों बाइडन प्रशासन की “फजीहत” होते देख US को ट्रंप की याद जरूर आ रही होगी

अमेरिका

PC: CNN

अमेरिका को अलास्का में फजीहत का सामना करना पड़ा है। इसका कारण कुछ और नहीं स्वयं अमेरिका का भ्रमित बाइडन प्रशासन है। जब से बाइडन ने राष्ट्रपति पद संभाला है तब से अमेरिका को कोई भी देश लताड़ कर चला जाता है। TFI ने  पहले ही बताया था कि चीन के साथ बातचीत करके जो बाइडन लैंडमाइन पर पैर रख रहे हैं। अब ठीक वही हुआ जिसकी उम्मीद थी और लैंड माइन बाइडन के पैरों के नीचे ही ब्लास्ट कर गया है। अमेरिका और चीन के बीच ‘अलास्का संवाद’ के दौरान जो देखा गया, वह बाइडन प्रशासन के लिए किसी आपदा से कम नहीं है। हालांकि, जो बाइडन ने अपनी स्वेच्छा से चीन को आक्रामक होने का मौका दिया था। यही कारण है कि आज विश्व में चीन के खिलाफ  डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक रवैये की कमी खल रही है।

दरअसल, अमेरिका और चीन के बीच ‘अलास्का संवाद’ के दौरान दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत का वीडियो क्लिप अब सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इस वीडियो में चीनी प्रतिनिधि Yang Jiechi और Wang Yi ने अमेरिकी प्रतिनिधियों को खूब लताड़ा है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को कम्युनिस्ट प्रतिनिधियों को लम्बे भाषण पर चुप्पी साधे देखा जा सकता है।

इससे भी बुरा यह हुआ कि बाइडन प्रशासन ने चीनी आक्रामकता का जवाब बातचीत की समाप्ति के बाद दिया है, जो कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के ठीक विपरीत था। इस घटना के बाद से जो बाइडन को स्वाभाविक रूप से एक कमजोर राष्ट्राध्यक्ष के रूप में जाना जायेगा।

देखा जाये तो इस बार पेपर ड्रैगन ने बातचीत के दौरान अमेरिका के बाइडन प्रशासन का कॉलर पकड़ कर आक्रमण किया है। यह आश्चर्य है कि कुछ दिनों पहले ट्रंप प्रशासन में अमेरिका ने चीन को घुटनों पर ला दिया था लेकिन बाइडन के आने बाद यह अमेरिका के लिए एक आपदा सिद्ध हो रहा है। हालांकि, इस दौरान अमेरिका के विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन ने अपने चीनी समकक्षों के खिलाफ आक्रामकता से जवाब देने का प्रयास किया था लेकिन वह ऐसा करने में बहुत विनम्र और उदार दिखे।

ताइवान, हांगकांग, शिनजियांग और इंडो पैसिफिक जैसे मुद्दों पर मजबूत और चीन को चुभने वाले शब्दों के अभाव के कारण उनका पक्ष पूरी तरह से कमजोर दिखाई दिया जहाँ चीनियों ने बाजी मार ली।

जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार Jake Sullivan ने चीन को “बुनियादी स्वतंत्रता पर हमला” करने के लिए हमला बोला तब उन्होंने अपनी नम्रता दिखाते हुए यह कह दिया कि, “हम संघर्ष नहीं चाहते हैं, लेकिन हम कड़ी प्रतिस्पर्धा का स्वागत करते हैं।“ इससे बाइडन प्रशासन का गिरा हुआ मनोबल उजागर हो गया जिसका फायदा चीनी प्रतिनिधियों ने उठाया।

इसलिए, Yang ने गुस्से में जवाब दिया कि अमेरिका अपने स्वयं के लोकतंत्र संस्करण को एक ऐसे समय में धकेलना बंद करे जब वह खुद घरेलू असंतोष घिरा हुआ है।

उन्होंने अमेरिका पर अपने स्वयं के मानवाधिकारों की समस्याओं से निपटने में विफल रहने का भी आरोप लगाया और जो कुछ भी उन्होंने कहा, वह ब्लिंकन, सुलिवन और अन्य अमेरिकी अधिकारियों से “अधिक आक्रामक” था।

Yang Jiechen ने अमेरिका को लोकतंत्र की अपनी निराशाजनक स्थिति के लिए ‘फटकारा’, और कहा, “हम मानते हैं कि अमेरिका को अपनी छवि बदलनी चाहिए और स्वयं के लोकतंत्र के संस्करण को आगे बढ़ाने से रोकना चाहिए… अमेरिका के कई लोगों को वास्तव में वहां के लोकतंत्र में बहुत कम विश्वास है।” उन्होंने कहा, “चीन का गला घोंटने का कोई तरीका नहीं है।”

चीन की बढती आक्रामकता से आश्चर्यचकित होकर, अमेरिकी प्रतिनिधियों, विशेषकर एंटनी ब्लिंकन को बेबस होते हुए देखा गया, क्योंकि वे चीन के भय को छुपा नहीं सकते थे।

चीनी पक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके देश को अमेरिका से नियंत्रित नहीं किया जाएगा। यहां तक ​​कि उन्होंने अमेरिका के ऊपर एक व्यंग्य किया कि, “हम बल के उपयोग के माध्यम से या अन्य देश में नरसंहार कर वहां आक्रमण करने में विश्वास नहीं करते हैं।”

देखा जाये तो यहां बाइडन प्रशासन ने स्वयं का ही मजाक उड़वाया है। अगर यह कल्पना की जाये कि अभी अमेरिका का शासन डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों में है तो क्या चीन इस नाटक में सफल हो पाता?

बिल्कुल नहीं, क्योंकि ट्रम्प ने कभी चीन के झांसों को स्वीकार ही नहीं किया। परन्तु अब वास्तविकता यह है कि बाइडन ने यह गलती की और उसी का अब वैश्विक नतीजा भी होगा। इस घटना से अमेरिका के सहयोगियों को यह संकेत मिल गया कि अमेरिका कमजोर हो गया है जिसे चीन द्वारा डांटा जा रहा है।

यही नहीं कुछ दिनों पहले ही उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन की बहन ने अमेरिका को एक चेतावनी दी थी और यह संदेश भेजा था कि अगर बाइडन प्रशासन उत्तर कोरिया के खिलाफ साजिश रच रहा है तो उसे भी सावधान हो जाना चाहिए। यानी अब बाइडन प्रसाशन में अमेरिका को कोई भी आँखे दिखा कर निकल जा रहा और अमेरिका हाथ पर हाथ रखे बैठा हुआ है।

अमेरिका के सहयोगियों के बीच अब यह सन्देश जा चुका है कि अब चीन से बात करने और उनके गुडबुक में रहने में ही उनकी भलाई है क्योंकि अब अमेरिका कम से कम अगले चार वर्षों के लिए उनकी क्या अपने हितों की भी रक्षा करने में असमर्थ है।

जो बाइडन एक जाल में फंस चुके हैं। यदि वह इस सार्वजनिक रूप से पिटाई के बावजूद, चीन पर नरम होते हैं तो यह प्रभावी रूप से एक एक स्वीकार्यता होगी कि वे एक ‘Compromised President’ हैं। और अगर वह चीन के खिलाफ जाने का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प के मानकों से दोगुना आक्रामक होना होगा जो कि असंभव दिखाई देता है।

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