एक देश के दिमाग में एक खुराफाती आइडिया आता है। वह एक घातक वायरस को पनपने देता है, और उसे दुनिया भर में फैलने देता है, ताकि दुनिया इस महामारी से बर्बाद हो जाए। इसकी आड़ में वह न सिर्फ अपने फर्जी दवाई और वैक्सीन दुनिया को बेचता, बल्कि इस महामारी का फायदा उठाया अपने नापाक मंसूबों को भी अंजाम देता। लेकिन उस देश को तनिक भी अंदाजा नहीं था कि इसी आपदा को एक सुनहरे अवसर में परिवर्तित कर उसी का पड़ोसी देश न सिर्फ दुनिया को एक नई उम्मीद देगा, बल्कि उसके नापाक इरादों को भी ध्वस्त करेगा।
आपने ठीक सोचा। यहाँ बात चीन और भारत की हो रही है। जहां दुनिया वुहान वायरस से उबरकर धीरे धीरे अपनी सामान्य दिनचर्या की ओर लौट रही है, तो इसमें काफी हद तक भारत के उच्च गुणवत्ता वाले सस्ते वैक्सीन का भी कमाल है। ये न केवल दुनिया भर के वैक्सीन निर्माताओं के मुकाबले सस्ता और अधिक भरोसेमंद है, बल्कि चीन के दोयम दर्जे के वैक्सीन के मुकाबले कहीं अधिक सुरक्षित भी है।
भारत ने वैक्सीन के खेल में चीन को मीलों पीछे छोड़ दिया। स्थिति तो यह है कि चीन की वैक्सीन को पाकिस्तान तक लगवाने को तैयार नहीं है, और वह यूएन के वैक्सीन प्रोग्राम के जरिए अपने लिए वैक्सीन निकलवा रहा है, जिसमें संयोग से भारत निर्मित वैक्सीन भी है। इसके अलावा भारत अपने वैक्सीन उत्पादन क्षमता को दिन प्रतिदिन बढ़ा रहा है, जिसे चीन चाहकर भी प्रतिस्पर्धा नहीं दे सकता।
लेकिन चीन ही अकेला नहीं है, जिसे भारत के वैक्सीन अभियान से नुकसान हुआ हो। बिग फार्मा के चहेते Moderna Pfizer वैक्सीन के साइड इफेक्ट के चलते अब दुनिया भर के देश भारत के वैक्सीन को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं, जिसके चलते बिग फार्मा कंपनियां भी काफी रुष्ट है। भारत की वैक्सीन कितनी असरदार और लाभकारी हैं, इसका अंदाज आप इन व्यक्ति के बयान से ही लगा सकते हैं –
ह्यूस्टन में स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के प्राध्यापक [डीन] डॉ पीटर होटेज़ ने एक वेबिनार में इस बात को स्पष्ट किया कि, “जिस प्रकार से भारत ने वुहान वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन को रोल आउट किया है, वो अपने आप में प्रशंसनीय है। ये विश्व को भारत का उपहार है, खासकर जब बात वुहान वायरस का सर्वनाश करने की हो। जिस प्रकार से इस देश ने दुनिया के उच्च संस्थान जैसे BCM और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इन वैक्सीन को तैयार किया है, और दुनिया को वुहान वायरस के प्रकोप से दुनिया को उबारा है, हम उसे किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं कर सकते”
इस वेबिनार को ह्यूस्टन में स्थित Indo American Chamber of Commerce of Greater Houston (IACCGH) ने आयोजित कराया। इसमें डॉ पीटर होटेज़ आगे बोलते हैं, “यह काफी अभूतपूर्व है, और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं हर हफ्ते भारत में स्थित अपने साथियों से बात करता हूँ। मैं इसलिए भारत के प्रयासों की सराहना करता हूँ क्योंकि इस वैश्विक महामारी से निपटना बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है, और दुर्भाग्यवश भारत के परमार्थ के बारे में कोई चर्चा ही नहीं कर रहा है।”
परंतु बात यहीं पर नहीं खत्म होती। भारत के वैक्सीन अभियान का असर ऐसा है कि दुनिया के कई शक्तिशाली देश भी इस अभियान के साथ जुड़ना चाहते हैं। उदाहरण के लिए क्वाड के आगामी सम्मिट में इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि कैसे भारत के वैक्सीन अभियान को वैश्विक स्तर पे सफलतम बनाया जा सकता है।
रॉयटर्स से बातचीत में अमेरिकी प्रशासन से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, “इस अभियान के पीछे QUAD का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्पादन में आ रही अड़चनों को खत्म किया जाए, वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में तेज़ी लाई जाए इत्यादि। ये इसलिए आवश्यक है क्योंकि अगर वायरस म्यूटेट करता है, तो जितनी जल्दी वैक्सीनेशन होगा, उतनी ही जल्दी हम म्यूटेशन पर नियंत्रण पा सकते हैं, और इसके साथ ही हमारी उत्पादन क्षमता में भी तेज़ी आ सकती है”–
एक समय ऐसा भी था जब पेनिसिलिन जैसी दवाइयों के लिए भारत को विदेशियों पर निर्भर रहना पड़ता था। आज वैक्सीन उत्पादन के मामले में भारत विश्व का अघोषित सम्राट है, जो निस्स्वार्थ भाव से दुनिया को वुहान वायरस के प्रकोप से बाहर भी निकाल रहा है, और बिना एक गोली चलाए चीन को उसकी औकात भी बता रहा है।