हाल ही में अमेरिका-चीन के बीच हुई Alaska वार्ता के दौरान अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken ने जैसे ही शिंजियांग, Hong-Kong में मनवाधिकारों का मुद्दा उठाया, तुरंत वैसे ही चीनी पक्ष तिलमिला उठा और चीन की ओर से प्रखर राजदूत Yang Jiechi ने अपने शब्दों के बाण से अमेरिकी पक्ष के जोश को ठंडा कर दिया। Jeichi ने स्पष्ट किया कि मानवाधिकारों के मुद्दे पर बोलने के लिए अमेरिका के पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है क्योंकि अमेरिका खुद अपने यहाँ सदियों से अश्वेत लोगों की हत्या करता आया है। Yang Jiechi की आक्रामकता देखते ही बन रही थी, जिसने अमेरिकी राजनयिकों को भी असहज कर दिया। हालांकि, स्थिति आज से एक वर्ष पहले ऐसी नहीं थी, जब तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के सामने इसी चीनी राजदूत Yang Jiechi का मुंह सिर्फ शांति-गीत गाने के लिए ही खुला करता था।
दरअसल, Alaska वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष को मुंह में भरने वाले चीनी राजनयिक Yang Jiechi ने पिछले वर्ष हवाई में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के साथ करीब 7 घंटों तक बातचीत की थी। इस लंबी-चौड़ी बातचीत के दौरान पोम्पियो ने शिंजियांग में मानवाधिकारों के मुद्दे के साथ-साथ कोरोना की उत्पत्ति का मामला भी उठाया था। हालांकि, Yang Jiechi पिछले वर्ष पोम्पियो के सामने अपनी आक्रामकता दिखाने की हिम्मत नहीं कर सके थे। पोम्पियो ने चीनी पक्ष को उकसाते हुए कोरोना महामारी के दौरान पारदर्शिता बनाए रखने का आह्वान किया था। हालांकि, तब Yang Jiechi ने अपने बयान में कहा था “आपसी सहयोग ही अमेरिका-चीन के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है। चीनी पक्ष अमेरिका के साथ किसी प्रकार की टकराव की स्थिति नहीं चाहता है। हम आपसी सहयोग और शांति के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते हैं।”
पिछले वर्ष तक Yang की भाषा आक्रामक कम और निवेदन से ज़्यादा भरी थी। पिछले वर्ष Jeichi ने पोम्पियो से विनती करते हुए कहा था कि अमेरिका को Hong-Kong मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और चीन की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। एक वर्ष से भी कम समय में Jeichi के रुख में आया यह बड़ा बदलाव दिखाता है कि अमेरिका को लेकर चीन की नीति में कितना बड़ा बदलाव आया है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि पोम्पियो के आक्रामक रुख ने चीन को अमेरिका के सामने किस प्रकार झुकने पर मजबूर कर दिया था।
बाइडन एक कमज़ोर अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो पूर्व में चीन को एक खतरा कम और एक प्रतिद्वंदी ज़्यादा बता चुके हैं। इसके साथ ही वे रूस के साथ अपने तनाव को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहे हैं, जिसके कारण चीन को अमेरिका के खिलाफ आक्रामकता बढ़ाने का बढ़िया मौका मिल गया है। TFI Post पर हम पहले ही आपको बता चुके हैं कि कैसे हंटर फाइल्स एक बड़ा कारण हो सकता है कि क्यों बाइडन चाहकर भी चीन के खिलाफ निर्णायक कदम ना उठा पाएँ!
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चीनी राजनयिक अपनी Wolf Warrior Diplomacy के लिए जाने जाते हैं, लेकिन सीधे-सीधे अमेरिकी विदेश मंत्री और NSA सुलिवान को इसका स्वाद चखना पड़ेगा, इसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। हालांकि, White House में कमजोर बाइडन के रहते हुए भविष्य में भी हमें ऐसी ही घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं।