कोरोना वायरस संक्रमण से भारत के लगभग सभी राज्यों के हालात खराब हैं। ऐसे में बिहार से एक परेशान कर देने वाली खबर सामने आई है। सोमवार को बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और जनता दल यूनाइटेड के विधायक मेवालाल चौधरी का निधन हो गया। विधायक के मुख्य सचिव के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण का समय पर इलाज न होने की वजह से उनकी मौत हो गई। अब आप सोच सकते हैं बिहार में आम जनता की हालत कैसी होगी।
बिहार की चरमराती स्वास्थ्य सेवा का वर्णन विधायक मेवालाल चौधरी के मुख्य सचिव शुभम सिंह ने ही किया है। शुभम सिंह ने कहा कि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज विधायक की मौत को व्यक्तिगत क्षति बता रहे है, परंतु यह कोई नहीं जानता कि सत्ताधारी पक्ष के विधायक होने के बावजूद उन्हें अपने इलाज के लिए किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। सही समय पर इलाज न होने की वजह से उनकी मौत हो गई।
शुभम सिंह ने बताया कि, मेवालाल चौधरी बीते कुछ दिनों से बुखार से ग्रसित थे। कोरोना वायरस का लक्षण दिखने की वजह से उनका RT-PCR टेस्ट करवाया गया। इस बीच 15 अप्रैल को अचानक उनकी तबीयत ज्यादा खराब होने की वजह से उन्हें अस्पताल में कोरोना टेस्ट रिपोर्ट मांगी, लेकिन रिपोर्ट तब तक नहीं आया था। उसके बाद 16 अप्रैल को जब टेस्ट का रिपोर्ट आया फिर उन्हें अस्पताल में बेड मिला।
घटना की जानकारी विस्तार में लेते हुए शुभम सिंह ने आगे बताया कि, 15 अप्रैल को जो विधायक की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर मुंगेर से पटना लाया गया। पटना के IGIMS अस्पताल ने रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भर्ती करने से इनकार कर दिया। लेकिन, लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने RT-PCR टेस्ट का आग्रह किया। परंतु उसके रिपोर्ट आने में 2 से 3 दिन का समय लगता है और टेस्ट पॉजिटिव आने के पहले वे उन्हें भर्ती नहीं कर सकते थे।
उसके बाद मेवालाल चौधरी को IGIMS में बेड न मिलने पाने की वजह पारस अस्पताल लेकर आया गया, जहां उनके सीने की सीटी-स्कैन कराने पर गंभीर कोरोना संक्रमण पाया। पारस अस्पताल में आईसीयू बेड न मिलने के वजह से उन्हें इमरजेंसी में इलाज किया गया। 16 अप्रैल को देर रात उन्हे बेड मिला, फिर 18 अप्रैल को डॉक्टरों ने बोला की उनके फेफड़े सही तरह से काम से नहीं कर रहे हैं और उन्हें अब वेंटिलेटर पर रखा जाएगा। इसके बाद 19 अप्रैल को विधायक मेवालाल चौधरी की मौत हो गई।
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बिहार में जब VIP नेता को अस्पतालों के धक्के खाने पड़ सकता है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा, इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते है। इसके साथ ही एक सवाल उठता है कि, अगर किसी मरीज के अंदर कोरोना वायरस के सारे लक्षण है, तो क्या उसके इलाज के लिए रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ेगा?