सत्ता में रहने की चाहत और उसके लिए जनता को फ्री की चीजों का लालच देने की प्रथा ने कई राज्यों की अर्थव्यवस्था को डुबाने के कगार पर खड़ा कर दिया है। राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव से पहले फ्री में चीजों को बाँटने की घोषणा तो कर देती हैं लेकिन उसका असर राज्य कोष पर पड़ता है और जब आवश्यकता की घड़ी आती है तो सत्ता में बैठी पार्टियाँ अपने हाथ खड़े कर देती हैं। ऐसा ही उदहारण तमिलनाडु में देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के नेतृत्व में सत्ता पर बैठी AIADMK ने तमिलनाडु विधानसभा से पहले तो खूब freebies बाँटने का ऐलान किया परन्तु अब जब कोरोना के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए वैक्सीन बांटने का समय आया तो वैक्सीन की सप्लाई के लिए केंद्र को चिट्ठी लिखा जा रहा है। हालाँकि सभी राज्यों को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने भी 22 अप्रैल को घोषणा की थी कि वह 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त covid -19 की वैक्सीन की पेशकश करेगी। बावजूद इसके अब पलानीस्वामी केंद्र से वैक्सीन सप्लाई के लिए पत्र लिख रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन के दामों पर तमिलनाडु की सरकार ने सोमवार को कहा कि यह राज्यों पर अधिक वित्तीय बोझ डालता है और साथ ही केंद्र से वैक्सीन के डोज की आपूर्ति का आग्रह भी किया। यह पलानीस्वामी को चुनाव के दौरान फ्री की चीजों की घोषणा करते नहीं समझ आया।
मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने कहा कि राज्यों को उम्मीद है कि भारत सरकार चरण 3 में COVID-19 वैक्सीन की आपूर्ति करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र में, 18 मई से पूरे देश में चलने वाले इनोक्यूलेशन ड्राइव के तीसरे चरण से पहले, उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र “वैक्सीन की आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों का पता लगा सकता है, जिसमें संभव है कि वैक्सीन सभी को बांटा जाये”।
पलानीस्वामी ने अपने पत्र में लिखा है कि, “राज्य सरकारों के पास केंद्र सरकार की तुलना में राजकोषीय संसाधन बहुत कम होते हैं जिसके कारण राज्यों के ऊपर ऐसे वित्तीय बोझ डालना अधर्म है।“ पलानीस्वामी ने केंद्र से अनुरोध किया कि 18-45 आयु वर्ग के लोगों सहित सभी समूहों के लिए वैक्सीन की पूरी आवश्यक मात्रा की खरीद और आपूर्ति करे।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में covid-19 टीकाकरण के अगले चरण में एक नई नीति को अपनाने की घोषणा की थी, जिसमें 18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी गई है। यह टीका राज्य सरकारों द्वारा निर्माताओं से पूर्व-निर्धारित कीमतों पर खरीदा जाएगा।
अब इसी से घबरायी तमिलनाडु की सरकार केंद्र से राज्यों पर अधिक वित्तीय बोझ का बहाना बनाकर वैक्सीन की मांग कर रही है। तमिलनाडु में चाहे DMK की सरकार हो या AIADMK की दोनों ने ही चुनाव जीतने के लिए हर चुनाव में फ्री की चीजों को बाँटने की रेस लगाती हैं जिसका असर तमिलनाडु के कोष पर पड़ता है।
इसी वर्ष तमिलनाडु में पार्टियां राज्य के विधानसभा चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में मुफ्त वॉशिंग मशीन, टेबलेट, मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और गैस स्टोव से लेकर मुफ्त बस यात्रा तक का ऐलान कर रही थी। AIADMK महिलाओं के वोटों के लिए गृहिणियों को भत्ता देने का भी ऐलान कर चुका है। पलानीस्वामी सरकार ने पहले से ही सहकारी खेतों के ऋण, कृषि के लिए लिए गए गहना ऋण और महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लिए गए ऋणों को माफ़ कर दिया था। इन्हीं मुफ्त की पेशकश का परिणाम है कि 31 मार्च, 2020 तक राज्य का कर्ज 4.87 लाख करोड़ रुपये था। उम्मीद है कि मार्च 2022 में राज्य पर लगभग 5.7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज होगा।
यानी पलानीस्वामी के कहने का अर्थ यही हुआ न कि इन सब से राज्य पर वित्तीय बोझ नहीं पड़ता जबकि अतिअवाश्यक कोरोना वैक्सीन की खरीद से राज्य पर वित्तीय बोझ पड़ता है?
अन्नाद्रमुक और द्रमुक पार्टियों द्वारा मुफ्त की पेशकश के कारण ही आज राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हौ और कोरोना से पूरा राज्य पीड़ित है। अगर इन मुफ्त की पेशकश के बजाय मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश किया गया होता तो यह दिन न देखना पड़ता और साथ ही वैक्सीन केंद्र से मांगनी नहीं पड़ती।