पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रासंगिक रुप से दो ही मुख्य पार्टियां है- भाजपा और तृणमूल कांग्रेस। इन दोनों पार्टियों का चुनावी प्रचार- प्रसार का तरीका एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है। उदाहरण के लिए आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को ही देख लीजिए। पीएम मोदी अपनी रैली में ममता बनर्जी को दीदी कहकर संबोधित करते है। वहीं, दूसरी और ममता बनर्जी भारत के प्रधानमंत्री को गुजरात का गुंडा कहकर संबोधित करती है।
दरअसल, बात यह है कि ममता बनर्जी दक्षिण दिनाजपुर में रैली की और वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रैली में कहा कि “मैं कोई खिलाड़ी नहीं हूं लेकिन खेल कैसे खेलते हैं, ये मैं जानती हूं।“ उन्होंने आगे कहा कि “पहले लोकसभा में मैं सबसे बेहतरीन खिलाड़ी थी।”
ममता बनर्जी ने अपनी तारीफों के पुल बांधने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बारे में कहा, “मैं दिल्ली के दो गुंडों के हाथ बंगाल की सत्ता नहीं सौंप सकती हूं।” पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का अपनी अभद्र भाषा पर कोई नियंत्रण नहीं है। कुछ दिनों पहले ममता ने कोरोना के दूसरे वेव को ‘मोदी-निर्मित त्रासदी’ बताया था।
ममता बनर्जी ने अपनी रैली में कहा, “हम गुजरात को अपने राज्य पर कब्जा करने और दिल्ली से शासन चलाने नहीं देंगे। बंगाल पर बंगाल ही शासन करेगा।”
ममता बनर्जी की इन सभी बातों का विश्लेषण किया जाए तो, तीन बातें सामने निकल कर सामने आती है। पहला तो यह कि ममता बनर्जी को न अपने मुख्यमंत्री पद की गरिमा का ख्याल हैं और ना ही भारत के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पद की गरिमा का ख्याल है। ममता दीदी की बातों से मर्यादा नहीं बल्कि गुस्सा और ईर्ष्या टपकता है। वह राजनीतिक मतभेदों को व्यक्तिगत बना रही है। यह भारत की राजनीति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। बता दें कि ऐसी बातों से ममता बनर्जी को चुनाव में कोई फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री के ऊपर व्यक्तिगत हमले किए है, नतीजा यह हुआ कि आज कांग्रेस कुछ राज्यों तक सिमट कर रह गई है।
दूसरी बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस कोरोना के बढ़ते संक्रमण को मद्देनजर रखते हुए, अपनी रैलियों को कम करने की बात कही थी इसके साथ ही विशेष इंतेजाम करने की बात भी कही थी, लेकिन ममता दीदी धड़ा-धड एक-के-बाद एक रैलीयां किए जा रही है। 21 अप्रैल को ममता बनर्जी ने तीन रैलियों को संबोधित किया था। पर अब चुनाव आयोग के आदेश के बाद उन्हें अपनी रैलियां कैंसिल करनी पड़ी हैं। विशेष इंतेजाम तो छोड़ ममता बनर्जी की रैली में कोरोना संक्रमण को लेकर कोई इंतजाम नहीं दिखा। ना ही मास्क पहनने की कोई चेतावनी दी गई और न ही सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने का आग्रह।
This is from @MamataOfficial's rally. This rally happened TODAY in Dakshin Dinajpur. Just look at the crowd. pic.twitter.com/W30JvfUrbu
— Facts (@BefittingFacts) April 22, 2021
तीसरी बात यह है कि ममता बनर्जी के अंदर विधानसभा चुनाव को लेकर असुरक्षित महसूस कर रही है और साथ ही नतीजों के बारे में सोच कर बौखला रही है, क्योंकि गुजरात के गुंडे और बंगाल पर कोई बाहरी राज नहीं करेगा, केवल बंगाली ही बंगाल पर राज करेगा, जैसी बातों में डर और बोखलाहट साफ नज़र आ रही है। ममता दीदी तो बांग्लादेशियों को भी अपना मानती है, पर भारतवासियों (मोदी-शाह) को बाहरी मान रही है।
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बता दें कि, पश्चिमी बंगाल में 6 चरणों के चुनाव हो चुके हैं और अब ममता बनर्जी की हार सुनिश्चित हो चुकी है। अब तो बस 2 मई को आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। ऐसे में एक कहावत चरितार्थ होती है -दिया बुझने से पहले बड़ा फड़फड़ाता है।