कांग्रेस शासित राज्य कोरोना महामारी की लड़ाई में पूरी तरह से फ़ेल हो चुके हैं, जिसके बाद राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए अजीबो- गरीब बयान देना शुरू कर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का एक बयान सामने आया है, जिसमें वह कह रहे है कि, पंजाब के लोग इसलिए वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं, क्योंकि वो कृषि क़ानूनों को लेकर केंद्र सरकार से नाराज हैं।
वहीं दूसरी ओर अमरिंदर सिंह ने वाह-वाही लूटने के लिए बयान दिया था कि, “पंजाब सरकार ने टीकाकरण की शुरुआत देर से की है, फिर भी कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज है और राज्य में रोजाना 85,000-90,000 लोगों का टीकाकरण हो रहा है।“ इसके अलावा उन्होंने कहा कि, “यदि राज्य एक दिन में दो लाख टीकों के अपने लक्ष्य को पूरा करने में सक्षम है, लेकिन इसकी वर्तमान आपूर्ति केवल तीन दिनों तक ही चलेगी।”
अमरिंदर सिंह ने अपने इस बयान से अपना ही दोहरा रूप दिखा दिया है, क्योंकि एक तरफ वह दावा कर रहे है कि, पंजाब के लोग इसलिए वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं, क्योंकि केंद्र सरकार से पंजाब की जनता नाराज़ है। वहीं दूसरी तरफ दावा कर रहे हैं कि पंजाब में कोरोना वैक्सीन की कमी भी पड़ गई है।
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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जब उनकी टीम ने पंजाब में कोरोना वैक्सीनेशन की जमीनी स्तर पर जांच की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इस दौरान उन्होंने पाया कि मोहाली के सिविल अस्पताल का टीकाकरण संस्थान बंद पड़ा था। इतना ही नहीं वहां पर न कोई डॉक्टर था, न ही कोई स्टाफ और न ही कोई वैक्सीन लगवाने वाला कोई लाभार्थी।
इसके अलावा मोहाली हॉस्पिटल के मरीज और उनके घरवाले बिना मास्क लगाए पूरे हॉस्पिटल में घूम रहे थे। अस्पताल के अलावा मोहाली शहर में भी लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे थे। शहर के साथ ही धार्मिक स्थलों पर भी ऐसा ही आलम देखने को मिला। रिपोर्ट में पंजाब के कई शहरों में ICU बेड्स की भारी कमी का ज़िक्र किया गया है, जिनमें होशियारपुर, लुधियाना, अमृतसर, SAS नगर, SBS नगर, जालंधर, पटियाला और रूपनगर आदि शहर शामिल हैं। गौरतलब है कि पंजाब में कोरोना वायरस के ज़्यादातर मामले इन्हीं शहरों से सामने आ रहे हैं।
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गौरतलब है कि, पंजाब में हर रोज 3,000 के करीब कोरोना वायरस के नये मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार अपने प्रशासन पर ध्यान देने के बजाय केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है। एक बार अमरिंदर सिंह की बात मान भी लें कि, लोग कृषि क़ानूनों से नाराज़ होकर वैक्सीन नहीं लगवा रहे है, तो यह मुख्यमंत्री की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह लोगों को समझायें और उन्हें टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करें।