तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन अपनी बेतुकी बयानबाजी के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में कांग्रेस के हाथों की कठपुतली साकेत गोखले को दिये गए इंटरव्यू में ब्रायन ने 1 नहीं 3 तीन बेतुके बयान दिये। पहला, “सबसे पहले हमें मोदी –शाह को हटाना पड़ेगा, बाकी भाजपा को हम बाद में देख लेंगे।” दूसरा यह है कि, “चुनाव आयोग कोरोना संक्रमण के समय में भी 8 चरणों में चुनाव करा रहा है, इसके पीछे एक ही लक्ष्य है भाजपा को जिताना।” तीसरा यानि आखरी बेतुका बयान यह है कि, “भले ही CPI ने तृणमूल के कार्यकर्ताओं को जान से मारा है, लेकिन इसके बावजूद भी हमारी सबसे बड़ी विरोधी पार्टी भाजपा ही है।”
बता दें कि साकेत गोखले ने क्लब हाउस चैट लीक के बारे में चर्चा करने के लिए डेरेक ओ ब्रायन का इंटरव्यू लिया था। इंटरव्यू के बयान पर अगर हम गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है: तृणमूल नेता को मोदी –शाह से राजनीतिक मतभेद कम और उनसे निजी नफरत ज़्यादा है। इंटरव्यू में ब्रायन ने लोकतंत्र के संरक्षक चुनाव आयोग को भी नहीं बक्शा।
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अगर हम डेरेक ओ ब्रायन की तीनों बातों का विश्लेषण करें तो तृणमूल कांग्रेस की विचारधारा का पर्दाफाश होगा। ब्रायन की पहली बात से मोदी –शाह के प्रति नफरत और डर दोनों साफ- साफ झलक रहा है। ब्रायन के बयान से ज़ाहिर हो रहा है कि तृणमूल कांग्रेस की नाव में मोदी-शाह छेद कर चुके हैं इसलिए हताश होकर ब्रायन मोदी शाह को चुनाव प्रचार से हटाना चाहते है।
ब्रायन के दूसरे बयान पर अगर गौर करें तो, ब्रायन का यह बयान पहले से अलग है,लेकिन इसके पीछे के भाव वही हैं। ब्रायन तृणमूल कांग्रेस की होने वाली हार का जिम्मेदार चुनाव आयोग को ठहरा रहे हैं। बस यह जरूर नया है कि इस बार विपक्षी दल चुनाव नतीजे आने से पहले ही चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इसका तात्पर्य यह निकलता है कि तृणमूल कांग्रेस की हार निश्चित है।
ब्रायन का आखरी बयान को अगर आप देखे तो यह समझ आता है कि, भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस किसी भी हद तक गिर सकती है। ब्रायन खुद स्वीकार कर रहे हैं कि तृणमूल के कार्यकर्ताओं की जान की कीमत उनके निजी राजनीतिक फ़ायदों से कम है। वो भाजपा को हराने के लिए अपने कार्यकर्ताओं पर हुए आत्याचार को भी भूल गए हैं।


























