ऐ दिल है मुश्किल और अमेरिकी प्रशासन में क्या समानता है? नहीं समझे? अरे दोनों ही मामलों में प्रमुख पात्र एकतरफा प्यार में पड़ता है, ये जानते हुए भी कि सामने वाला उसे तनिक भी भाव नहीं देता। कुछ ऐसा ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ देखने को मिल रहा है, जो फिलिस्तीन पर बेहिसाब प्यार लुटा रहे हैं, लेकिन मजाल है कि फिलिस्तीन उसे भाव भी दे दे।
अभी हाल ही में अमेरिका फिलिस्तीन के प्रति कुछ ज्यादा ही नरमी दिखा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन फिलिस्तीन को दिखाए जा रहे बेहिसाब प्यार के जरिए इज़रायल को, और विशेषकर इज़रायल के वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू को ‘कड़ा सबक’ सिखाना चाहते हैं, जिनके साथ बाइडन के तब से मतभेद हैं, जब वे अमेरिका के उपराष्ट्रपति हुआ करते थे।
इतना ही नहीं, अति उदारवादी होने के कारण बाइडन प्रशासन अल्पसंख्यक तुष्टीकरण से भी बाज नहीं आ रहे हैं, और फिलिस्तीन पर तो बाइडन सरकार कुछ ज्यादा ही प्यार लुटा रही है। उदाहरण के लिए व्हाइट हाउस ने बिना विचार विमर्श किए गुपचुप तरीके से हाल ही में दो हफ्तों में तीसरी बार फिलीस्तीनियों के लिए वित्तीय सहायता भेजी है, और हर बार रकम बढ़ाके भेजी है, जिसका रिपब्लिकन सांसदों ने भारी विरोध भी किया है –
लेकिन इतनी जी हुज़ूरी का आश्चर्यजनक रूप से फिलिस्तीन पर कोई असर नहीं पड़ा है। फिलिस्तीन का रुख स्पष्ट है – जब तक वेस्ट बैंक पर अमेरिका बिना किसी शर्त के फिलिस्तीन का दावा नहीं स्वीकारेगा, कोई बातचीत आगे नहीं बढ़ेगी। अभी फरवरी 2021 में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री महमूद अब्बास से बात करने का प्रयास किया था, लेकिन महमूद ने ये कहते हुए फोन काट दिया कि अगर बात होगी तो सीधा जो बाइडन से होगी, वरना नहीं होगी।
तब से डेढ़ महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक बाइडन प्रशासन की बात आगे नहीं बढ़ी। इसके बावजूद बाइडन सरकार फिलिस्तीन की खुशामद करने में जुटी हुई है। इन्हीं निर्णयों की वजह से जो बाइडन के नेतृत्व में अमेरिका आज विश्व भर में हंसी का पात्र बना हुआ है।