कांग्रेस की राजनीति इतनी विचित्र है, कि जो भी उसका या उसके किसी नेता का मजाक उड़ाता है, या विरोध करता है, तो पार्टी के नेता पूरे लाव-लश्कर के साथ उस विरोधी पर हमला बोल देते हैं। उसका एक हालिया उदाहरण मुंबई कांग्रेस का एक विरोध प्रदर्शन है, और इस विरोध का कारण केवल ये था कि एक फूड कंपनी के विज्ञापन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का मजाक उड़ाया गया था। मुंबई कांग्रेस के नेताओं ने अपने विरोध प्रदर्शन में कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाईं और कंपनी के दफ्तर पर तोड़-फोड़ कर डालीं। कांग्रेस जो अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, एक विज्ञापन के कारण पुनः उसका दोगला चरित्र सामने आ गया है।
कांग्रेस के नेताओं का हास्य-व्यंग्य के जरिए मजाक उड़ाना लोगों को कितना अधिक भारी पड़ सकता है, इसका पता तभी चलता जब कांग्रेस शासित राज्य में इससे संबंधित घटना होती है। महाराष्ट्र में हमने देखा है कि कि सोनिया गांधी का असली नाम एंटोनिया माइनो कहने पर रिपब्लिक नेटवर्क के पत्रकार के साथ किस तरह से मारपीट की गई थी, कुछ उसी तरह अब मुंबई की Storia Foods नामक एक कंपनी को अपने विज्ञापन के कारण कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के रोष का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, कंपनी के एक विज्ञापन में सोनिया और राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि विज्ञापन के जरिए सोनिया और राहुल का मजाक उड़ाया गया है। इस मुद्दे को लेकर मुंबई कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कंपनी के दफ्तर के सामने भारी संख्या में जुटकर विरोध प्रदर्शन किया। इतना हीं नहीं इन लोगों ने इस दौरान कंपनी के दफ्तर में तोड़-फोड़ भी की है, जिसके चलते कांग्रेस पर सवाल खड़े हो गए है। हालांकि, बाद में ये भी सामने आया है कि पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
ये सभी कार्यकर्ता लगातार सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समर्थन में नारे लगा रहे थे, लेकिन इससे कांग्रेस पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में कोई विपक्षी पार्टी है, वो सत्ता में भागीदार है। ऐसे में जब कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण पहले ही महाराष्ट्र बदनाम है, तो उसी वक्त इस तरह के विरोध प्रदर्शन से कांग्रेस पर ही सवाल खड़े हो गए है़ं, क्योंकि इन सभी कार्यकर्ताओं ने कोविड प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं।
वहीं, इस मामले में अब पुलिस ने उस फूड कंपनी के दफ्तर की सुरक्षा अतिरिक्त बढ़ा दी है लेकिन इस पूरे प्रकरण से एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं, कि एक साधारण से विज्ञापन से जिस कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाएं आहत हो जाती हैं, वो देश में कथित असहिष्णुता के लिए किसी और को जिम्मेदार कैसे ठहरा सकती है, और यही कांग्रेस का दोगला चरित्र है।