भारत में पिछले कुछ सालों में नक्सल हमलों की संख्या कम होने लगी थी कि तभी उम्मीद जागी कि भारत नक्सलवाद के चंगुल से आजाद हो जाएगा, किन्तु धीरे-धीरे भारत के रेड कॉरिडोर के नाम से कुख्यात झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद फिर से सिर उठा रहा है। इन राज्यों में हिंसा की घटनाओं में पिछले एक डेढ़ सालों में काफी वृद्धि हुई है।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 अप्रैल को नक्सलियों ने NH30 पर जमकर उत्पात मचाया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, “नक्सलियों ने 26 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया था, लेकिन नक्सली 25 अप्रैल को नेशनल हाईवे पर जमा हो गए और करीब एक घंटे तक उत्पात मचाते रहें। उन्होंने देर शाम को 400 मीटर के दायरे में 7 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। साथ ही मौके पर पर्चे व बैनर भी लगाए, जिसमें भारत बंद का जिक्र किया गया।“
सुकमा एसपी के एल ध्रुव ने बताया कि “रविवार देर शाम 7 बजे एनएच 30 पर स्थित एर्राबोर थाने से करीब 2 किमी दूर वर्दीधारी व ग्रामीण वेशभूषा में 100 से अधिक नक्सली आ धमके। एनएच 30 पर पेड़ काटकर डाला गया और सुकमा की ओर से आ रहे वाहनों को रोका गया। नक्सलियों ने वाहन चालकों को नीचे उतारकर उनके मोबाइल ले लिए फिर डीजल टैंक को फोड़ा और उसे वाहनों पर डालकर उनमें आग लगा दी। इसी तरह वहां आने वाले सभी वाहनों को एक-एक कर रोका गया और सात वाहनों में आग लगा दी। वाहन चालकों को नक्सलियों ने वहां से भगा दिया। पुलिस एक घंटे बाद मौके पर पहुंची, तब तक नक्सली भाग चुके थे।”
हाल फिलहाल में हुई यह पहली नक्सल हिंसा की घटना नहीं है। 12 अप्रैल को सुकमा में ही, घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मिनपा में, जहां सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, वहां भारी मात्रा में आईईडी विस्फोटक मिला था। हालां,कि, जवानों ने इसे डिफ्यूज कर दिया जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। इसके पहले सुकमा में ही एक वर्ष पूर्व एक मुठभेड़ में 17 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। नक्सलियों ने इस हमले में 12 AK 47 समेत 16 हथियार लुटे थे।
हाल ही में, बीजापुर में 3 अप्रैल को भी बड़ा नक्सल हमला हुआ था, जिसमें 22 सुरक्षा जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसके बाद इस क्षेत्र में नक्सलवाद के खात्मे के लिए गृह मंत्रालय कि ओर से अभियान तेज कर दिया गया है।
वहीं, झारखंड कि बात करें, तो वर्ष 2020 में झारखड में कुल 27 मर्डर, 17 आगजनी, 6 बम विस्फोट सहित कुल 121 छोटे बड़े हमले हुए। मार्च महीने में पश्चिमी सिंहभूमि के क्षेत्र में हुए नक्सली हमले में बम विस्फोट कि वजह से 3 जवानों को अपनी जान गवानी पड़ी वहीं २ जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
सम्भवतः इसे मात्र संयोग ही समझा जाए, जैसे ही इन दोनों राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ हिंसा कि घटनाएं तेज हो गई। इसका एक कारण झारखण्ड में हेमंत सोरेन सरकार और छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार की राजनितिक इच्छाशक्ति में कमी है। ये दोनों सरकारें नक्सलवादियों के खिलाफ ढुलमुल रवैया अपनाएं हुए हैं। जिसके कारण नक्सलियों का मनोबल बढ़ गया है। नक्सली विकास कार्यों को निशाना बना रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है क्षेत्र के विकास से उनका प्रभाव समाप्त हो जाएगा। झारखंड और छत्तीसगढ़ खनिज सम्पदा के मामलें में सबसे संवृद्ध राज्य हैं। ऐसे में उनके विकास के बिना भारत का आर्थिक विकास सम्भव ही नहीं है। भारत लोहा, कोयला जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रह सकता। आत्मनिर्भर भारत कि सफलता छत्तीसगढ़ और झारखंड के विकास में ही है और यह तभी संभव है जब यहाँ कि राज्य सरकारें केंद्र की तरह ही नक्सलवाद का फन कुचलने के लिए कोई ठोस नीति बनाएं।