किसी व्यक्ति के विरोध में आप उसकी आलोचना करो, ये कोई बुरी बात नहीं। लेकिन एक व्यक्ति की आलोचना में समाज से लेकर संस्कृति और राष्ट्र को नीचा दिखाना कौन से स्तर की समझदारी है, ये शायद ही किसी को समझ में आएगा। एक बार फिर निम्नतम स्तर की राजनीति करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने सनातन धर्म पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया है।
हाल ही में तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने हुंकार भरते हुए कहा कि जल्द ही तमिलनाडु से पेरियारवाद का विष समाप्त होगा, जिसके लिए भाजपा अपना सर्वस्व अर्पण करने को तैयार होगी।
इस पर पी चिदंबरम भड़क गए और उन्होंने तमिल भाषा में एक थ्रेड छापते हुए लिखा, “मैं हाल ही में भाजपा सांसद द्वारा पेरियार के विचारधारा को नष्ट करने की बात करने की निन्दा करता हूँ। इन्हें पता भी है पेरियार कौन है? ये वही थे जिन्होंने तमिल समुदाय को उनकी पहचान दी, ये वही थे जिन्होंने सनातन धर्म के विष के विरुद्ध मोर्चा संभाला”।
தமிழ்நாட்டில் ‘பெரியாரிசம்’ (பெரியார் கொள்கையை) ஒழிக்கவே பாஜக இங்கு வந்திருக்கிறது என்று பாஜக தலைவர் மற்றும் நாடாளுமன்ற உறுப்பினர் ஒருவர் கூறியுள்ளதை வன்மையாக கண்டிக்கிறேன்
‘சனாதன தர்மம்’ என்ற நச்சுக் கொள்கையை எதிர்த்துப் போராடி வென்றவர் தந்தை பெரியார்
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 5, 2021
यह बयान बेतुका और अपमानजनक है। ये वही पी चिदंबरम है जिनके लिए भगवा आतंकवाद कट्टरपंथी इस्लाम से भी अधिक खतरनाक है। ये वही पी चिदंबरम हैं, जिनके दबाव में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख के एनकाउन्टर के झूठे आरोप में ढाई वर्षों तक गुजरात में प्रवेश नहीं करने दिया गया। ये वही पी चिदंबरम है जिनके बतौर गृह मंत्री रहते हुए न केवल बाटला हाउस एनकाउन्टर को झूठा सिद्ध करने की जी तोड़ कोशिश की गई, अपितु इशरत जहां को आतंकी सिद्ध करने वाले दस्तावेज़ भी रहस्यमयी तरीके से गायब कर दिए गए।
ऐसे में पी चिदंबरम का ट्विटर थ्रेड केवल और केवल तमिलनाडु में भाजपा के बढ़ते प्रभाव के प्रति उनकी कुंठा को दर्शाता है। लेकिन शायद वे ये भूल रहे हैं कि अब हिंदुओं को अपमानित कर और उनकी संस्कृति पर कीचड़ उछालकर आपको न तो वोट मिलेंगे और न ही जनता का समर्थन। कुछ नहीं तो उन्हें दिल्ली और केरल से ही सीख लेनी चाहिए थी।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अरविन्द केजरीवाल खुलेआम भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा दे रहे थे, और भाजपा ने जवाब में उनके छल प्रपंच को भी मुंहतोड़ जवाब दिया। लेकिन जब केजरीवाल को आभास होने लगा कि मामला हाथ से निकल सकता है, तो उन्होंने मंदिरों के दर्शन करने शुरू कर दिए और अपने आप को हिन्दू सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब यह अलग बात है कि चुनाव के ठीक दो हफ्ते बाद रिटर्न गिफ्ट में सत्ताधारी पार्टी ने पूर्वोत्तर दिल्ली को दंगों की सौगात दी थी।
इसी भांति केरल में भी सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी अभी खुलेआम हिन्दू विरोधी बयान देने से बच रही है, ताकि हिंदुओं का वोट उनके हाथ से न जाने पाए। लेकिन लगता है चिदंबरम ने पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं लिया है, और मोदी विरोध के नाम पर वे सनातन धर्म तक को ‘विषैला’ सिद्ध करने में जुट गए हैं। इससे आगामी चुनावों में कांग्रेस को और बड़ा घाटा झेलना पड़ सकता है फिलहाल. चिदंबरम पर इस समय एक ही कहावत सटीक बैठती है, ‘विनाश काले विपरीते बुद्धि’ ।