पंजाब में कृषि विरोधी कानून आंदोलन के बीच, मोदी सरकार ने 15 अप्रैल तक राज्य से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 18.24 लाख टन गेहूं की खरीद की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र ने एमएसपी को Direct Benefit Transfer के माध्यम से पंजाब में किसानों के खाते में कुल 13.71 करोड़ स्थानांतरित किए हैं। यानी केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया से राज्य के लाखों किसानों को उनका हक़ उनके बैंक अकाउंट में भेज दिया है। इससे न सिर्फ किसान खुश हैं बल्कि मोदी सरकार की तारीफ भी कर रहे हैं।
दरअसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा खरीदे गए गेहूं के लिए MSP के ऑनलाइन हस्तांतरण के तहत केंद्र की मोदी सरकार ने पंजाब में लगभग 1.6 लाख किसानों को 13.71 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की है।
इसी से पंजाब के पहले दो direct benefit transfer के लाभार्थी – रूपनगर जिले के भुरारा गाँव के तारलोचन सिंह (48) और पटियाला के नीलपुर गाँव के दलीप सिंह (39) इस नई प्रणाली की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे।
दिलीप सिंह का कहना है कि, “यह सबसे अच्छी प्रणाली है। हमारे खाते में हमारी फसल के लिए भुगतान से बेहतर क्या हो सकता है? इससे पहले, कमीशन एजेंट हमें एक चेक दिया करते थे। अपनी फसल को मंडी में ले जाने के बाद, सब कुछ एजेंट के हाथ में था। हमारे खतों में रुपये आने में समय लगता है, क्योंकि कर्ज को चुकाने के बाद भी एजेंट किसी न किसी प्रकार से भुगतान को रोकने का बहाना ढूंढते थे। ”
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) दकौंडा के महासचिव और किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि, “नई प्रणाली से किसान के जीवन में एक बड़ा दिन लेकर आया है – उसने पहली बार अपनी फसल की कीमत अपने हाथ में मिली है वो भी दूसरों पर निर्भर रहे बिना।“
बता दें कि केंद्र सरकार वर्ष 2015-2016 के बाद से ही डीबीटी की प्रक्रिया को लागू करने की कोशिश में जुटी थी, परन्तु कमीशन एजेंटों और पंजाब सरकार के कड़े प्रतिरोध के यह सफल नहीं हो रहा था। इस बार केंद्र सरकार ने किसी की भी नहीं सुनी और किसानों को सीधे उनके खाते में MSP भेजने के नियम को लागु किया।
पंजाब सरकार किसानों के लिए पारंपरिक आढ़तियों पर आधारित भुगतान प्रणाली के पक्ष में थी जो वर्षों से चल रहा था। खरीद प्रक्रिया से ठीक पहले भी पंजाब की कांग्रेस सरकार यह प्रयास करती रही कि उसे छूट मिल जाये, जिसे मोदी सरकार ने अस्वीकार कर दिया। पंजाब में खरीद प्रक्रिया 10 अप्रैल से शुरू हुई, जबकि हरियाणा में यह 1 अप्रैल से शुरू हुई। अगले वर्ष विधान सभा चुनावों को देखते हुए किसानों के चहरे पर ख़ुशी आना पंजाब की अमरिंदर सरकार के लिए एक चेतावनी है।