भारत के दुश्मनों के लिए DRDO की ओर से एक और खतरनाक खबर सामने आई है। DRDO ने गोवा में स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में खतरनाक इज़रायली मिसाइल पाइथन-5 को फिट कर उसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह मिसाइल दुश्मनों के फाइटर जेट्स, helicopters और drones को पलक झपकते ही मिट्टी में मिलाने की क्षमता रखती है। आधुनिक युद्धों और सैन्य टकराव के दौरान जिस प्रकार Drones का इस्तेमाल बढ़ा है, उसको देखते हुए यह भारत की बड़ी उपलब्धि है। लद्दाख में चीन और कश्मीर में पाकिस्तान जिस प्रकार भारत के खिलाफ अपने Drones को इस्तेमाल करता रहा है, उसके बाद अब भारत द्वारा किया गया परीक्षण इन देशों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है।
Video of Python-5 firing from Tejas pic.twitter.com/45omOdzWes
— DRDO (@DRDO_India) April 28, 2021
सबसे पहले तेजस पर लगाई गयी इजरायल में बनी इस पाइथन मिसाइल के बारे में जान लेते हैं। यह मिसाइल दुश्मन के विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को को पलक झपकते ही धराशायी कर सकती है। यह इंफ्रारेड और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग के जरिए गाइड होती है। इसकी रेंज 20 किलोमीटर है। यानी दुश्मन का जहाज, helicopter या ड्रोन अगर 20 किलोमीटर दूर पर हवा में स्थित हैं और वह दिखाई नहीं दे रहा है तो भी यह उसे नष्ट कर देगी। पाइथन-5 मिसाइल एक बार अगर अपने टार्गेट को लॉक कर लेती है तो फिर उसे बर्बाद किए बगैर नहीं छोड़ती है।
Modern Warfare में drones का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है और ऐसे में भारत का यह परीक्षण बेहद अहम माना जा रहा है। लद्दाख में चीन अक्सर भारत पर निगरानी रखने के लिए अपने इन्हीं drones का सहारा लेता है। LAC पर चीन अक्सर अपने AR500C drones का इस्तेमाल करता है, जो 5 हज़ार मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। चीन का यह ड्रोन पांच घंटे तक उड़ान भर सकता है। इसके अधिकतम स्पीड 170 किलोमीटर है और यह अधिकतम 500 किलोग्राम वजन उठा सकता है। हालांकि, भारत भी यहाँ चीन पर निगरानी रखने के लिए इजरायल में बने हेरॉन ड्रोन का इस्तेमाल करता है, जो लगातार 24 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं।
भविष्य में अगर भारत और चीन के बीच गतिरोध बढ़ता है और दोनों देशों के बीच कोई सैन्य टकराव होता है तो इसमें Drone Warfare की अहम भूमिका होगी। पिछले वर्ष हुए अर्मेनिया-अज़रबैजान के युद्ध में दुनिया देख चुकी है कि किस प्रकार drones रणक्षेत्र की पूरी सूरत बदलने में सक्षम है। अर्मेनिया जहां सिर्फ अपने Tanks, helicopters और फाइटर जेट्स के सहारे युद्ध लड़ता रहा तो वहीं अज़रबैजान ने तुर्की के आधुनिक Bayraktar TB2 drones की सहायता से अर्मेनिया की सेना को लाचार कर दिया। युद्ध में अर्मेनिया को अज़रबैजान के मुक़ाबले 6 गुना अधिक नुकसान झेलना पड़ा!
ऐसे वक्त में DRDO ने इजरायल की खतरनाक मिसाइल को तेजस पर फिट कर उसका सफलतापूर्वक परीक्षण कर चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को कड़ा संदेश भेजा है। भारत ना सिर्फ Drones के खिलाफ अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत कर रहा है, बल्कि वह अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा करने के लिए करीब 22 हजार करोड़ रुपये की लागत से अमेरिका से 30 सशस्त्र ड्रोन की खरीद का बड़ा समझौता करने की योजना बना रहा है। भारत की पूरी कोशिश है कि आधुनिक Drone warfare में वह आधुनिक चुनौतियों के मद्देनज़र ही अपनी सैन्य तैयारी करे! इसमें भारत सरकार को DRDO से भरपूर समर्थन मिल रहा है।