एक कहावत है कि होनहार लोग काम करते हैं जबकि अकर्मण्य लोग छाती पीटते रहते हैं। कुछ ऐसा ही महाराष्ट्र, दिल्ली और योगी आदित्यनाथ के शासन वाले उत्तर प्रदेश के साथ भी हुआ है। तीनों राज्यों में कोरोनावायरस की दूसरी वेव के कारण ऑक्सीजन की भारी कमी है, लेकिन अकर्मण्यता और काम करने की लगन का पता ऐसे ही वक्त में चलता है। एक तरफ जहां महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ऑक्सीजन के लिए केन्द्र सरकार के सामने झोली फैलाकर खड़े हो गए हैं, तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश ने अपना ही लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट बनाने की तैयारी कर ली है जो कि एक सराहनीय कदम है।
महाराष्ट्र कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा पीड़ित है, यही कारण है कि वहां ऑक्सीजन सिलेंडरों की भारी कमी पड़ गई है। कुछ इसी तरह राजधानी दिल्ली में भी गंभीर मरीजों के लिए ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तक इस मुद्दे पर मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार ध्यान नहीं दे रही। केजरीवाल तो आरोप लगाते हुए यहां तक कह गए कि दिल्ली के हिस्से की ऑक्सीजन भी दूसरे राज्यों को दी जा रही है। साफ है कि इन दोनों ही राज्यों की सरकारों के मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर केवल रोना रोकर राजनीति कर रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश इस बीच अपवाद बन गया है।
उत्तर प्रदेश में भी इस वक्त ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है, जिससे अस्पतालों में समस्याएं आ गईं हैं। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की मोदी सरकार के सामने रोना रोने से बेहतर काम करने को समझा, और साफ कह दिया कि उत्तर प्रदेश में किसी को भी आक्सीजन की कमी नहीं होने देंगे। इस मामले में उत्तर-प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि डीआरडीओ की मदद से राज्य में ऑक्सीजन के नए प्लांट तैयार किए जाएंगे, जिससे प्रदेश में कमी पूर्णतः खत्म हो जाएगी।
इस मामले में सहगल ने बताया, “DRDO ने प्रस्ताव दिया है जिसमें वे 15 दिन के अंदर 10 नए प्लांट बनाएंगे। इन प्लांट में हवा से ऑक्सीजन तैयार की जाएगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आदेश दिया है कि एक हफ्ते के अंदर ये सारे प्लांट शुरू कर दिए जाएं।” वहीं प्रदेश की राजधानी में बने SGPGI से मिली खबरों के अनुसार यहां करीब 20,000 लीटर का ऑक्सीजन का प्लांट तैयार किया गया है, जिससे न केवल लखनऊ बल्कि अन्य जिलों को भी ऑक्सीजन मुहैया कराई जाएगी। इतना ही नहीं योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों में कोविड अस्पतालों की संख्या क़ो बढ़ाने का आदेश भी जारी कर दिया है।
सभी जिलों में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल की संख्या बढ़ाई जा रही है।
एल-2 व एल-3 स्तर के अस्पतालों की संख्या में लागातर बढ़ोतरी की जा रही है: ACS, सूचना, श्री @navneetsehgal3 जी@sanjaychapps1@ShishirGoUP
— Government of UP (@UPGovt) April 17, 2021
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रवासियों का लौटना शुरू हो गया है, ऐसे में अब सरकार लोगों को क्वारंटीन करने और इनके लिए जरूरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम करने में जुट गईं है। अपर सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक लक्षणयुक्त लोगों को 14 दिन और बिना लक्षण वालों को 7 दिन के होम आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था की गई है। खास बात ये है कि महाराष्ट्र से लौटे प्रवासियों के लिए क्वारंटीन की सुविधा को अधिक महत्व दिया जा रहा है, जिसकी बड़ी वजह महाराष्ट्र का कोरोनावायरस का मुख्य गढ़ होना है। साथ ही सरकार इन प्रवासियों को 1000 रुपए का भत्ता देने की तैयारी भी कर रही है।
इसमें कोई शक नहीं है कि संसाधनों के लिहाज से उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और दिल्ली से पीछे ही है। इसके बावजूद कोरोनावायरस से लड़ाई में यूपी अभी तक नंबर वन रहा है। ऑक्सीजन का मुद्दा इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार शिकायत और सुविधाओं का रोना रोने के बजाए खुद संसाधनों को पैदा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो कि उसके अव्वल रहने की मुख्य वजह है।
महाराष्ट्र और दिल्ली आक्सीजन की कमी को लेकर केन्द्र के सामने झोली फैलाकर खड़े हो गए, जिसके बाद केंद्र द्वारा कहा गया है कि महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने के बाद दिल्ली को भी मुहैया कराई जा रही है। ऐसे में सीएम योगी भी अपनी जिम्मेदारियों से आसानी से पल्ला झाड़ कर उद्धव और केजरीवाल की तरह केंद्र से मदद मांग सकते थे, लेकिन उन्होंने खुद को मजबूत करने के लिए अपने ही संसाधनों में विस्तार का प्लान बनाया जो कि उनकी दूरदर्शिता का प्रारिचायक हैं। उनकी यही विशेषता उन्हें अन्य मुख्यमंत्रियों से भिन्न बनती है।