इसमें कोई शक नहीं है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के लिए ये विधानसभा चुनाव सबसे कठिन है। इसे कठिन बनाने में बीजेपी की भूमिका सबसे अहम है, जिसके चलते ममता ने अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर को छोड़कर टीएमसी के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी की नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ रही हैं।
नंदीग्राम में मतदान होने के बाद अब ऐसा लग रहा है कि यह सीट भी ममता के हाथ नहीं आने वाली है। ऐसे में बीजेपी नेताओं द्वारा दावे किए जा रहे हैं कि ममता बनर्जी अंतिम चरण में मुस्लिम बहुल सीट बीरभूम से भी चुनाव लड़ सकती हैं। बीजेपी नेताओं के दावों के सच होने की संभावनाएं अधिक हैं, क्योंकि शुभेंदु के लिए नंदीग्राम की जनता का जोश ममता को डरा रहा है।
ममता बनर्जी ने बीजेपी के डर से अपनी परंपरागत विधानसभा सीट भवानीपुर छोड़ दी। इसका बड़ा कारण यह था कि पिछले चुनावों में यहां भाजपा प्रत्याशी को जनता ने खूब पसंद किया था और ममता से उनका फासला बहुत ही कम रह गया था। ऐसे में ममता ने अपने बागी नेता शुभेंदु को सबक सिखाने के लिए नंदीग्राम की सीट से चुनाव लड़ा।
अब नंदीग्राम में मतदान हो चुका है। मतदान के दौरान हुए बवाल इस बात का संकेत देने लगे हैं कि नंदीग्राम की जंग ममता के लिए एकतरफा नहीं होगी। ऐसे में ममता की बढ़ती चिंताएं उन्हें दूसरी सीट पर जाने के लिए मजबूर कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी दावा कर रहे हैं कि ममता अंतिम चरण में एक अन्य विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती है।
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शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि ममता बीरभूम से चुनाव लड़ सकती हैं, क्योंकि वो मुस्लिम बहुल सीट है। ममता इस सीट को अपने लिए सुरक्षित मान रही हैं। उन्होंने कहा, “उनको (ममता) मालूम है कि वह पश्चिम बंगाल में राजनीतिक जमीन खो चुकी हैं। मेरे पास खास जानकारी है कि वह अब बीरभूम इलाके की अल्पसंख्यक बहुल सीट से अंतिम चरण में पश्चिम बंगाल 2021 का चुनाव लड़ेंगी।“
दूसरी ओर पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में भी यही कहा है कि ममता दीदी अंतिम चरण में किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। साफ है कि बीजेपी नंदीग्राम में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। ममता के किसी दूसरी सीट से चुनाव लड़ने की खबरों और जनता के बीच जा रहे नकारात्मक प्रभाव को लेकर टीएमसी अब बचाव में आ गई है।
टीएमसी का कहना है कि बीजेपी इस बात को लेकर भ्रम फैला रही है, क्योंकि ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव जीत चुकी हैं। इसलिए ममता को लेकर पीएम मोदी और शुभेंदु बेतुके बयान दे रहे हैं।
इस पूरे मामले को लेकर टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, “कोई भ्रम नहीं है … ममता बनर्जी ने नंदीग्राम जीता है। वह किसी अन्य सीट से नहीं लड़ रही हैं। यह काम में भाजपा की गंदी चाल है। स्पष्ट करने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि वह नंदीग्राम जीत रही है और तृणमूल बंगाल जीत रही है। “
टीएमसी ने भले ही इस बात को खारिज कर दिया है, लेकिन ममता पहले ही प्रत्याशियों के ऐलान के दौरान कह चुकी हैं कि वो टॉलीगंज से भी चुनाव लड़ सकती है। ऐसे में ममता अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह हरकतें कर रही हैं।
दिलचस्प बात यह है कि नंदीग्राम में मतदान हो चुका है। ममता अपनी जीत को लेकर आत्मविश्वास दिखाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन शुभेंदु के गढ़ में लड़ने के कारण वे डरी हुई हैं। उन्हें पता है कि चुनाव नतीजों के बाद ऐसी स्थितियां भी आ सकती हैं कि उनके पास सीएम क्या विधायकी भी न रहे। ममता ने देखा है कि नंदीग्राम की सीट पर किस तरह से बहुसंख्यक समाज के लोगों ने शुभेंदु अधिकारी का समर्थन किया है। ममता को पता है कि भले ही अल्पसंख्यक समाज के लोगों ने उन्हें वोट दिया हो, लेकिन बहुसंख्यक समाज के वोटों के बिना उनका जीतना असंभव है। ऐसे में ममता के लिए नंदीग्राम के सीट अब सुरक्षित नहीं रही है।
इसीलिए ममता अंदरखाने किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ने की प्लानिंग कर रही हैं। ये ठीक उसी तरह की स्थिति है जैसी लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी की थी और हार सामने देख वो अमेठी छोड़ एक नए विकल्प के लिए केरल के वायनाड चले गए थे। कुछ उसी तरह अब ममता भी नंदीग्राम के मतदान होने के बाद एक अन्य विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।