चीन ने ऑस्ट्रेलिया को प्रतिबंध न लगाने की धमकी दी तो मॉरिसन सरकार ने बखिया उधेड़ डाली

"हम तुम्हारी धमकी से नहीं डरने वाले"

चीन

चीन अपनी गलतियों से सीख लेने की बजाय अब भी इसी गलतफहमी में है कि वह सख्त रुख दिखाकर ऑस्ट्रेलिया को CCP के सामने झुकने पर मजबूर कर सकता है। इसी कड़ी में अब ऑस्ट्रेलिया में मौजूद चीनी राजदूत ने कहा है कि अगर ऑस्ट्रेलिया भी ऊईगर मुद्दे पर अन्य देशों से प्रोत्साहित होकर चीन पर प्रतिबंध लगाने की हिमाकत करता है तो चीन भी उसे मुंहतोड़ जवाब देगा। China की इस धमकी पर अब ऑस्ट्रेलिया की मॉरिसन सरकार ने बीजिंग को उसी की भाषा में जवाब दिया है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगा!

ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्य मंत्री Dan Tehan ने एक बयान जारी कर कहा कि ऑस्ट्रेलिया चीन की इन धमकियों को गंभीरता से लेगा और अपने हित की रक्षा करने के लिए ज़रूरी कदम उठाएगा। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने ऊईगर मुद्दे पर अन्य देशों का उदाहरण देते हुए शिंजियांग में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता प्रकट की थी। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने US, UK, कनाडा और ईयू द्वारा चीन पर लगाए प्रतिबंधों का स्वागत भी किया था। ऑस्ट्रेलिया खुद अब तक China पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा पाया है क्योंकि उसके पास ऐसा करने के लिए कोई कानून नहीं है। हालांकि, मॉरिसन सरकार इससे संबन्धित एक बिल को जल्द ही संसद में पेश कर सकती है जिसने चीन को चिंता में ड़ाल दिया है।

चीन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेकर बाकी देशों के सामने एक उदाहरण पेश करना चाहता था कि अगर कोई चीन और जिनपिंग से भिड़ने की ज़ुर्रत करेगा तो उसका हाल ऑस्ट्रेलिया जैसा कर दिया जाएगा। इसी कोशिश के तहत चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ व्यापारिक प्रतिबंधों का ऐलान भी किया था। चीन ने ऑस्ट्रेलिया के कोयले, शराब, कॉटन और Barley जैसे कई उत्पादों पर भारी इम्पोर्ट ड्यूटि लगाने का फैसला लेकर इस देश के साथ Tariff War की घोषणा कर दी थी। हालांकि, इसके नतीजे में ऑस्ट्रेलिया की सरकार और ज़्यादा साहसिक होती गयी और अब आलम यह है कि स्कॉट मॉरिसन चीनी धमकियों का भी खुलकर जवाब दे रहे हैं

चीन के आर्थिक हमलों के बाद भी ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर मजबूती के साथ लौट रही है। अब ऑस्ट्रेलिया ने चीन के सामने घुटने टेकने वाले अन्य देशों को यह उदाहरण पेश किया है कि चीन के शिकंजे से बाहर निकला जा सकता है, वह भी अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद हुए बिना। बता दें कि China की भीषण ट्रेड वॉर के बाद भी पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था ने 3.3 प्रतिशत की विकास दर से वापसी की थी

ऑस्ट्रेलिया ने ही सबसे पहले कोरोना वायरस की उत्पति की स्वतंत्र जांच की मांग की थी जिससे चीन काफी बुरी तरह बौखला गया था और ऑस्ट्रेलिया को खुलेआम धमकी देने लगा था। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी थी कि यदि उसने चीन विरोधी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखा तो फिर चीन उसका आर्थिक बहिष्कार भी कर सकता है। China ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को धमकी दी, बल्कि डिप्लोमेटिक दबाव बनाने की भी कोशिश की जिससे उसका मनोबल टूट जाए। चीन का इस तरह से खुलकर विरोध करना ऑस्ट्रेलिया के लिए आर्थिक दृष्टि से बेहद घातक साबित होगा, यह ऑस्ट्रेलिया भी जानता था क्योंकि China के साथ उसका ट्रेड सरप्लस है। चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है जो कि उसकी अर्थव्यवस्था में 194.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का आयात और निर्यात करता है। किसी भी स्थिति में नुकसान ऑस्ट्रेलिया को ही उठाना पड़ता। परंतु उसने अपना नुकसान नहीं बल्कि मानवता को चुना। आज भी ऑस्ट्रेलिया की स्कॉट मॉरिसन सरकार मूल्यों को आगे रखकर चीन के तानाशाही रवैये का डटकर मुक़ाबला कर रही है।

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