आप चाहे उनके विचारों से सहमत हो या असहमत, लेकिन इस बात से आप बिल्कुल भी असहमत नहीं हो सकते कि असदुद्दीन ओवैसी एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं। अपनी सूझबूझ के कारण ही उन्होंने अल्पसंख्यकों को एक असरदार विकल्प दिया है, जिसका सकारात्मक परिणाम उन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है, और अब वे बंगाल में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं।
जिस प्रकार से ममता हिन्दू मुस्लिम के खेल में उलझी हुई हैं, उसे देखते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर बंगाल के मुसलमानों का आह्वान किया है। एक लंबे चौड़े थ्रेड में उन्होंने लिखा है, “30 अप्रैल 2002 को जब गुजरात दंगों के जख्मों से उबरा नहीं था, और लोग अस्पतालों में थे, और लोकसभा में गुजरात के दंगों के लिए निन्दा प्रस्ताव लाया गया था, तब ममता बनर्जी ने उसका विरोध किया था। क्या उन्होंने एक मंत्री पद के लिए गुजरात के पीड़ितों का स्वाभिमान बेचने से पहले एक बार भी नहीं सोचा?”
Only criminal gangs divide up territories between themselves & attack each other when someone enters. Since I'm not part of this criminal syndicate, it's natural that @MamataOfficial is rattled
You can't buy people who have no Gotra. You can't scare people who know no fear 2/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 2, 2021
लेकिन ओवैसी वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “केवल आपराधिक गैंग ही एक दूसरे में इलाके बांटने की राजनीति करते हैं। क्योंकि मैं इस आपराधिक सिंडीकेट का हिस्सा नहीं हूँ, इसलिए ममता बनर्जी का विचलित होना स्वाभाविक है। लेकिन जिन्हें डर नहीं लगता, और जिनका कोई गोत्र नहीं होता, उन्हें आप कब तक दबाओगी”।
Only criminal gangs divide up territories between themselves & attack each other when someone enters. Since I'm not part of this criminal syndicate, it's natural that @MamataOfficial is rattled
You can't buy people who have no Gotra. You can't scare people who know no fear 2/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 2, 2021
यहाँ इनका हमला स्पष्ट तौर पर ममता बनर्जी के ‘गोत्र’ वाले बयान को लेकर था जब ममता ने हिंदुओं को लुभाने के लिए नंदीग्राम में कहा था कि मेरा गोत्र शांडिल्य (Shandilya) है। बस इसी बयान पर ममता की पूरी पोल पट्टी खोलते हुए ओवैसी ने लिखा, “बीजेपी आएगा कहने के अलावा आपने आज तक बंगाली मुसलमानों के लिए किया ही क्या है? 15 प्रतिशत मुसलमान आधिकारिक शिक्षा से वंचित है, 80 प्रतिशत मुसलमान 5000 रुपये प्रतिमाह से कम पर जीवनयापन करते हैं, ग्रामीण बंगाल में लगभग 39 प्रतिशत लोग ढाई हजार रुपये प्रतिमाह से भी कम कमाते हैं। आपकी पार्टी कहती है कि मुसलमान हमारे लिए दुधारू हो गए हैं, पर हम भी इंसान हैं और हमारा काम केवल ममता को जिताना नहीं है”।
On 30 April 2002, as Gujarat was burning & victims were still in camps, Lok Sabha was discussing a motion to condemn Gujarat pogrom. @MamataOfficial voted against it & for BJP
Did she sell off Gujarat's victims for a price, for free or for a ministerial position?
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 2, 2021
अब इस पूरे थ्रेड के पीछे ओवैसी का प्रमुख ध्येय है – ममता के पसोपेश पर प्रहार करना। ममता इस समय ऐसे धर्मसंकट में फंसी हुई हैं कि न उनसे निगलते बन रहा है और न ही उगलते। वह अल्पसंख्यकों का साथ नहीं खोना चाहती हैं, परंतु वह हिंदुओं के वोट भी नहीं खोना चाहती हैं, जिन्हें एकजुट करने में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही हैं।
जिस प्रकार से ओवैसी ममता की पोल खोल रहे हैं, उससे वह प्रत्यक्ष तौर पर ये सिद्ध करने में कामयाब होंगे कि मुसलमानों के लिए बंगाल में सेक्युलर पार्टियों के अलावा भी एक विकल्प है, और अप्रत्यक्ष तौर पर वह न केवल अल्पसंख्यक, बल्कि हिंदुओं को भी ममता बनर्जी से हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं। ओवैसी के वार से ममता बनर्जी को एक और झटका बीरभूम से लग सकता है, जिसको लेकर के दावे किए जा रहे हैं कि ममता नंदीग्राम में हार के डर से इस मुस्लिम बहुल वाली इस सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।ऐसे में स्पष्ट है, ममता न घर की रहेंगी न घाट की।