ट्विटर पर आजकल एक Screen Shot बहुत तेजी से शेयर किया जा रहा है। इसमें PM मोदी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मिलकर कोरोना से डटकर मुक़ाबला करने की बात कह रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले वर्ष कोरोना से जूझते अमेरिका को भारत ने समय रहते HCQ दवाइयों का एक्सपोर्ट किया था। हालांकि, आज जब कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर के कारण भारत में स्थिति बिगड़ती जा रही है, तो अमेरिका के नए बाइडन प्रशासन ने अपना मुंह दूसरी ओर फेर लिया है। इस बीच अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका को एक सख्त संदेश देते हुए ट्वीट किया है।
जयशंकर ने 24 अप्रैल को ट्वीट करते हुए लिखा “आज multilateralism और शांतिप्रिय कूटनीति के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर मैं दुनिया की दो सबसे बड़ी चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहूँगा। बहुपक्षीय वैश्विक वातावरण को विश्वसनीय बनाने के लिए हमें बड़ा बदलाव करना होगा। और इसका असल में पालन होना चाहिए, ना कि बस भाषणबाज़ी!”
On International Day of #Multilateralism and Diplomacy for Peace, let us reflect on its two central challenges. Multilateralism needs to be reformed to be credible. And it must be practiced, not just preached.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 24, 2021
हालिया दिनों में अमेरिका के रुख को देखते हुए यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि जयशंकर ने अपने इस ट्वीट के माध्यम से अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों को निशाने पर लिया है। जर्मनी और अमेरिका, ये दोनों ही अपने आप को लिबरल वैश्विक व्यवस्था का पुरोधा मानते हैं। जब अमेरिका में जो बाइडन राष्ट्रपति बने थे, तो उन्होंने कहा था कि वे अपने सभी साथियों को आगे लेकर चलने का काम करेंगे और उन्होंने नारा दिया था “America is Back”! हालांकि, आज जब अमेरिका के साथी को मदद की ज़रूरत है, तो यही अमेरिका अपनी पीठ भारत की ओर करके बैठ गया है। भारत में कोरोना सुनामी के बीच बाइडन प्रशासन ने भारत को वैक्सीन निर्माण हेतु कच्चे माल की सप्लाई करने से साफ़ मना कर दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत के अनुरोध को पूरा करने से पहले अपने नागरिकों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी लोगों के प्रति हमारी विशेष जिम्मेदारी है।
दूसरी ओर जर्मनी की ओर से भी यही रुख देखने को मिला था। भारत में कोरोना वेव के बीच जर्मनी ने भारत की कोई सहायता करने की तो नहीं सोची, लेकिन उसने यह ज़रूर कह दिया कि EU ने भारत को बड़ा फार्मा हब बनने की छूट दी और आज यह EU के हितों के खिलाफ जा रहा है। जर्मन चांसलर को डर था कि कहीं भारत में कोरोना वेव के कारण उनके यहां वैक्सीन की किल्लत ना हो जाये!
अमेरिका इकलौती वैश्विक सुपरपावर के पद को खोने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो वहीं जर्मनी का कूटनीतिक प्रभाव फ्रांस की बढ़ती चमक के सामने फीका पड़ता जा रहा है। दोनों ही देश वैश्विक राजनीति में अपना स्थान बचाने के लिए जूझते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में जिस प्रकार अब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन तथाकथित लिबरल देशों को सिर्फ भाषणबाज़ी ना करने की नसीहत दी है, उससे स्पष्ट है कि अब इसके बाद भारत इन देशों के साथ अपने रणनीतिक सम्बन्धों पर पुनःविचार कर सकता है।
अमेरिका को वैश्विक राजनीति में अपनी जगह बनाए रखने के लिए और अपनी प्रासंगिकता को बचाए रखने के लिए भारत की आवश्यकता है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस बात को समझते थे। शायद तभी पिछले वर्ष महामारी के बीच उन्होंने भारत को Ventilators भेजने का फैसला लिया था, वह भी तब जब खुद अमेरिका में Ventilators की किल्लत थी! ट्रम्प ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को साथ लेकर आगे बढ्ने का फैसला लिया था लेकिन आज बाइडन उनके बनाए को बिगाड़ने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह अमेरिका के लिए घातक साबित होगा।