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छोटी Savings पर कम ब्याज़ देने का फैसला देश के हित में था, सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए था

मोदी जी, पीछे हटना आपको सूट नहीं करता!

Prashant द्वारा Prashant
1 April 2021
in मत
छोटी Savings पर कम ब्याज़ देने का फैसला देश के हित में था, सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए था

PC : (TheLokniti)

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जनाक्रोश हमेशा एक बहुत ही उपयोगी वस्तु रही है। इस जनाक्रोश के दबाव में बड़े से बड़े तानाशाह को भी झुकना पड़ा है। कभी कभी इसी जनाक्रोश के दबाव में कुछ ऐसे निर्णय भी वापस लेने पड़ते हैं, जो वास्तव में जनकल्याण के लिए ही थे। ऐसा ही एक निर्णय था छोटी बचत स्कीम के ब्याज दरों में कटौती का निर्णय, जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने वापस ले लिया। कर्मचारी राज्य निधि के अंतर्गत आने वाले छोटी बचत स्कीमों के ब्याज दरों में केंद्र सरकार ने हाल ही में कटौती का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी?

Interest rates of small savings schemes of GoI shall continue to be at the rates which existed in the last quarter of 2020-2021, ie, rates that prevailed as of March 2021.
Orders issued by oversight shall be withdrawn. @FinMinIndia @PIB_India

— Nirmala Sitharaman (Modi Ka Parivar) (@nsitharaman) April 1, 2021

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इसके पीछे केंद्र सरकार का तर्क यह था कि अक्सर ऐसी स्कीमों में कर्मचारियों का पैसा पड़ा रहता है, जिसका कोई उपयोग ही नहीं होता। इसके अलावा ऐसे न जाने कितनी योजनाएँ हैं, जिनमें इस प्रकार से पैसे अटके रहते हैं और इससे मार्केट की लिक्विडिटी भी गड़बड़ा जाती है –इसीलिए केंद्र सरकार ने कर्मचारी राज्य निधि के छोटे बचत स्कीमों के ब्याज दरों में कटौती करने का निर्णय किया था, जिससे मार्केट में पैसों का आदान प्रदान भी बना रहे और कर्मचारी अन्य लाभकारी योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित हों, लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ।

कर्मचारियों को लगा कि इससे उनकी रोजी रोटी को खतरा रहेगा और विपक्ष तो ऐसे किसी भ्रम की ताक में था ही, इसलिए उन्होंने नमक मिर्च लगाकर #SmallSavingsCut जैसे झूठे ट्रेंड कराने शुरू कर दिए। इसकी वजह से केंद्र सरकार को अपने इस निर्णय को वापस लेने के लिए विवश होना पड़ा। केंद्र सरकार ने यहाँ तक कहलवा दिया कि इस प्रस्ताव पर सरकार ने कुछ ज्यादा ही विचार कर लिया। अब अगर तथ्यों का विश्लेषण किया जाए तो यह योजना इतनी भी बुरी नहीं थी और केंद्र सरकार की इस पूरे प्रकरण में केवल एक गलती थी – प्रस्ताव को सार्वजनिक करने का समय।

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चुनाव के समय एक गलत कदम और एक भी शब्द आपको काफी मुसीबत में डाल सकता है। बचत मामले में केंद्र सरकार के साथ भी यही हुआ। यदि उन्होंने सोच समझ के इस निर्णय पर काम किया होता, तो न उन्हें इतना आक्रोश झेलना पड़ता और न ही दबाव में इसे वापस लेना पड़ता।

Tags: केंद्र सरकारनिर्मला सीतारमणमोदी सरकार
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