कुछ दिनों पहले ही Serum Institute of India के CEO अदार पूनावाला ने खुलासा किया था कि वैक्सीन उत्पादन में ज़रूरी कुछ supplies के निर्यात पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रोक लगा दी है, जिसके कारण आने वाले दिनों में Serum Institute of India की वैक्सीन उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब उन्होंने इशारों ही इशारों में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को ट्विटर पर चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने प्रतिबन्ध नहीं हटाया तो गरीब देशों में कोरोना से होने वाली लाखों मौत के लिए वो ही जिम्मेदार होंगे।
दरअसल अमेरिका तथा अन्य देशों ने कुछ supplies के निर्यात पर रोक लगाई है, उसका असर भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा जिसके कारण आने वाले दिनों में भारत को अपने वैक्सीन एक्सपोर्ट में कटौती करनी पड़ सकती है। अगर भारत में ही वैक्सीन का उत्पादन कम पड़ जायेगा तो वह इन देशों को सप्लाई कैसे कर पायेगा? इसी कारण Serum Institute of India के CEO अदार पूनावाला ने अमेरिका के राष्ट्रपति को टैग कर ट्वीट किया कि, “आदरणीय राष्ट्रपति, अगर हमें वायरस को सच में हराना है तो मैं अमेरिका के बाहर वैक्सीन उद्योग की ओर से मैं विनम्रतापूर्वक आपसे अनुरोध करता हूं कि आप कच्चे माल के निर्यात पर लगे प्रतिबन्ध को हटा लें ताकि वैक्सीन उत्पादन में तेजी आ सके। यूएस प्रशासन के पास पूरी डिटेल्स है।“
Respected @POTUS, if we are to truly unite in beating this virus, on behalf of the vaccine industry outside the U.S., I humbly request you to lift the embargo of raw material exports out of the U.S. so that vaccine production can ramp up. Your administration has the details. 🙏🙏
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) April 16, 2021
अगर हमें कोरोना वायरस को हराना है, यानी जड़ से समाप्त करना है तो सभी देशों से इसका खात्मा करना होगा चाहे वो गरीब हो या अमीर। ऐसे में यह आवश्यक है कि वैक्सीन सभी देशों तक पहुंचे, जो गरीब देश है, उनके पास भी। और ऐसे में अगर अमेरिका तथा अन्य देश वैक्सीन उत्पादन में ज़रूरी कुछ supplies के निर्यात पर ही बैन लगा देंगे तो इन देशों को वैक्सीन नहीं मिल पाएगी। इस कारण अगर कोई यह कहे कि इन देशों में होने वाली सभी मौत के जिम्मेदार अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन होंगे, तो यह गलत नहीं होगा।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि बाइडन ने QUAD के साथ मीटिंग में यह वादा किया था कि अमेरिका QUAD के साथी देशों के साथ मिल कर वैश्विक लाभ के लिए 1 बिलियन वैक्सीन डोज के उत्पादन के लिए पार्टनरशिप करेगा तथा भारत को वैक्सीन का हब बनाएगा जिससे अन्य गरीब देशों को फायदा हो। अब वही बाइडन वैक्सीन के उत्पादन लिए आवश्यक supplies पर प्रतिबन्ध लगा कर इन दुनिया भर के देशों के पीठ में छुरा घोंप चुके है। अगर गरीब देशों को, जिन्हें सस्ती वैक्सीन की आवश्यकता है, समय पर वैक्सीन नहीं मिलती है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ बाइडन होंगे।
बता दें कि Cells के उत्पादन के लिए Single use plastic bags और filters ऐसी कुछ चीज़ें हैं, जिनके exports पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिया है। अदार पूनावाला के एक बयान में यह खुलासा किया था कि किस तरह अमेरिका तथा अन्य देश ज़रूरी supplies पर प्रतिबन्ध लगा कर भारत के वैक्सीन उत्पादन में खलल डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था, “हम भारतीयों को प्राथमिकता ज़रूर दे रहे हैं, लेकिन हमने निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। दूसरी ओर अमेरिका और यूरोप ने वैक्सीन के साथ-साथ कच्चे माल की सप्लाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन पश्चिमी देशों को इस मामले को वैश्विक नज़रिये से देखना चाहिए।”
आगे उन्होंने बताया कि कैसे कच्चे माल की कमी का असर Serum Institute of India की उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा। उन्होंने कहा “कच्चे माल की कमी के कारण भारत के वैक्सीन निर्माता अपने लक्ष्य के हिसाब से उत्पादन नहीं कर पाएंगे। इससे अमेरिकी कंपनी Novavax के साथ एक समझौते के तहत बनाई जा रही Covovax के उत्पादन पर बेहद गंभीर असर पड़ेगा।”
पश्चिमी देशों द्वारा वैक्सीन के उत्पादन के लिए ज़रूरी कच्चे माल की सप्लाई पर रोक लगाना यह दर्शाता है कि ये देश वैश्विक हितों को परे रख सिर्फ अपने नागरिकों को वैक्सीन प्रदान करने के इच्छुक हैं। यूरोप और अमेरिका अपने वैक्सीन निर्माताओं पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं ताकि वे वैक्सीन को एक्सपोर्ट न कर सकें। अब रही सही कसर वे कच्चे माल के export पर बैन लगाकर पूरी करना चाहते हैं। बता दें कि भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी अब तक शानदार रही है। भारत अपने वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की करीब 6 करोड़ 50 लाख डोज़ एक्सपोर्ट कर चुका है। अदार पूनावाला ने कहा है कि कच्चे माल की सप्लाई कम होने से Covishield के उत्पादन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। अब यह जिम्मेदारी जो बाइडन की है कि वह कब प्रतिबन्ध हटाते हैं या फिर गरीब देशों की जनता को ऐसे ही कोरोना से अकेले ही जूझने के लिए छोड़ देते हैं। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह मानवता के इतिहास का एक काला अध्याय होगा।