राम मंदिर को बनता देखना किसी भी वामपंथी के छाती पर सांप लोटने जैसी स्थिति है। इसी कारण कोरोना फैलने की स्थिति के मौके का फायदा उठाते हुए एक बार फिर से इन लोगों ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए जमा हो रहे कोष को निशाना बनाना शुरू किया है और उसे कोरोना में इस्तेमाल करने की मांग की है।
अभी कोरोना एक बाद फिर से अपने उफान पर है, ऐसे में आक्रान्ताओं की सोच रखने वाली इसी देश की एक महिला ने ट्वीट कर लिखा कि, “अगर पीएम केयर फंड नहीं है, तो उन्हें अभी राम मंदिर फंड का इस्तेमाल करना चाहिए। क्या अधिक महत्वपूर्ण है? लोग या मंदिर”
https://twitter.com/madeforbrettLEE/status/1382612855854231552?s=20
ठीक इसी तरह प्रासंगिता पाने के लालच में AAP की एक कार्यकर्ता ने भी ट्वीट किया कि, “कहाँ है वो बेवकूफ जो राम मंदिर का चंदा जमा कर रहे थे, काश सरकारों से मंदिर की जगह हॉस्पिटल मांगे होते तो आज ये दशा नहीं होती!”
कहाँ है वो बेवकूफ जो राम मंदिर का चंदा जमा कर रहे थे, काश सरकारों से मंदिर की जगह हॉस्पिटल मांगे होते तो आज ये दशा नहीं होती!
Bloody religious morons…
— Ankita Shah (@Ankita_Shah8) April 16, 2021
इनके कहने का यह अर्थ है कि अब श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के लिए जमा हो रहे कोष का इस्तेमाल सरकार करे जिस पर उसका कोई अधिकार नहीं है बल्कि उन लोगों का है जिन्होंने अपनी आस्था से मंदिर निर्माण के लिए दान दिया है। जब इस्लामिक आक्रान्ताओं ने भारतभूमि पर आक्रमण किया था तब वे सबसे पहले मंदिरों को ही लूटते थे यानि उनकी नजर मंदिरों के खजाने पर ही रहती थी।
आज मोदी विरोध की आड़ में लिखा गए इस ट्वीट की मानसिकता भी तो उन्हीं आक्रान्ताओं की मानसिकता से मिलती है। वे भी मंदिरों का धन लूटना चाहते थे ये भी, फर्क क्या है? कोरोना तो बहाना है। जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था तब कौन सा कोरोना था जो राम मंदिर के लिए इतना विरोध देखने को मिला था?
जब भी आक्रान्ताओं ने भारत भूमि पर कदम रखा, तब सबसे पहले उनकी काली नजर इस सनातन भूमि की मंदिरों पर पड़ी। चाहे वो मध्यकालीन इस्लामिक आक्रान्ता हो या यूरोपीय इन सभी ने सनातन धर्म और धर्म के केंद्र, मंदिरों पर आक्रमण किया।
इस्लामिक बर्बर आक्रान्ताओं ने तो मंदिर तोड़-फोड़ की लेकिन अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा को अपने अनुरूप बना कर भारतीयों को ही सनातन धर्म की जड़ों से काटने की योजना पर काम किया।
इस योजना में वे सफल भी रहे उपर्युक्त ट्वीट से स्पष्ट भी होता है। चाहे कोई भी समस्या आये, आज के Brainwashed युवा सबसे पहले हिन्दू धर्म पर ही हमला करता है। जब से सनातन धर्म के पुनर्जागरण के लिए राम मंदिर बनना शुरू हुआ है तब से इन वामपंथियों और अंग्रेजी दासों के निशाने पर आ चुका है। आये दिन ऐसे लोग राम जन्म भूमि के लिए जमा हो रहे कोष के उपर नज़रे गडाये रहते हैं।
हालाँकि इस हिन्दू विरोधियों को ट्विटर पर लोगों ने जम कर लताड़ भी लगायी।
Didi, Ram Mandir Funds are privately managed by Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra. The Govt has No Authority over its use.
The ones who never contributed to PM cares, never donated for Ram Mandir are here begging for 'Free Money'
Classic Socialists! https://t.co/vpl79kwZ4S— Deeksha Negi (@NegiDeekshaa) April 16, 2021
Waqf ki zameen becho ..
RT if you agree that Govt must Acquire WAQF Board ki Faltu Zameen and sell it to collect fund for pandemic
What is more important People or Waqf ki Zameen?? https://t.co/3eDaETCDy8
— Shrin (@ShrrinG) April 15, 2021
Why cant we get funds from Rajiv Gandhi Foundation? https://t.co/kuJ7HV7Gao
— Jayess Modi Ka Parivar (@Sootradhar) April 15, 2021
Why have you forgotten the billions of dollars lying with Christian endowments and Waqf properties, fully protected. Poor temples are mostly under govt. control.
Oh, I forgot. You are not a human being. You are a liberal! https://t.co/FX1eEuidF0
— Koi Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) April 15, 2021
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि ये वामपंथी ब्रिगेड कभी भी अन्य सम्प्रदायों के मस्जिद या चर्च के धन को इस्तेमाल करने की बात नहीं करेगा। TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों (SWB) के स्वामित्व में 6. 1 लाख से अधिक अचल संपत्तियां हैं। इनमें से यूपी में 1. 5 लाख सुन्नी और 12,229 शिया वक्फ संपत्ति हैं, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 80,480 और कर्नाटक में 54,194 हैं।
According to the data from the national Waqf Management System of India (WAMSI) project, as on January 31, 2020, there are 6,16,732 properties owned by various SWBs.
Of these, UP has 1.5 lakh Sunni and 12,229 Shia Waqf properties, followed by 80,480 in WB and 54,194 in Karnataka pic.twitter.com/ZaDvPFLXRj
— अभिनव (@abhinavpratap_s) April 16, 2021
वहीँ चर्च की बात करे तो संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री Eduardo Faleiro के हवाले से बताया था कि चर्च के अधिकारी भारतीय नौसेना के वार्षिक बजट के बराबर धन को नियंत्रित करते हैं। अगर देखा जाये तो एक अनुमान के अनुसार, कैथोलिक चर्च भारत में “सबसे बड़ा गैर-कृषि भूमि का मालिक” है और इन भूमि का मूल्य कई लाख करोड़ रुपये में हो सकता है।
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार का हिन्दू विरोध है। अपनी संस्कृती को खोकर कोई भी समाज या राष्ट्र अपना सम्पूर्ण विकास नहीं कर सकता और अगर किसी राष्ट्र को या समाज को तोडना है, उसे बांटना है तो उसकी जड़ पर यानी उसकी बरसों पुरानी संस्कृती, मंदिरों और रीती-रिवाजों पर वार करना होता है।
राम मंदिर इसी सनातन कड़ी का एक हिस्सा है जिस पर हिन्दू विरोधियों ने नज़रे जमाई हुई है। अब हिन्दुओं को पहले से अधिक सावधान होने की आवश्यकता है जिससे अपने सनातन संस्कृति की रक्षा की जा सके।