बचपन में हमने बहुत सुना है – जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, वे अक्सर उसमें गिर पड़ते हैं। लेकिन लगता है काँग्रेस के किसी सदस्य ने आज तक इस कथन पर ध्यान देने की जहमत नही उठाई। इसीलिए जब भी वह भाजपा को बदनाम करने के लिए कोई षड्यन्त्र रचती है, वह अंत में उसी के लिए हानिकारक सिद्ध होने लगता है, जैसा अभी Rafale वाले मामले में होता हुआ दिखाई दे रहा है।
अभी हाल ही में सुषेण गुप्ता नामक दलाल को हिरासत में लिया गया है। एक फ्रांसीसी पोर्टल मीडियापार्ट के रिपोर्ट के अनुसार सुषेण गुप्ता के कथित तौर पर Dassault Aviation के साथ संबंध भी रहे हैं, जो Rafale फाइटर जेट्स का आधिकारिक निर्माता भी रहा हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार सुषेण गुप्ता का Dassault Aviation से काफी गहरा नाता रहा है, और Rafale के लिए हो रही बातचीत के लिए वह तत्कालीन भारत सरकार भी शामिल था। भारत में Rafale की प्रदर्शनी के लिए 1 मिलियन यूरो का उसे कथित तौर पर बढ़ाचढ़ाकर कर एक अनुबंध भी थमाया गया था।
इस रिपोर्ट से मीडियापार्ट यह जाताना चाहती थी कि सुषेण, Rafale, Dassault, मोदी, अमित शाह और अंबानी बंधु सभी एक साथ जुड़े हुए हैं, और कुछ तो गड़बड़ है।
बस फिर क्या था, बिना सोचे समझे काँग्रेस ने मोदी सरकार को कठघरे में लेना शुरू कर दिया। क्या राहुल गांधी, क्या कॉंग्रेस आईटी सेल, सभी ने एक बार फिर ‘चौकीदार ही चोर है’ से लेकर ‘Rafale Scam’ तक ट्विटर पर ट्रेंड कराना शुरू कर दिया। रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि इस घोटाले के कारण भाजपा ने देश को लगभग 2.81 बिलियन यूरो यानि 21 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान पहुंचाया है।
यहाँ तक कि असदुद्दीन ओवैसी भी Rafale के कथित घोटाले को लेकर केंद्र सरकार पर फब्तियाँ कसने लगे, जिन्होंने Rafale सौदे की निष्पक्षता पर ही सवाल उठाना शुरू कर दिया –
Interesting news coming from #France where it's been discovered that shady #RafaleScam was indeed a scam! @PMOIndia why would Dassault need to pay bribe worth ₹8cr (€1m) to middleman named Gupta? Wasn't the decision to buy Rafale an independent one? https://t.co/XRYrGbR5WU 1/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 5, 2021
लेकिन जो दिखता है, या जो दिखाया जाए, जरूरी नहीं कि वैसा ही हो। मोदी सरकार को नीचा दिखाने के अतिउत्साह में काँग्रेस और फ्रेंच पोर्टल मीडियापार्ट दोनों ही सुषेण गुप्ता की असलियत छुपाना ही भूल गए। मीडिया पार्ट के ही रिपोर्ट में ये सामने आया कि सुषेण ने अपनी अधिक से अधिकतम डील 2012 के दौरान की थी, और उसके अकाउंट बुक्स के अनुसार 2004 से 2013 के बीच Dassault ने सिंगापुर के एक कंपनी Interdev को 14.6 मिलियन यूरो का भुगतान किया था, और इस समय न तो नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री थे, और न ही भाजपा केंद्र सरकार को चला रही थी।
इसके अलावा एक और बात सामने आई है, जिसके कारण ‘चौकीदार ही चोर है’ जैसे ट्रेंड जितनी जल्दी शुरू हुए थे, उतनी ही जल्दी वे गायब भी हो गए। सुषेण गुप्ता काँग्रेस के काफी करीब रहे हैं, और खुद मीडियापार्ट की रिपोर्ट ने स्वीकार किया कि सुषेण गुप्ता को भुगतान 2013 से पहले ही किये गए थे, जब काँग्रेस भारत पर शासन कर रहा था। इतना ही नहीं, सुषेण मोहन गुप्ता को ऑगस्टा वेस्टलैन्ड घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने 2019 में हिरासत में भी लिया था, और अभी भी उनपर वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में कार्रवाई जारी है।
ऐसे में काँग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने के लिए जो दांव चला था, वो अब जल्द ही उन्ही पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। वे सोच रहे थे कि एक दो कौड़ी के रिपोर्ट के आधार पर वे मोदी सरकार को एक झूठे घोटाले में फंसा सकते हैं, लेकिन सुषेण गुप्ता की असलियत उलटे उन्ही की शामत बुला रही है।