भारत की आजादी के बाद लगभग सभी राज्यों का विकास हुआ है। किसी की रफ्तार धीमी रही है तो किसी की तेज। लेकिन एक राज्य ऐसा है, जो आजादी के बाद से आगे बढ़ने की बजाय और पीछे गया है, वह है पश्चिम बंगाल। पश्चिम बंगाल में मुख्य तौर पर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का राज रहा है, लेकिन पिछले 10 सालों से राज्य की सत्ता पर तृणमूल कांग्रेस का राज है।
आपको बता दें कि जब वर्ष 2011 में ममता बनर्जी कम्युनिस्ट पार्टी को हटाकर खुद सत्ता में आई थीं, तब उनसे उम्मीद की गयी थी कि वे राज्य को प्रगति की ओर ले जाएंगी। परंतु ममता बनर्जी ने सभी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए एक -एक करके असंख्य कंपनियों को पश्चिम बंगाल से बाहर भागने पर मजबूर कर दिया। जैसे कि- टाटा मोटर्स, Dunlop इंडिया ltd, शाहगंज प्लांट और हिंदुस्तान मोटर्स।
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बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद 97 प्रतिशत कंपनियाँ पश्चिम बंगाल छोड़ चुकी हैं। ममता बनर्जी ने टाटा मोटर्स के साथ जो सलूक किया, वो किसी से छुपा नहीं है। सिंगुर, जो कभी विकास की बुलंदियों को छू रहा था, आज वो महज़ एक बंजर जमीन बन कर रह गया है।
आज हम ममता बनर्जी की विफल आर्थिक नीतियों की आलोचना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाले निर्माताओं को पश्चिम बंगाल में वैक्सीन उत्पादन यूनिट लगाने का निमंत्रण दिया है।
ममता बनर्जी का यह निमंत्रण उनकी आर्थिक नीति के बिल्कुल विपरीत है। क्योंकि फिलहाल पश्चिम बंगाल में अगर कोई इंडस्ट्री चालू है तो वह सिर्फ कोयला इंडस्ट्री ही है। बता दें कि पश्चिम बंगाल में कोयला खदान भ्रष्टाचार का गढ़ है। अभिषेक बनर्जी के मामले से तो सभी वाकिफ होंगे कि, किस प्रकार से cut – money लेने के बाद ही अमूमन कोयला खदान का आवंटन किया जाता रहा है।
ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल एक “समाजवादी” राज्य बन कर रह गया है। समाजवाद विचारधारा पर चलने वाले राज्य कभी भी विकास के अनुकूल नहीं हो सकते है। नतीजतन, आज पश्चिम बंगाल में फैक्ट्रियों के गेट पर ताले लटक रहे हैं।
किसी राज्य में बिजनेस का माहौल बनाने के लिए पूंजीवादी आर्थिक नीति के साथ-साथ राज्य में सख्त कानून व्यवस्था भी होना बहुत जरूरी है। पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था से तो सभी वाकिफ हैं। वहां आए दिन हिंसा की घटना सामने आती रहती है। यकीन मानिए, पश्चिम बंगाल में क्राइम रेट इतना ज्यादा है कि ममता बनर्जी की सरकार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अंतर्गत पश्चिम बंगाल का असल क्राइम डाटा तक छुपाने पर मजबूर हो चुकी है।
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अब ऐसी कानून व्यवस्था और ऐसी आर्थिक नीति अपनाने वाले राज्य में शायद ही कोई निवेशक निवेश करने को लेकर राज़ी हो। पश्चिम बंगाल में बिजनेस का माहौल हर पैमाने पर उद्योग-विरोधी रहा है। ऐसे में ममता बनर्जी को वैक्सीन निर्माताओं को निमंत्रण देने से पहले अपने राज्य को इस काबिल बनाना चाहिए, कि वहां निवेश किया जा सके।