आज हमारा देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। देश के हर कोने से दिल को दहला देने वाली तस्वीरें और कहानियां देखने और सुनने को मिल रही है। चाहे वो राज्य कितना ही विकसित क्यों न हो, उसकी स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है। इस बीच एक राज्य ऐसा है, जहां से कोई कोरोना संक्रमण के बारे में खबर तक नहीं आती है।वहां के अस्पतालों में किस चीज की कमी है, इसकी जानकारी दिल्ली में बैठे केंद्र सरकार को भी नहीं है। यह कोई चीनी प्रांत नहीं है, बल्कि भारत का पश्चिम बंगाल है।
जी, हां… पश्चिम बंगाल में कोरोना को लेकर क्या चल रहा है, इसके बारे में न तो किसी मुख्यधारा मीडिया को पता है, न तो दिल्ली में बैठी सरकार को। इसके पीछे दो ही कारण हो सकते है- पहला यह कि, पश्चिम बंगाल कोरोना महामारी से निपट चुका है, अर्थात ममता बनर्जी के सामने कोरोना वायरस भी हाथ जोड़ लिया हो। या फिर दूसरा कारण यह है कि – पश्चिम बंगाल में कोरोना से संबंधित खबरें को दबाई जा रही है।
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यकीनन दूसरा ही कारण है। यानी पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर खबर के ऊपर ममता बनर्जी स्वयं बैठ रही है। और इस काम में ममता बनर्जी का पूर्ण सहयोग द रहा है हमारे देश का मीडिया। क्योंकि, पश्चिम बंगाल में प्रतिदिन करीब 20,000 के ऊपर कोरोना के नए मामले सामने आ रहे है, जो कि खुद एक चर्चा का विषय है। लेकिन, हैरानी वाली बात यह है कि, पश्चिम बंगाल में कोरोना टेस्टिंग का मात्रा बहुत ही कम है।
पश्चिम बंगाल में हर रोज बस 60 से 62,000 ही टेस्ट होते है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, उत्तर प्रदेश में रोजाना 2 लाख के ऊपर कोरोना टेस्ट किए जाते है। पश्चिम बंगाल में कोरोना पॉस्टिविटी रेट 31 प्रतिशत है। दिल्ली में आज पॉस्टिविटी रेट 25 प्रतिशत के आसपास है तो दिल्ली में हाय तौबा मचा हुआ है।
दिल्ली में कुछ दिनों पहले जब पॉस्टिविटी रेट 30 प्रतिशत था, तो अस्पतालों में बेड की कमी हो गई थी और मरीजों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हम अनुमान लगा सकते है कि, अगर पश्चिम बंगाल और दिल्ली का स्तर लगभग बराबर है तो दोनों राज्यों के हालात भी 19-20 ही होंगे। एक और चौंकाने वाली बात यह है कि, कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जो मूल मंत्र है – टेस्टिंग, ट्रैकिंग और फिर ट्रीटमेंट।पश्चिम बंगाल इस मंत्र का पहला पड़ाव यानी टेस्टिंग का पालन नहीं कर रहा है।
बता दें कि, पश्चिम बंगाल में कोरोना टेस्टिंग जरूरत से काफी कम हो रहा है। 60,000 टेस्ट एक दिन में बहुत ही कम है, यह हम नहीं हमारे देश की मीडिया कह रही है, बस फर्क इतना है कि, वो यह बात पश्चिम बंगाल को लेकर नहीं दिल्ली के लिए कह रही है। तो जब दिल्ली में कम टेस्टिंग को लेकर सवाल उठ सकता है, तो जब पश्चिम बंगाल की बात आती है तो यह क्यों चुप बैठे है?
हम टेस्टिंग की बात इसलिए कर रहे है क्योंकि अगर टेस्टिंग कम होगी, तो जाहिर सी बात है संक्रमण के बारे में देरी से पता चलेगा। जब देरी से पता चलेगा तो मरीजों का इलाज भी गंभीर अवस्था में ही होगा। ऐसी खबरें कहां दब के रह जा रही है यह तो एनसीआर में बैठी मुख्यधारा मीडिया ही बता सकती है।
कोरोना संक्रमण के पहले लहर में यह खबर आई थी कि, पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले छुपाए जा रहे है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की ममता बनर्जी फिर से वहीं रवैया अपना रही है। इस संकट की घड़ी में ममता बनर्जी से अपील है कि, दीदी राजनीति को साइड में रखिए, राज्य की जनता के बारे में सोचिए और हो सके तो सच बोलिए।