इस समय बिग टेक कंपनियों को लेकर केंद्र सरकार का रुख बेहद सख्त है। संदेश साफ़ है – कायदे में रहो नहीं तो हम कायदे में रहना सिखा देंगे। अपनी मनमानी नई Privacy Policy को लागू करने हेतु केंद्र सरकार को आँख दिखाने वाली WhatsApp को अब मोदी सरकार ने चेतावनी जारी कर दी है। केंद्र ने वॉट्सएप को स्पष्ट कहा है कि यदि एक हफ्ते के अंदर उन्होंने अपनी नीतियों को भारतीय यूजर्स के हितों के अनुकूल नहीं बनाया, तो वे वॉट्सएप के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
मिनिस्ट्री ऑफ एलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी ने अपने पत्र में WhatsApp को अपनी नई Privacy Policy को वापस लेने का निर्देश दिया है। कुछ दिन पहले ही WhatsApp की नई पॉलिसी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और WhatsApp से जवाब मांगा था। न्यूज 18 की रिपोर्ट के अंश अनुसार, “सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मिनिस्ट्री ऑफ एलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी ने WhatsApp को अपनी नई Privacy Policy को वापस लेने का आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने कंपनी को जवाब देने के लिए 7 दिन यानी 25 मई तक का समय दिया और कहा है कि अगर उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो वह आवश्यक कदम उठाएगी”।
अब आपको WhatsApp की नई Privacy Policy के बारे में बता देते हैं, जिसके कारण अब केंद्र सरकार ने इस बिग टेक कंपनी के साथ सिंग उलझाए हैं। WhatsApp ने भारत में अपनी नई Privacy Policy को 15 मई से लागू किया है। WhatsApp का कहना है कि अगर अगर यूज़र उसकी नई Privacy Policy को ‘Accept’ नहीं करते हैं तो आपके Account को डिलीट तो नहीं किया जाएगा लेकिन धीरे-धीरे कुछ फीचर्स को बंद कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर जो यूज़र्स नई पॉलिसी को एक्सेप्ट नहीं करेंगे, उन्हें कंपनी द्वारा Limited Functionality Mode में डाल दिया जाएगा।
Limited Mode में WhatsApp आपके फोन पर मैसेज और कॉल भेजना बंद कर देगा और यूज़र्स अपने WhatsApp पर आएं मैसेज को पढ़ या उसका रिप्लाई नहीं कर सकेंगे। लेकिन समस्या यहीं तक सीमित नहीं है। आईटी मंत्रालय का मानना है कि WhatsApp द्वारा प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव गोपनीयता, डेटा सुरक्षा के मूल्यों को कमज़ोर करता है। सरकार का मानना है कि बिग टेक कंपनी का यह रुख भारतीय नागरिकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाता है। सरकार की यह भी दलील है कि WhatsApp की ये नीतियाँ आश्चर्यजनक रूप से यूरोपीय देशों पर लागू नहीं होती, परंतु भारत में इन्हें थोपा जा रहा है।
ऐसे में केंद्र सरकार के पास वॉट्सएप की गुंडई के विरुद्ध सख्त कदम उठाने के सिवा कोई रास्ता बचा ही नहीं है। भारत सरकार पिछले वर्ष सैकड़ों Chinese Apps पर प्रतिबंध लगाकर दुनिया को यह दिखा चुकी है उसके पास online world में अपने नियम लागू करवाने की राजनीतिक इच्छाशक्ति मौजूद है, फिर चाहे उसपर कितना भी भू-राजनीतिक दबाव हो। टिक टॉक से लेकर PUBG तक, यहाँ तक कि अलीबाबा के ई कॉमर्स एप्स तक को IT मंत्रालय ने नहीं छोड़ा। ऐसे में अगर WhatsApp को लगता है कि सरकार उसके खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं ले सकती, तो उसे गलतफ़हमी से बाहर आ जाना चाहिए।
इसके अलावा WhatsApp को ट्विटर का उदाहरण भी स्मरण में रखना चाहिए। जब केंद्र सरकार की सिफ़ारिश के बावजूद ट्विटर ने Farmers’ Protest के नाम पर हिंसा भड़काने वाले अकाउंट को सस्पेंड करने के कुछ ही घंटों बाद बहाल कर दिया, तो केंद्र सरकार ने न केवल सख्ती दिखाई, बल्कि कू जैसे स्थानीय Apps को बढ़ावा देकर ये भी स्पष्ट किया कि हमें ट्विटर पर निर्भरता की कोई आवश्यकता नहीं है। अब सरकार के रेडार पर WhatsApp आ चुकी है और सरकार के रुख को देखकर कहा जा सकता है कि अगर WhatsApp ने अपनी Privacy Policies को वापस नहीं लिया, तो भारत सरकार भारतीय मार्केट से WhatsApp को बाहर का रास्ता भी दिखा सकती है।