दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन, अक्सर अपने पड़ोसियों और अपने विरोधियों पर दबाव बनाने और उनका उत्पीड़न करने के लिए “Grey Zone Warfare” का इस्तेमाल करता है। “Grey Zone Warfare” का अर्थ ऐसी कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य चालों से है, जिसे “Act of War” तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इसे एक बड़े पैमाने का सैन्य आक्रामकता ज़रूर कहा जा सकता है। लद्दाख में घुसपैठ से लेकर, ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक युद्ध थोपना और ताइवान के एयरस्पेस में से अपनी अवैध फ्लाइट्स operate करना, चीन की ये ऐसी कुछ चालें हैं, जो उसके Grey Zone Warfare का ही हिस्सा है। हालांकि, भारत और ऑस्ट्रेलिया इससे निपटने के लिए पिछले काफी समय से तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल, हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑस्ट्रेलिया की सेना पिछले वर्ष से ही चीन के Grey Zone Warfare का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रही है। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया की defense forces को संबोधित करते हुए ऑस्ट्रेलिया के मेजर जनरल और पूर्व स्पेशल फोर्स कमांडर Adam Finland ने कहा था “हम पहले ही चीन के Grey Zone Warfare का मुक़ाबला कर रहे हैं। उसका जवाब देने के लिए हमें पारंपरिक थल, जल और वायुसेना का ही प्रयोग नहीं करना होगा, बल्कि स्पेस और साइबरवारफेयर का भी जवाब देना होगा।”
पिछले वर्ष कमांडर Adam Finland के दिये बयान को मीडिया में ऐसे वक्त में “लीक” किया गया है, जब ऑस्ट्रेलिया और चीन ताइवान मुद्दे पर एक दूसरे के साथ उलझे हुए हैं। पिछले दिनों ही ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री Peter Dutton ने कहा था कि ताइवान को लेकर ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच सैन्य गतिरोध देखने को मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि ऑस्ट्रेलिया साइबर स्पेस में पहले ही चीनी आक्रामकता का शिकार बन रहा है। कुल मिलाकर चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ Grey Zone Warfare छेड़ा हुआ है, जिसके खिलाफ ऑस्ट्रेलिया अपनी तैयारी पूरी कर रहा है। कमांडर Adam Finland ने पिछले वर्ष कहा था “हमें पश्चिमी पेसिफिक और ASEAN में अपनी मौजूदगी बनानी होगी, और चीन की चुनौती से निपटना होगा।”
हालांकि, चीन की Grey Zone Warfare रणनीति से निपटने की तैयारी कर रहा ऑस्ट्रेलिया इस कोशिश में अकेला नहीं है। पिछले वर्ष भारत के सेनाध्यक्ष नरवाने ने भी स्पष्ट किया था कि भारत इस तरह की चालों से निपटने के लिए अपने उत्तर और पश्चिमी बॉर्डर पर Grey Zone Warfare रणनीति अपना सकता है।
नरवाने ने तब कहा था कि “भारत पारंपरिक युद्ध की तैयारी के साथ-साथ Grey Zone Dynamics पर भी काम कर रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ की गयी बालाकोट एयर स्ट्राइक इसी बात का नमूना थी। हम अपने उत्तर और पश्चिमी बॉर्डर पर ऐसी ही कार्रवाई जारी रखेंगे”। इतना ही नहीं, देखा जाये तो NSA अजीत डोभाल की Defensive Offense नीति भी इसी रणनीति का उदाहरण है।
बाइडन प्रशासन के आने के बाद चीन ने ताइवान और सेनकाकु द्वीपों के खिलाफ अपने Grey Zone Warfare रणनीति के तहत आक्रामकता को बढ़ा दिया है। ऐसे में ज़रूरी है कि Quad के देशों के साथ-साथ ASEAN और ताइवान भी चीन की इस रणनीति को समझें और इसका माकूल जवाब दें!