Indian Medical Association आजकल काफी सुर्खियां बटोर रहा है। योगगुरु बाबा रामदेव से भिड़ंत के अलावा IMA अपने विवादित अध्यक्ष के कारण भी चर्चाओं में है, जिसपर अवैध रूप से धर्मांतरण को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं। अब IMA से जुड़ा एक नया विवादित मामला सामने आया है। यह मामला जुड़ा है IMA द्वारा अलग-अलग उत्पादों को सर्टिफिकेट प्रदान करने से!
आपने अक्सर TV पर कुछ विज्ञापन तो देखे ही होंगे, जहां पर उत्पादों के बारे में कहा जाता है कि वह उत्पाद ‘डॉक्टरों का सुझाया और IMA द्वारा प्रमाणित’ है। टूटपेस्ट, टूथब्रश और मेडिकल साइंस से जुड़े अन्य किसी उत्पाद पर तो यह सर्टिफिकेशन तर्कसंगत कहा जा सकता है लेकिन अब IMA, LED बल्ब से लेकर दीवारों पर किए जाने वाले paint तक को अपना सर्टिकिफेट प्रदान करने लगा है, जिसने कई सवालों को जन्म दे दिया है।
इस सर्टिफिकेट के धंधे के पीछे आखिर है कौन? आखिर क्यों किसी भी उत्पाद को IMA का प्रमाण पत्र मिल जाता है? प्रोडक्ट्स को ‘सर्टिफिकेट’ देने का ठेका लेने वाले IMA को क्यों न एक कमर्शियल कंपनी माना जाए?
IMA कोई सरकार द्वारा अधिकृत संस्था तो है नहीं, परंतु इसका व्यवहार ऐसा है जैसे ये देश में मेडिकल नियामक संस्था हो, और इसके अलावा देश में डॉक्टरों के हित में कोई और सोच ही नहीं सकता।
असल में IMA जिस प्रकार से कुछ उत्पादों की बिना जांच पड़ताल किए प्रमाण पत्र बांटता हुआ दिखाई दे रहा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि दाल में कुछ तो काला है। IMA प्रत्यक्ष रूप से नहीं कहता कि वो किसी भी प्रोडक्ट का प्रचार कर रहा है, लेकिन इसी संस्था से किसी भी प्रोडक्ट को ‘स्वास्थ्य के लिए ठीक’ होने का सर्टिफिकेट आश्चर्यजनक रूप से मिल जाता है।
उदाहरण के लिए क्रॉम्पटन के ‘एंटी-माइक्रोबियल LED बल्ब’ को भी अजीबोगरीब तरह से IMA का सर्टिफिकेट दे दिया गया। ये 85% रोगाणुओं को मारने का दावा करता है। साथ ही IMA ने संक्रमण पैदा करने वाले 99% bacteria को 2 घंटे में मार गिराने का दावा करने वाले एक पेंट को भी सर्टिफिकेट दे डाला। यानि अब IMA प्रोडक्ट्स के साथ-साथ ‘तकनीक’ को भी सर्टिफिकेट देने लगा है।
अब इस प्रमाण पत्र को देने के लिए IMA क्या तरीका अपनाता है, किस वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर IMA ये सर्टिफिकेट देता है, इन सब के बारे में कोई पारदर्शिता नहीं है। इसके अलावा इस प्रक्रिया से IMA को कितना वित्तीय लाभ होता है, इस पर भी IMA मौन है? आखिर इसके पीछे क्या कारण है? क्या किसी प्रकार के भ्रष्टाचार को छुपाया जा रहा है?
ऐसे में IMA द्वारा बिना सोचे समझे किसी भी उत्पाद को सर्टिफिकेट बांटने की इस नीति पर डॉक्टरों के साथ स्वयं IMA को भी एक निष्पक्ष जांच बैठानी चाहिए। ये सामने आना चाहिए कि आखिर वे कौन लोग, जो थोड़े से पैसों के लिए कर्मठ डॉक्टरों और यहाँ तक कि स्वयं IMA को बदनाम कर रहे हैं।