मोदी सरकार की कूटनीति कोरोना काल की इस दूसरी लहर में सबसे मददगार साबित हुई है, जब विदेशों को भारत की जरूरत थी तब भारत ने सभी का पूरा साथ दिया। अब जब भारत को जरूरत है तो सभी उसके साथ खड़े हैं। मदद देने वाले देशों में ब्रिटेन की भागीदारी भी किसी से छिपी नहीं है। ब्रिटेन से अपने अच्छे रिश्तों का फायदा उठाकर मोदी सरकार ने भारत में वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब सीरम इंस्टीट्यूट की ब्रिटेन भेजी जाने वाली 50 लाख वैक्सीन भारतीयों को ही लगेंगी, जिससे राज्यों को राहत मिलेगी।
दरअसल, 1 मई से शुरू होने वाले 18 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन के मुद्दे पर सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि राज्यों के पास वैक्सीन के पर्याप्त स्टॉक नहीं है। इस मुद्दे पर राज्य लगातार केन्द्र से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने अपनी कूटनीति के जरिए वैक्सीन की कमी को पूरा करने का फैसला लिया है और ब्रिटेन भेजी जाने वाली वैक्सीन को भारत में ही इस्तेमाल करने का ऐलान कर दिया है। खास बात ये है कि ब्रिटेन इस बात पर भारत के साथ सहमत है।
और पढ़ें- वैक्सीन पेटेंट अधिकारों के खात्मे का विरोध कर जर्मनी ने अपने भारत-विरोध को फिर दर्शा दिया है
वैक्सीन की कमी को लेकर अपने फ़ैसले में केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि सीरम इंस्टीट्यूट में बनने वाली 50 लाख वैक्सीन की डोज जो ब्रिटेन भेजी जानी थी, वो अब भारत में ही इस्तेमाल होगी। केन्द्र सरकार खुद इन वैक्सीनों को देश के सभी राज्यों को पहुंचाने का काम करेगी। इन वैक्सीनों से भारत के 18-44 उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन होगा, जिससे राज्यों में वैक्सीन के स्टॉक की कमी नहीं होगी। सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्रोजेनेका के लिए वैक्सीन का उत्पादन कर रही है।
ऐसे में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है कि कुछ राज्यों को साढ़े तीन लाख खुराकें आवंटित कर दी गई हैं। वहीं कुछ राज्यों को एक-एक लाख और कुछ राज्यों को 50,000-50,000 खुराकें देने की तैयारी की गई हैं। खास बात ये है कि ब्रिटेन के कोटे की इन वैक्सीनों पर कोविशील्ड नहीं बल्कि कोविड-19 वैक्सीन एस्ट्राजेनेका का लेबल लगाया गया है। ये वैक्सीन इंडिया में कोवीशील्ड के नाम से बिकती है और ब्रिटेन में एस्ट्रोजेनेका के नाम से।
मोदी सरकार के इस फैसले से भारतीय राज्यों को वैक्सीन के स्टॉक्स में होने वाली दिक्कत एक झटके में ही खत्म हो गई है। इस मुद्दे के हल होने की वजह भारतीय कूटनीति मानी जा रही है। भारत की कोरोना की दूसरी लहर में ब्रिटेन ने ऑक्सीजन सहित मेडिकल संबंधी उपकरण प्रदान कर बड़ी मदद की है। वहीं ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन का रुख भारत के लिए हमेशा ही सकारात्मक रहा है और अब भारत को ब्रिटेन के साथ अपने उन्हीं कूटनीतिक रिश्तों का लाभ मिला है जिससे वैक्सीन के स्टॉक की समस्या का निवारण हो गया है।