महत्वाकांक्षा एक दोधारी तलवार समान है। इसका सदुपयोग करें, तो आप बड़ी से बड़ी ऊंचाइयों पर आसानी से पहुँच सकते हैं। परंतु दुरुपयोग करने पर अपना नैतिक और राजनीतिक पतन कब और कैसे होगा, इसका आभास शायद आपको स्वयं भी न हो, जैसे इस समय कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के साथ हो रहा है।
अभी से ही अटकलें लगाई जा रही है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह हो सकती है, जिसका नेतृत्व निस्संदेह नवजोत सिंह सिद्धू ही करेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह [सेवानिर्वृत्त] के बीच में काफी समय से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है।
नवजोत सिंह सिद्धू की हेकड़ी से कैप्टन अमरिंदर सिंह के कई समर्थक परेशान हैं, और उन्होंने पार्टी से नवजोत के निष्कासन की माँग की है। कुछ दिनों पहले नवजोत ने खुलेआम दावा किया था कि पंजाब सरकार अमरिंदर सिंह ‘बादल परिवार’ के साथ मिलकर चला रही है। इसके अलावा नवजोत के मन में कहीं न कहीं ये फांस अटकी रही है कि पंजाब सरकार में उन्हे ‘ओहदे’ के बराबर का पद नहीं मिला।
लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली है। उनका मानना है कि यदि उन्हे पार्टी से निकाला गया, तो वे अकेले नहीं जाएंगे। ये लक्षण काफी दिनों से दिख रहे हैं, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू कथित तौर पर अमरिंदर के विरुद्ध समर्थन जुटाने की जद्दोजहद में लगे पड़े हैं।
इस विषय पर TFI पोस्ट की एक रिपोर्ट के अंश अनुसार, सिद्धू को राहुल गांधी और कांग्रेस आलाकमान का सिपहसलार माना जाता है। वो पिछले दो सालों से कैप्टन के खिलाफ बगावत कर रहे हैं, जिसके चलते पंजाब कांग्रेस में दो धड़े होते नजर आ रहे हैं। इस टकराव को एक नए स्तर पर ले जाते हुए सिद्धू ने अब कैप्टन विरोधी विधायकों और कैबिनेट मंत्रियों से भी मिलना शुरू कर दिया है, जिसे कैप्टन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
दरअसल, हालिया खबरों के मुताबिक सिद्धू ने कैप्टन विरोधी मंत्रियों के साथ बैठक की, जिनमें कोआपरेशन जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा और कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के नाम शामिल है। इस बैठक में विधायक प्रताप सिंह बाजवा के भाई फतेह जंग सिंह बाजवा समेत कुशलदीप सिंह ढिल्लन, बलविंदर लड्डी और बरिंदरमीत सिंह पाहरा भी शामिल थे।
ये सभी ऐसे लोग हैं जिन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोधी माना जाता है।खबरों के मुताबिक ऐसे 38 विधायक और मंत्री हैं जो कि कैप्टन के खिलाफ आलाकमान से शिकायत करने को तैयार हैं। इस पूरे खेमे में कैप्टन विरोधियों की आक्रमकता पंजाब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है।”
ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू का रुख स्पष्ट है – या तो कैप्टन अमरिंदर उनके कहे अनुसार काम करे, नहीं तो वे पंजाब काँग्रेस में ऐसी दरार डालेंगे जिसे कभी भरा न जा सके। हालांकि उनके ये ख्वाब मुंगेरीलाल के हसीन सपने समान दिखाई अवश्य देते हैं, लेकिन सिद्धू को हल्के में लेना अमरिंदर गुट के लिए खतरे से खाली नहीं होगा, क्योंकि उसके सर पर अभी भी राहुल गांधी का हाथ है। ऐसे में नवजोत के नए स्वभाव से कैप्टन अमरिंदर सिंह को बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है।