देश में चाहें नैतिकता का तांडव होता रहे लेकिन लिबरलों की निगाहें केवल उत्तर प्रदेश में पर अड़ी रहती है, जिसका कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति उनकी नफरत है। योगी सरकार के शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार की EWS कोटे के तहत सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई तो बवाल मच गया।
विपक्षी धड़ा उस मंत्री को भूल सीधा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर ले रहा था। इसके विपरीत अब योगी के मंत्रियों के बीच उनका व्याप्त खौफ सामने आया है, और सीएम के सिद्धार्थनगर दौरे से ठीक एक दिन पहले सतीश द्विवेदी के भाई ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जो कि एक कुशल प्रशासक की नीतियों को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने विधायकों और मंत्रियों के लिए एक सख्त नेता माना जाता है वो किसी को भी अनैतिक कार्यों के लिए लताड़ने में ज्यादा वक्त नहीं लगाते है, जिसके कारण यूपी मंत्रिमंडल का प्रत्येक मंत्री उनके सामने फूंक-फूंक कर कदम रखता है। इसी बीच राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी चर्चा में आए क्योंकि उनके भाई की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में EWS कोटे से नियुक्ति हुई थी।
इसके विपरीत सोशल मीडिया पर मंत्री की काफी आलोचना हो रही थी, कि सीएम योगी के मंत्री अपने रसूख के जरिए करीबियों को आसानी से नौकरी दिलवा रहे हैं, लेकिन अचानक विपक्षी एजेंडे की हवा निकल गई है।
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दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गुरुवार को सिद्धार्थनगर में कोविड कंट्रोल के संबंध में दौरा प्रस्तावित है, जिसके चलते वहां तैयारियां चल रहीं हैं। इसी बीच मंत्री महोदय के भाई अरुण कुमार ने अपने प्रोफेसर के उसी विवादित पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे स्वीकार करने की बात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र दुबे द्वारा कही गई है।
हालांकि इतने रसूखदार शख्स से जुड़े होने के बावजूद अल्प आय कोटे से नियुक्ति होना आश्चर्यजनक है जिसको लेकर लेकर जांच की मांग उठ रही है। कुछ लोग इस इस्तीफे की घटना को सामान्य प्रक्रिया बताकर ये दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि आलोचनाओं के कारण आनन फानन में ऐसा फैसला लिया गया, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले योगी कैबिनेट का विस्तार और बदलाव होना है, जिसको लेकर खबरें हैं कि ये विस्तार मंत्रियों के कामकाज के आधार पर होगा। इसमें ये भी देखा जाएगा किन मंत्रियों का ट्रैक रिकॉर्ड कोविड के दौरान अच्छा रहा है। ऐसे में संभावनाएं हैं कि कई मंत्रियों की कुर्सी जा सकती है।
कैबिनेट विस्तार की इन्हीं खबरों के बीच सतीश द्विवेदी के भाई की नियुक्ति का ये प्रकरण उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भारी पड़ सकता था। वो जान गए कि ये विवाद जितना ज्यादा बढ़ेगा, मुख्यमंत्री की नजरों में उनकी छवि उतनी ही बर्बाद होगी।
पूरे हालिया घटना क्रम के आधार पर कहा जा सकता है कि लगातार बढ़ते इस विवाद को थामने की कोशिश में मुख्यमंत्री के आगमन से ठीक एक दिन पहले ही सतीश द्विवेदी ने अपने भाई से विवादित पद से इस्तीफा दिलवा दिया है, और इस इस्तीफे को सीएम योगी के सख्त रवैए का परिचायक माना जा रहा है।