कोरोना वायरस संक्रमण का अगर कोई रामबाण इलाज है तो वह है वैक्सीन। टीकाकरण ही एकमात्र विकल्प है जिसके सहारे हम कोरोना संक्रमण से निपट सकते है। ऐसे में सवाल उठता है कि, जब वैक्सीन इतनी ज्यादा कारगर साबित हो चुकी है, फिर भी लोग टीकाकरण से क्यों कतरा रहे है?
इसका जवाब है ‘vaccine hesitancy’ यानी टीकाकरण के प्रति मन में संकोच। आपकी जानकरी के लिए बता दें, भारत में 45 वर्ष के ऊपर के मात्र 26 प्रतिशत लोगों ने टीका लगवाया है और 60 वर्ष के ऊपर केवल 38 प्रतिशत लोगों ने टीका लगवाया है।
हैरानी की बात यह है कि, जनता के मन में संकोच का बीज बोने वाले और कोई नहीं बल्कि हमारे देश के अपने ही नेता और मुख्यधारा मीडिया है।
जी हां… जिसका काम था जनता को जागरूक करना, उन्होंने ही जनता को हतोत्साहित किया। आपको बता दें कि, विपक्ष के कई ऐसे नेताओं ने वैक्सीन के खिलाफ आवाज उठाई है और कई बड़े अखबारों ने वैक्सीन के खिलाफ लेख लिखे है।
उदाहरण के लिए बता दें, द हिंदू ने अपने 17 जनवरी की “Injecting Confidence” नामक एक लेख में भारत बायोटेक के ऊपर उंगली उठाई गई थी। ठीक वैसे ही द इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी लेख “Measuring Confidence” में भारत बायोटेक के ऊपर संदेह जाहिर किया गया था।
बता दें कि, इन दिनों अखबार ने वैक्सीन के खिलाफ यह इकलौता लेख नहीं लिखा है। एक ट्विटर यूजर्स की माने तो, द इंडियन एक्सप्रेस ने 182 ऐसे आर्टिकल छापे है और द हिंदू ने 128, लेकिन सिलसिला यही खत्म नहीं होता है।
3/n During this time, many news articles were published in the media against the vaccine.@IndianExpress 182,#loksatta 172,@navbharattimes_ 236,@HindustanTimes 123,@timesofindia 28,@thewire_in 78,@ThePrintIndia 59,@scroll_in 122,@newslaundry 54,@AltNews 78,#TheHindu 128
— Jyoti Kapur Das 🇮🇳 (@jkd18) May 12, 2021
ट्विटर यूजर ज्योति कपूर दास के हिसाब से “लोकसत्ता ने 172 आर्टिकल, नवभारत टाइम्स ने 236, हिन्दुस्तान टाइम्स ने 123, टाइम्स ऑफ इंडिया ने 28, द प्रिंट ने 59, स्क्रोल ने 122, द वायर ने 78, न्यूज लॉन्ड्री ने 54 और alt न्यूज ने 78 ऐसे आर्टिकल छापे है जिसकी वजह से आम जनता के मन में टीकाकरण के प्रति संदेह पैदा हुआ है।”
बात न्यूज़ आर्टिकल तक ही सीमित रहती तो क्या बात थी। लेकिन हमारे देश के विपक्ष के नेताओं ने हमेशा से वैक्सीन के ऊपर शक जताया है। जैसे कि – जयराम रमेश, शशि थरूर, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, आनंद शर्मा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मनीष तिवारी और न जाने कितने अन्य। छत्तीसगढ़ सरकार ने तो COVAXIN लेने से साफ इंकार कर दिया था।
आप देख सकते है कि, समाज के दो तबके के लोग पत्रकार और नेता जिनकी कही हुई हर बात देश के कोने-कोने तक पहुंचती है, उन्होंने अपनी आवाज का कैसे इस्तेमाल किया? इन्होंने आम जनता को गुमराह करने के अलावा और कुछ नहीं किया है।
न जाने कितने लोगों ने ऐसे नेताओं और पत्रकारों की बातों में आकर टीकाकरण नहीं करवाया होगा, और न जाने कितने लोगों का इसके चलते निधन हुआ होगा। अब सवाल उठता है क्या इनके ऊपर IPC section 299 के तहत culpable homicide का मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए?