इज़रायल में पिछले 2 सालों के दौरान चार बार आम चुनाव कराये जा चुके हैं। नतीजा हर बार वही निकलता है- किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता! प्रत्येक चुनाव में मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है, लेकिन 120 सीटों वाली Knesset में बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाती। साथ ही अन्य पार्टियां गठबंधन करने की स्थिति में भी नहीं पहुँच पाती। हालांकि, चार बार चुनाव आयोजित कराने के बाद अब नेतन्याहू के विरोधी हाथ मिलाने पर राज़ी हो गए हैं, जिसका अर्थ है कि नेतन्याहू जल्द ही अपनी कुर्सी गंवा सकते हैं।
Times of Israel के मुताबिक, नेतन्याहू के विरोधी और Yamina पार्टी के नेता Naftali Bennett ने Yesh Atid के अध्यक्ष Yair Lapid ने गठबंधन करने का ऐलान किया है। Yesh Atid नेतन्याहू की Likud पार्टी के बाद सबसे बड़ी पार्टी है जिसके पास 17 सीटें हैं। Yesh Atid पहले ही 7 सीटों वाली Yisrael Beytenu और 5 सीटों वाली Meretz के साथ गठबंधन कर चुकी है। 7 सीटों वाली Labor पार्टी भी Yesh Atid को अपना समर्थन जता चुकी है। इसके साथ ही 5 सीटों वाली Raam पार्टी और 6 सीटों वाली New Hope पार्टी भी इस महागठबंधन को समर्थन जता चुकी है। बहुमत के लिए कम से कम 61 सदस्यों का साथ चाहिए होगा और 2 जून बहुमत साबित करने की आखिरी तारीख है। ऐसे में Yesh Atid के नेता Lapid के लिए राह इतनी भी आसान नहीं रहने वाली है।
इजरायली मीडिया के सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन की सरकार में पहले 2 साल और तीन महीने Yamina पार्टी के नेता Naftali Bennett प्रधानमंत्री बन सकते हैं, जिसके बाद सितंबर 2023 में Lapid गठबंधन का नेतृत्व कर सकते हैं।
दूसरी ओर नेतन्याहू भी अपना बहुमत सिद्ध करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक विडियो संदेश के माध्यम से New Hope पार्टी को अपने पाले में करने की कोशिश की। हालांकि, इस वक्त नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार के तीन-तीन मामले चल रहे हैं, जिसके कारण कोई भी पार्टी उनके साथ मिलकर एक “अस्थिर” सरकार नहीं चलाना चाहती।
नेतन्याहू के विरोधियों के लिए सरकार बनाना इतना आसान नहीं होगा, लेकिन अगर 2 जून से पहले यह महागठबंधन रजामंदी बना लेता है तो नेतन्याहू का सत्ता से बाहर होना तय हो जाएगा। ऐसी स्थिति इज़रायल के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकती है।
नेतन्याहू एक निपुण और अनुभवी प्रशासक है जो इस देश के सबसे लंबे समय तक PM रहने वाले नेता हैं। वे वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 1999 और फिर वर्ष 2009 से लेकर अब तक देश का PM पद संभाले हुए हैं। वे एक साहसिक नेता हैं जो संकट के समय देश का सफल नेतृत्व करने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में हुए इज़रायल-हमास के युद्ध के दौरान भी उनके हौसलों को पूरे विश्व ने देखा।
नेतन्याहू के नेतृत्व में ही इज़रायल ने अरब देशों के साथ मिलकर Abraham Accords पर हस्ताक्षर किए। अगर नेतन्याहू सत्ता से बाहर होते हैं तो यह Abraham Accords को भी बहुत बड़ा झटका हो सकता है। इसके साथ ही इज़रायल में नए नेताओं के सत्ता संभालने से इज़रायल की विदेश नीति पर इसका गहरा असर पड़ सकता है, जो ईरान और हमास को बड़ी शक्ति पहुंचा सकता है। इसके साथ ही किसी संकट के समय भी इज़रायल में एक मजबूत नेता की कमी खल सकती है। ऐसे वक्त में जब अमेरिका और चीन जैसे देश, इज़रायल के हितों के खिलाफ पहले ही काम कर रहे हैं, ऐसे में इज़रायल के अंदर एक राजनीतिक अस्थिरता इज़रायल के दुश्मनों को बड़ा मौका प्रदान कर सकती है।