वुहान वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अंततः BCCI ने आईपीएल को स्थगित करने का फैसला किया है। BCCI का यह फैसला सनराइजर्स हैदराबाद के रिद्धिमान साहा और दिल्ली कैपिटल्स के अमित मिश्रा के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद आया है।
पिछले साल कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण बोर्ड ने आईपीएल UAE में कराने का फैसला किया था। इस दौरान खिलाड़ियों की सुरक्षा और Covid 19 प्रोटोकॉल का ठीक से पालन करवाने के लिए ब्रिटेन की एक IT कंपनी और Restrata नाम की बड़ी सुरक्षा कंपनी की मदद ली थी। किन्तु इस बार ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि गई थी।
Times of India ने इसपर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। इसके अनुसार जिन मानकों का पिछले आईपीएल संस्करण में पालन हुआ था, उनमें से लगभग किसी भी मानक का इस बार कड़ाई से पालन नहीं किया गया।
सभी फ्रेंचाइजी को बोर्ड की हेल्थ टीम की ओर से वुहान वायरस प्रोटोकॉल की जानकारी दी जानी थी, जिसके तहत एक एजुकेशन प्रोग्राम चलाना था। इसमें बचाव के उपायों की जानकारी दी जानी थी, जो नहीं दी गई।
होटल बुकिंग के समय होटल प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ। एक टीम ने बताया कि उन्हें एक मॉल में होटल मिला था, ऐसे में उनका भीड़ से संपर्क होना निश्चित था। बुकिंग के समय पूरे के पूरे फ्लोर बुक करने का निर्देश टीम मैनेजमेंट को नहीं था, जबकि यह पिछले वर्ष प्रोटोकॉल का हिस्सा था।
ट्रेनिंग में जिन ग्राउंड स्टाफ की मदद ली गई उनकी कोरोना से सुरक्षा की व्यवस्था नहीं हुई, जबकि इनका खिलाड़ियों से संपर्क होना निश्चित था। UAE में टीम एक मैच के बाद बस से दूसरे वेन्यू पर जाती थी, जबकि भारत में शहरों की दूरी अधिक होने के कारण फ्लाइट से आने जाने की व्यवस्था हुई। ऐसे में एयरपोर्ट से लेकर, फ्लाइट तक, संक्रमण का खतरा था।
टीमों को वायरस के फैलाव के बीच अधिक यात्रा न करनी पड़े इसलिए यह प्रस्ताव दिया गया था कि सभी मैच कुछ ही चुनिंदा ग्राउंड पर खेले जाएं, किन्तु BCCI ने इस सुझाव को नजरंदाज किया। BCCI का कहना था कि किसी भी टीम को होम ग्राउंड का लाभ नहीं मिलना चाहिए, लेकिन आईपीएल जैसी प्रतियोगिता में, जहाँ टीम देशी विदेशी खिलाड़ियों से बनती है, वहां होम ग्राउंड के लाभ जैसी बात निर्रथक है। वैसे भी मैच के दौरान दर्शक भी नहीं आने वाले थे, ऐसे में BCCI की होम ग्राउंड वाली दलील निराधार है।
पिछले वर्ष UAE में जहाँ Bio Secure Environment बनाकर खिलाड़ियों को चाइनीज वायरस से बचाया गया था, इस वर्ष ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।
खिलाड़ी जिन होटलों में रुके उनके स्टाफ को 14 दिन तक क्वारंटाइन नहीं किया गया था, जो ड्राइवर बस चला रहे थे, जो लोग एन्टी डोपिंग टेस्ट करने आए थे उन सभी की जांच नहीं हुई थी। ऐसे में खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में BCCI बिल्कुल असफल रही।
आईपीएल एक विश्वस्तरीय टूर्नामेंट है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, वेस्ट इंडीज आदि जगहों से खिलाड़ी इसमें भाग लेते हैं तथा इसे पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमी देखते हैं। ऐसे में BCCI की जिम्मेदारी और भी अधिक थी, क्योंकि वह विश्व का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है जो विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट में से एक का आयोजन कर रही था।
BCCI को ध्यान रखना चाहिए था कि उसकी लापरवाही उसके साथ साथ भारत की छवि भी खराब करेगी। फिलहाल BCCI का फैसला भले देरी से लिया गया हो लेकिन बिल्कुल सही फैसला है।