पिछले वर्ष कोरोना के बीच चीन से सप्लाई चेन की निर्भरता को कम करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने औपचारिक रूप से पहली बार एक साथ आने की योजना पर चर्चा की थी। अब जिस तरह बाइडन QUAD को अप्रासंगिक बनाने की कोशिश में लगे हैं उससे अब ये तीनों देश एक साथ अमेरिका के बिना चीन से टक्कर लेने के लिए सामने आ चुके हैं और Supply Chain Resilience Initiative (SCRI) की शुरुआत की है। ऐसा लगता है कि जब तक White House में एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति नहीं आ जाते तब तक QUAD निष्क्रिय स्थिति में ही रहेगा।
दरअसल, 27 अप्रैल को भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने सप्लाई चेन में चीन को टक्कर देने के लिए औपचारिक रूप से Supply Chain Resilience Initiative (SCRI) की शुरुआत की। इन तीनों देशों का यह कदम supply chain resilience” को मजबूत करने और एक पहल स्थापित करने के लिए है जो चीन पर से निर्भरता को कम करने का प्रयास है। अब सवाल यह उठता है कि QUAD के रहते ऐसी क्या आवश्यकता आन पड़ी की बिना अमेरिका के ही इन तीनों देशों को एक साथ आना पड़ा। इसका उत्तर यह है कि QUAD में अमेरिका की भागीदारी डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहने तक ही थी।
जापान द्वारा QUAD को पुनर्जीवित करने के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा यह अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप का QUAD को चीन के खिलाफ मजबूत करने का दृढ निश्चय था जिससे यह संगठन एक नयी ऊंचाई हासिल कर सका। QUAD को डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका का फुल सपोर्ट मिलने के बाद यह चीन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका था, परन्तु अब जैसे ही अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ है और डेमोक्रेट्स उम्मीदवार जो बाइडन ने सत्ता संभाली है वैसे ही चीन लॉबी एक्टिव हो गया और QUAD की बढती ताकत को कम करने की जुगत में लग गया।
अब जो बाइडन न तो QUAD के सदस्यों का डोनाल्ड ट्रंप की तरह समर्थन कर रहे हैं और न ही QUAD को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जिस तरह से बाइडन चीन के लिए एक नर्म रुख अपना रहे थे, उससे भारत और जापान दोनों को चीन से निपटने के लिए अकेले ही तैयार होना पड़ा है। जब बाइडन प्रशासन सत्ता में आई थी तो “Free and Open Indo Pacific” के बजाये “Secure and Prosperous” इंडो-पैसिफिक रणनीति को आगे बढ़ाने की बात कर रहे थे। ट्रम्प के समय अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ मिलकर चीन के खिलाफ एक साझा रणनीतिक और आर्थिक नीति पर काम कर रहा था। बाइडन के आने के बाद सब बदल चुका है। डॉनल्ड ट्रम्प जी7 या NATO को छोड़, Quad को ज़्यादा तवज्जो देना चाहते थे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीनी आक्रामकता के कारण सबसे ज़्यादा प्रभाव जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में ये सभी देश ज़्यादा प्रभावी तरीके से चीन के खिलाफ कोई एक्शन ले सकते हैं।
दूसरी ओर, अधिकतर पश्चिमी देशों को दुनिया के इस हिस्से में जारी चीनी उग्रवाद से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि, बाइडन आज भी पश्चिम को ही पूरी दुनिया का ठेकेदार समझते हैं। बाइडन को लगता है कि सिर्फ पश्चिम के लोकतान्त्रिक देश ही दुनिया में मानवाधिकारों की रक्षा करने में समर्थ हैं। बाइडन सत्ता में आने से पहले जिस प्रकार अमेरिका के नेतृत्व को पुनःस्थापित करने का दावे करते थे, वे पूरी तरह खोखले साबित हुए हैं। उनके आने के बाद एक के बाद एक अमेरिकी साथियों ने USA का साथ छोड़ा है, फिर चाहे वे यूरोप के देश हों, या फिर Quad के और ऐसा करने के लिए अमेरिका ने ही इन सब देशों को बाध्य भी किया है।
यही कारण है कि अब भारत जापान और ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका के बिना ही एक Trilateral बनाने की Supply Chain Resilience Initiative (SCRI) की शुरुआत की है। एक तरफ QUAD जहाँ चीन के खिलाफ Strategic Security पर फोकस करता था तो वहीं SCRI, Economic Security को केंद्र मुद्दा बनाएगा क्योंकि अगर चीन के खिलाफ एक्शन लेना है तो सबसे पहले उसके ऊपर से सप्लाई चेन की निर्भरता को समाप्त करना होगा। अब भविष्य में तीनों देशों का यह संगठन आर्थिक से स्ट्रेटजिक संगठन में भी बदल सकता है।
जिस तरह से बाइडन QUAD को नजरंदाज कर रहे हैं और जिस तरह से भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान मिल कर काम कर रहे हैं उससे यह अब स्पष्ट हो चुका है कि जब तक अमेरिका की सत्ता एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति के हाथों में नहीं जाती तब तक QUAD निष्क्रिय ही रहेगा और चीन से मुकाबले के लिए जापान, भारत तथा ऑस्ट्रेलिया साथ मिल कर काम करते रहेंगे।