Remdesivir Black-marketing : The Fake Demand over Remdesivir in the country has suddenly stopped
एक हफ्ते पहले कोरोना की दूसरी लहर के चलते देश में संसाधनों को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और सबसे ज्यादा Remdesivir Injection को लेकर लगातार मांग उठ रही था कि जिसके कारण इनकी देश में कमी हो गईं। वहीं अब ये सारी मांग ठंडी पड़ गई है। Remdesivir को लेकर पहले खबरें थीं, कि देश में इसकी कमी हो गई है। आज की स्थिति में ये सारी चीजें काफी हद तक कंट्रोल में आ चुकी हैं। जिसका एक उदाहरण मध्य प्रदेश का जबलपुर है, जहां Remdesivir के Injection की मांग में 70 फीसदी की कमी पाई गई है। इसके पीछे मोदी सरकार और राज्य सरकारों की सख्ती काम आई है। Black-marketing, जमाखोरी, और नकली दवाओं पर हुईं कार्रवाई के जरिए ये पैनिक खत्म हो रहा है और ये सोशल मीडिया पर पैनिक फैलाने वालों के लिए दुखद खबर है।
दरअसल, एक हफ्ते पहले की बात करें तो देश में Remdesivir Injection के लिए मारामारी जैसी स्थितियां थीं, जिसके चलते एक पैनिक स्थिति फैल गई थी। इसका नतीजा ये हुआ था कि बाजार में नक़ली दवाओं की अधिकता होने के साथ ही जमाखोरी और Black-marketing शुरू हो गई थी। वहीं अब ये सारा पैनिक खात्मे की ओर बढ़ चला है।
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The Fake demand over Remdesivir in the country has suddenly stopped after modi govt puts a curb over its black-marketing
इस पूरी सफलता के पीछे मोदी सरकार की नीति है। दरअसल, निजी अस्पतालों के ज्यादातर डॉक्टर मरीजों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सलाह दे रहे थे, जिसको लेकर मोदी सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर दी थी और आम तौर रेमडेसिवीर इंजेक्शन के खरीदने पर पाबंदी लगा दी थी। इसके तहत ये भी कहा गया था कि लोगों को Remdesivir की आपूर्ति तक के लिए सरकारी अधिकारियों की अनुमति की आवश्यकता होगी। इसके चलते स्थिति काफी बेहतर हुई हैं। वहीं अधिकारियों ने भी सख्ती दिखाते हुए साफ कहा था कि जिन लोगों को कालाबाजारी के जरिए रेमडेसिवीर मिल रही है वो नकली ही है, क्योंकि ओरिजनल स्टॉक को साधारण दुकानों में भेजना बंद कर दिया गया है। ये दवाएं और इंजेक्शन अब केवल अस्पतालों में ही उपलब्ध होंगे। सरकार के इस कदम से एक बड़ा गैरखधंधा खत्म हुआ है।
Remdesivir not for all patients
केन्द्र सरकार ने भी साफ किया है कि अब रेमडेसिवीर के इंजेक्शन केवल गंभीर मरीजों को ही दिए जाएंगे। दरअसल, पहले निजी अस्पताल सामान्य मरीजों को भी रेमडेसिवीर इंजेक्शन लिख देते थे, और लोगों को कालाबाजारी करने वालें लोगों से दस गुना अधिक दामों पर इंजेक्शन खरीदना पड़ता था। वहीं इन निजी अस्पतालों की भी कालाबाजारी लोगों के साथ सांठगांठ रहतीं थी। नियमों में बदलाव के बाद अब ये इंजेक्शन अस्पतालों को सरकार द्वारा जरूरत से ही मिल रहे हैं जिसके चलते कालाबाजारी और जमाखोरी करने वाले सभी अपराधियों की मुसीबतें बढ़ गईं हैं। यही कारण है कि अब इन सभी उत्पादों की कमी के नाम पर जो पैनिक फैलाया गया था, वो अचानक ही हवा होता दिख रहा है।
रेमडेसिवीर इंजेक्शन की खपत को लेकर कुछ लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ प्रोपेगैंडा चलाया था। ये वही लोग थे जो मदद के नाम पर जमाखोरी को सांकेतिक तौर पर बढ़ावा देते हुए पैनिक बांट रहे थे, लेकिन सरकार की सख्त कार्रवाई ने सारा प्रोपेगैंडा फेल कर दिया है।