ट्विटर के बढ़ते नाटक को देखते हुए अब भारत सरकार ने ट्विटर के भ्रामक बयानों का कड़ा खंडन किया है। सिर्फ खंडन ही नहीं किया, बल्कि ट्विटर को उसकी औकात भी दिखाई है। भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताने वाले ट्विटर के बयान पर केंद्र सरकार ने पलटवार करते हुए सरकार ने कहा है कि “भारत में फ्री स्पीच की रक्षा करना” भारत सरकार की जिम्मेदारी है, न कि ट्विटर जैसी निजी, लाभकारी, विदेशी संस्था की।
आईटी मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने का प्रयास कर रहा है। अपने कदम के जरिए जानबूझकर आदेश का पालन नहीं करके भारत की कानून व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, ‘ट्विटर का हालिया बयान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने का प्रयास है। कंपनी उन रेग्युलेशंस का पालन करने से इनकार कर रही है, जिनके आधार पर उन्हें आपराधिक जिम्मेदारी से सुरक्षा मिलती है।‘
Twitter’s statement is an attempt to dictate its terms to the world’s largest democracy. Through its actions and deliberate defiance, Twitter seeks to undermine
India’s legal system: Ministry of Electronics and Information Technology pic.twitter.com/WyGumYToYv— ANI (@ANI) May 27, 2021
मंत्रालय ने पूछा, “अगर ट्विटर इतना प्रतिबद्ध है, तो उसने भारत में अपने दम पर ऐसा तंत्र क्यों नहीं स्थापित किया?” मंत्रालय ने आगे कहा, ‘ट्विटर का भारत में काफी बड़ा यूजर बेस है, लेकिन ट्विटर इंडिया के अधिकारी कहते हैं कि उनके पास कोई अधिकार नहीं है। किसी भी तरह के मुद्दे उठाने पर वे कहते हैं कि भारत के लोगों को अमेरिका स्थित ट्विटर हेडक्वॉर्टर से संपर्क करना होगा। यही कारण है ट्विटर द्वारा किया जा रहा ‘भारत के प्रति प्रतिबद्धता‘ का दावा खोखला और स्वार्थी भरा है।‘
आईटी मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “ट्विटर को इधर-उधर की बातें बंद कर देनी चाहिए और भारत के कानूनों का पालन करना चाहिए। कानून बनाना और नीति तैयार करना संप्रभु यानी देश की सरकार का एकमात्र विशेषाधिकार है। भारत की कानूनी नीति की रूपरेखा क्या होनी चाहिए, यह तय करने का ट्विटर का कोई अधिकार नहीं है।
सरकार ने ट्विटर को उसका स्थान बतातें हुए कहा कि अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी ट्विटर इंक का कहना है कि वह एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य की सरकार से “जनता के हितों की रक्षा” के लिए “रचनात्मक संवाद”, “सहयोगी दृष्टिकोण” चाहती है। अब समय आ गया है कि ट्विटर इस छल को छोड़े और भारत के कानून का पालन करे।”
ट्विटर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने का एकमात्र उदाहरण स्वयं ट्विटर और इसकी अपारदर्शी नीतियां हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के खातों को निलंबित कर दिया जाता है और बिना किसी सबूत के मनमाने ढंग से ट्वीट हटा दिए जाते हैं। मंत्रालय के बयान में आगे कहा गया है कि भारत से बड़ा राजस्व अर्जित करने के बावजूद, ट्विटर भारत-आधारित शिकायत निवारण प्रणाली की नियुक्ति नहीं करना चाहता है।
मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर ने यह दावा किया है कि वह भारतीयों के लिए प्रतिबद्ध है। इसके उलट हाल के दिनों में उसका यह कमिटमेंट देखने को नहीं मिला। मंत्रालय ने उदहारण भी दिया कि कैसे ट्विटर ने भारतीय केंद्र शासित प्रदेश के कुछ हिस्सों को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया था और याद दिलाने के बावजूद गलतियों को सुधारने में कई दिन लगा दिए थे।
अगले उदहारण में सरकार ने बताया कि कैसे ट्विटर ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैपिटल हिल में हिंसा के अपराधियों के खिलाफ स्वयं संज्ञान लेकर कार्रवाई की थी, लेकिन दिल्ली में लाल किले पर इसी तरह की घटनाओं के दौरान जब भारत सरकार ने भड़काऊ कंटेंट को हटाने के लिए वैध अनुरोध किया तो इस प्राइवेट कंपनी ने त्वरित कार्रवाई करने से मना कर दिया था।
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यही नहीं सरकार ने यह भी याद दिलाया कि ट्विटर की कार्रवाई की कमी के कारण भारत और भारतीयों के खिलाफ नकली और हानिकारक कंटेंट बड़े पैमाने पर फैल चुके हैं। Vaccine hesitancy को ट्विटर के माध्यम से बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया था पर कंपनी ने कोई कार्रवाई नहीं की।
यही नहीं सरकार ने हालिया उदहारण देते हुए ट्विटर को याद दिलाया कि भारतीयों के खिलाफ भेदभावपूर्ण व्यवहार के कारण ही ट्विटर द्वारा कोविड के B.1.617 वेरिएंट को “इंडियन वेरिएंट ” के रूप में चिह्नित करने से इनकार किया गया, जबकि WHO ने इसके खिलाफ स्पष्ट दिशा-निर्देशों दिया था।
अंत में, मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर केवल एक निजी कंपनी है और उसे झूठी भव्यता से बचना चाहिए और भारत के कानूनों का पालन करना चाहिए। सरकार ने ट्विटर के बयान को पूरी तरह से निराधार, झूठा और ट्विटर द्वारा अपनी खुद की गलतियों को छिपाने का प्रयास बताया।
बता दें कि इससे पहले ट्विटर ने बैन होने के डर से एक बयान जारी कर कहा था कि, “अपनी सेवा उपलब्ध रखने के लिए, हम भारत में लागू कानून का पालन करने की कोशिश करेंगे। लेकिन, बिलकुल वैसे जैसा कि हम दुनियाभर में करते हैं। जिन लोगों को हम सेवा मुहैया कराते हैं, उनके लिए अभिव्यक्ति की आजादी पर संभावित खतरे से चिंतित हैं।“
आईटी मंत्रालय ने ट्विटर अपने कदम के जरिए जानबूझकर आदेश का पालन नहीं करके भारत की कानून व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है।
आखिरी बार आपने भारत सरकार की इतनी कड़ी प्रतिक्रिया कब देखी थी? हालाँकि, जिस तरह से ट्विटर भारत में चीजों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है उससे उसे बैन करने के बाद ही बातचीत करनी चाहिए। जिस तरह से भारत ने टिकटॉक को बैन कर दिया था उसी तरह से ट्विटर को भी उसी तरीके से सबक सिखाने की आवश्यकता है। जब सभी सोशल मीडिया नियमों को मानाने के लिए तैयार दिखाई दे रहे हैं तो ट्विटर क्यों नहीं। यह विडम्बना ही है कि सबसे अधिक अपारदर्शी तरीके से चलने वाली एक प्राइवेट कंपनी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ज्ञान दे रही है।