उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस की स्थिति सबसे विकट है, क्योंकि कांग्रेस की स्थिति सबसे कमजोर है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लोकप्रिय चेहरा सभी विपक्षी नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। कुशल प्रशासन से लेकर सख्त नीतियों के कारण योगी की छवि केवल राज्य में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक है। ऐसे में कांग्रेस अब योगी का मुकाबला करने के लिए बीजेपी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम को आगे करने की तैयारी में है। ये मांग कार्यकर्ताओं के बीच से आई है। इसका सीधा मतलब ये कहा जा सकता है कि अब कार्यकर्ताओं का मोह कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से पूरी तरह भंग हो गया है।
विधानसभा चुनाव 2017 के बाद बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपना हिंदुत्व का चेहरा यानी योगी आदित्यनाथ को आगे कर विपक्ष के लिए मुसीबतें बढ़ा दी थी। इन पिछले चार सालों में पार्टी का बूथ दर बूथ विस्तार हुआ है। ऐसे में कांग्रेस ने योगी का मुकाबला करने के लिए गांधी परिवार की गुड़िया यानी प्रियंका गांधी को आगे कर दिया, लेकिन अब अचानक पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी हिंदुत्ववादी चेहरे को आगे किया जाए। जो दिखाता है कि कांग्रेस के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी का राजनीतिक रंग और ढंग सब देख लिया है और अब वो प्रियंका पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।
और पढ़ें- प्रियंका गांधी का सियासी कैलेंडर जारी, हर महीने में छपी है उनकी ‘कथित’ उपलब्धि
कांग्रेस की स्थिति यूपी में सबसे ज्यादा खराब है पिछले विधानसभा चुनावों में गठबंधन के बावजूद कांग्रेस को 7 सीटों से ज्यादा न मिल सकीं। ऐसे में अमर उजाला की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का मुकाबला करने के लिए पार्टी आचार्य प्रमोद कृष्णम पर दांव खेल सकती है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से लेकर कई बड़े नेताओं ने कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को प्रदेश संगठन या चुनाव प्रचार अभियान की कमान सौंपने का सुझाव पार्टी नेतृत्व को दिया है और यदि ये फैसला कांग्रेस ले लेती है, तो प्रियंका गांधी की फजीहत हो सकती है।
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को बना दिया था। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने सोचा था कि शायद कांग्रेस का कुछ भला होगा। इसके विपरीत कोरोना काल में फेक न्यूज फैलाना और किसान आंदोलन के मुद्दे भ्रमित करना प्रियंका गांधी का स्वाभाव बन गया है। इतना ही नहीं प्रियंका के नेतृत्व में भी कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कुछ खास हासिल नहीं हुआ। प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी की सीट तक नहीं बचा सकीं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में असम, केरल और तमिलनाडु में प्रचार के लिए गईं प्रियंका गांधी कुछ खास कमाल न कर सकीं।
और पढ़ें- जिस किसान के बकाया भुगतान पर योगी को घेर रही थी, उसी ने प्रियंका गांधी के झूठ को बेनकाब किया!
ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी वाड्रा का खोखला राजनीतिक वैभव भी देख लिया है। इसलिए अब वो प्रियंका गांधी को पीछे कर आचार्य प्रमोद कृष्णम को आगे करने की मांग करने लगे हैं, जिससे योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व के एजेंडे पर मुकाबला किया जा सकें। हालांकि, आचार्य प्रमोद कृष्णम की लोकप्रियता भी कुछ खास नहीं है। राजनाथ सिंह के खिलाफ 2019 में लखनऊ से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।