कुछ मामलों में कुछ नहीं करना भी बहुत कुछ करने के बराबर होता है। यही हाल अभी बंगाल के मामले में भी देखने को मिल रहा है। ममता बनर्जी ने जिस प्रकार से अपनी हेकड़ी से पीएम मोदी को अपमानित किया, उसपर हाल ही में केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए बंगाल सचिव को वापिस बुलाया है। लेकिन इतने में ममता की हवा निकल गई और अब वह पीएम मोदी के सामने मिमिया रही है।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अंश अनुसार, “जब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक स्थल पर हम पहुंचे तो हमसे कहा गया कि पीएम कुछ देर पहले पहुंच चुके हैं और बैठक चल रही है। हमें बाहर इंतजार करने को कहा गया।कुछ देर हमने इंतजार करने के बाद जब दोबार अंदर जाने की अनुमति मांगी तो कहा अगले 1 घंटे तक कोई नहीं जा सकता।”
ममता ने आगे ये भी कहा, “यह मीटिंग केवल राजनीतिक बदला लेने के लिए बुलाई गई थी। ओडिशा और गुजरात में हुई समीक्षा बैठक में तो राज्यपाल और विपक्ष के नेताओं को नहीं बुलाया गया था। हमें जो बताया गया यह उसके एकदम उलट था। यह मीटिंग केवल पीएम और सीएम के साथ होनी थी। इसलिए हमने पीएम को रिपोर्ट सौंपने का फैसला किया और दीघा के दौरे की उनसे अनुमति मांगी। मैंने प्रधानमंत्री से तीन बार अनुमति मांगी। हम उनके चरण तक छूने को तैयार हैं”
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हालांकि यहाँ भी ममता अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज़ नहीं आई, लेकिन इतना तो स्पष्ट हो गया कि उनकी हवा निकल चुकी है। ममता अपने आप को देश के संविधान और प्रधानमंत्री मोदी से भी ऊपर समझती है, जिसके कारण साइक्लोन यास से हुए नुकसान को लेकर हुई मीटिंग में ममता ने पीएम मोदी को अपमानित करते हुए उन्हे आधा घंटा इंतज़ार कराया और कुछ फ़ाइलें सौंपकर चल दी।
इस पर केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए उनके प्रमुख सचिव को वापिस लोक कल्याण एवं पेंशन मंत्रालय में नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया। लेकिन जिस प्रकार से ममता सफाई दे रही है, उससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार के एक्शन ने उनकी हवा टाइट कर दी है और वे किसी तरह अपनी ध्वस्त छवि को बचाना चाहती है।