आज यानी 2 मई को भारत के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव की मतगणना हो रही है और वहीं दूसरी और देश में कोरोना संक्रमण की वजह से तबाही मची हुई है। ऐसे में मुख्यधारा मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि दोनों प्रकार की खबरों ( मतगणना और कोरोना) को जनता तक पहुंचाएं, क्योंकि एक पत्रकार का कर्तव्य है कि वो खबर दिखाएं। मीडिया एक माध्यम है, जिससे खबर को जनता तक पहुंचाया जाता है। मीडिया का यह काम नहीं है, वो अपनी मर्जी और एजेंडा के हिसाब से खबर को फिल्टर कर के दिखाए।
दुर्भाग्यपूर्ण भारत में आज कई ऐसे लिबरल मीडिया है जो अपनी निजी एजेंडा के खातिर चुनाव के मतगणना की खबरों को न दिखाने का फैसला किया है। यह वही वामपंथी मीडिया है जो पूरा दिन केंद्र सरकार को अपने चैनल या ट्विटर पर कोसती रहती है। लिबरल मीडिया के साथ कांग्रेस ने भी खुद को मतगणना के बारे में चर्चा करने से अलग कर लिया है।
और पढ़ें-राजदीप और बरखा के बाद अब शशि थरूर बन बैठे हैं झूठी खबर के super spreader
उदाहरण के लिए आपको बता दें, द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह, एनडीटीवी की सोनिया सिंह, भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्र, राणा अयूब, कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य, योगेंद्र यादव और फिल्म निर्देशक हंसल मेहता जैसे हस्तियों ने चुनाव नतीजों के कवरेज पर आपत्ति जताई है। आपको बता दें कि, इनके अलावा टाइम्स नाउ भी मतगणना की कवरेज से खुद को दूर कर लिया है।
https://twitter.com/rohini_sgh/status/1388421034898984968?s=19
https://twitter.com/soniandtv/status/1388657510106628096?s=19
https://twitter.com/RanaAyyub/status/1388530455310311424?s=19
https://twitter.com/satishacharya/status/1388524615836733440?s=19
https://twitter.com/brajeshlive/status/1388099646409437188?s=19
https://twitter.com/mehtahansal/status/1388510739904618498?s=19
हैरानी की बात यह है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी, कांग्रेस ने यह फैसला लिया कि चुनाव नतीजों के बारे चर्चा करने के लिए टीवी चैनल पर उनका कोई प्रवक्ता नहीं जाएगा। कांग्रेस एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो इस आपदा में भी राजनीति करने से पीछे नहीं हट रही है और वो मतगणना के बारे में बात नहीं करना चाहती है। यह साबित करता है कि कांग्रेस इन विधानसभा चुनाव में खुद को एक असंगत पार्टी मान रही है। बता दें कि चुनाव नतीजों के शुरुआती रुझानों के अनुसार कांग्रेस तमिलनाडु छोड़ हर राज्य में हार रही है।
अब सवाल आता है कि क्या, लिबरल मीडिया और कांग्रेस पार्टी ने खुद को मतगणना से अलग अपने सिद्धांतों की वजह से किया है या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत की वजह से किया है। जवाब है, पीएम मोदी से नफरत। लिबरल मीडिया अच्छी तरह से वाकिफ थी कि भाजपा 5 विधानसभा चुनाव में से 3 राज्यों में बड़ी आसानी से जीत जाएगी। ऐसे में न वो अपनी खुशी जाहिर कर पाते ना गम।
अगर वो सच में कोरोना संक्रमण से ग्रसित लोगों के प्रति सहानुभूति और सरकार के प्रति नाराजगी दिखा रहे हैं तो तब यह मीडिया कहा थी जब कोरोना के पहले लहर के बाद लोगों ने अंदर कोरोना संक्रमण का डर खत्म हो गया था। देश की मीडिया के समाज के प्रति जो जिम्मेदारी बनती है उसका क्या? मीडिया का यह भी काम है कि अगर जनता को महामारी को लेकर जागरूकता फैलाएं।
अब रही बात राजनीति की, तो बता दें कि जब राहुल गांधी बिना मास्क लगाए केरल के कॉलेज में छात्रों के बीच अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे या फिर जब वो बिना मास्क लगाए या बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए मछुआरों के साथ समुद्र में डुबकी लगा रहे थे, तब हमारी देश की लिबरल मीडिया ने यह सब कुछ अपने आंखों के सामने होने दिया। आपको बता दें कि जब यह हरकत राहुल गांधी कर रहे थे तब केरल में महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा नए कोरोना के मामले सामने आ रहे थे और तो और कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना वैक्सीन को लेकर जनता को गुमराह किया था।
विधानसभा चुनाव मतगणना से खुद को दूर रखना कांग्रेस और लिबरल मीडिया की बौखलाहट को दर्शाता है। कोरोना के पहले लहर के बाद, न मीडिया और न ही कोई विपक्षी दलों ने इस महामारी को लेकर गंभीरता दिखाई थी और आज जवाबदेही देने के बजाय केंद्र सरकार के आरोप – प्रत्यारोप का खेल रहे हैं।