पश्चिम बंगाल की राजनीति में बीजेपी को हार काफी चुभ रही है, भले ही पार्टी की सीटें बढ़ी हों लेकिन इस बार ममता की जीत पिछली बार से भी अधिक सीटों पर हुई है। इसके चलते ममता को छोड़ कर बीजेपी में आए सत्ता के लालची नेता अब पार्टी छोड़ वापस TMC में जाने के लिए ममता को माफी पत्र लिखकर बीजेपी की बुराई और ममता की तारीफ कर रहे हैं।
इसी कड़ी में फुटबॉलर से नेता बने दीपेंदु बिस्वास ने ममता को पत्र लिखकर बीजेपी में जाने के लिए माफ़ी मांगी है और वापस TMC में शामिल करने का अनुरोध किया है। बीजेपी की एक हार विधानसभा चुनाव में हुई और दूसरी पार्टी को एकजुट न रख पाने के मुद्दे पर हो रही है।
सरला मुर्मु, सोनाली गुहा ये ऐसे नाम हैं जो बीजेपी में थे तो ममता की भर-भर कर आलोचना कर रहे थे, लेकिन अब जब बीजेपी के विस्तार के बावजूद पार्टी को उम्मीद के अनुसार विजय नहीं मिली तो ये सभी पार्टी छोड़ भाग रहे हैं। ये सभी वो दलबदलू नेता हैं जो ममता के खिलाफ हवा देखकर बीजेपी में आए थे, और अब ममता के पक्ष में हवा का रुख देखकर पलट गए हैं। टिकट न मिलने पर पहले से नाराज चल रहे दीपेंदु बिस्वास ने अब ममता को पत्र लिखकर वापस टीएमसी ज्वाइन करने की बात कही है।
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सत्ता के लालची ये दल-बदलू नेता ममता के लिए अपने प्रेम को जाहिर कर रहे हैं। दीपेंदु बिस्वास ने अपने पत्र में लिखा, “मैने पार्टी छोड़ने का एक बुरा फैसला लिया और अब मैं वापस लौटना चाहता हूं।” उन्होंने कहा कि पद छोड़ने का उनका निर्णय “भावनात्मक” था और उन्हें “निष्क्रिय” होने का डर था। उन्होंने बशीरहाट दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम करने की इच्छा भी जताई है। साफ तौर पर कहें तो दीपेंदु सत्ता की मलाई खाने के इच्छुक हैं।
इससे पहले सोनली गुहा ने भी ममता को पत्र लिखकर कहा कि, वो वापस TMC में आना चाहती हैं। उन्होंने लिखा था, “जैसे मछली पानी के बिना नहीं रह सकती ऐसे ही मैं आपके बिना नहीं रह सकती ‘दीदी’। मैं आपसे माफी मांगती हूं और यदि आप मुझे माफ नहीं करेंगी तो मैं जी नहीं पाऊंगी। कृपया मुझे वापस आने और अपने सानिध्य में सारा जीवन गुजारने की अनुमति दें।”
ये सारे मामले जाहिर करते हैं जो नेता बंगाल में बीजेपी की जीत की उम्मीद लगाए बैठे थे, वो सभी हार के बाद पाला बदलने की तैयारी में हैं। इसकी एक बड़ी वजह बीजेपी का रवैया भी है। चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर कोई खास कार्रवाई न होने से दलबदलुओं के मन में डर बैठ गया है।
उन्हें डर है कि ममता बदला लेने के लिए उन पर हमले करा सकती हैं। पार्टी को जीत भले ही नहीं मिली हो लेकिन एक बड़ा जनसमर्थन मिला है। ऐसे में आवश्यकता है कि नेताओं-कार्यकर्ताओं से मनोबल को लेकर लगातार चर्चाएं हों, जिससे पार्टी एकजुट दिखे, लेकिन पार्टी ऐसा करने में विफल साबित हो रही हैं और ये दल-बदलुओं का पार्टी से मोह भंग कर रहा है।
आए दिन कोई नेता BJP छोड़ TMC का दामन थामने की तैयारी कर रहा है, जिसके चलते ये कहा जाने लगा है कि पार्टी एक बार तो विधानसभा चुनाव हारी है लेकिन अब पार्टी अपने आप को ममता के खौफ के बीच एकजुट दिखाने के मुद्दे पर भी हार रही है और ये हार ख़तरनाक हो सकती है।